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जीवन तुझे है बढ़ते रहना, जलकर होना राख नहीं
ऐ युवा तू अवसर वाद की, भट्टी का अंगार नहीं
रायपुर / शौर्यपथ / युवाओं को अब स्पष्ट संदेश देना होगा कि युवा अवसरवाद की भट्टी में तपता लोहा नहीं है जिसे जैसे चाहा ढ़ाल लिया। युवा धर्म, संप्रदाय, जाति, भाषा क्षेत्र को लेकर नफरत फैलाने का औजार नहीं है जिसे जब चाहा चला लिया। युवा झूठ को फैलाने वाला वायरस नहीं है जिसे फैला कर समाज को खतरे में डाल दिया।
अवसरवादियों को यह बात बहुत अच्छे ढंग से समझ में आ गई है कि नफरत की भट्ठी और अज्ञानता के अंधकार से जो वोट की ताकत निकलती है, वही सत्ता का मार्ग प्रशस्त करती है। यही कारण है कि वे युवाओं को किसी भी तरह भटकाव के रास्ते पर ले जाने का अवसर नहीं छोड़ते। युवाओं के दिल में नफरत का फैलाव कर जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों से उन्हे दूर रखने का प्रयास करते हैं।इसी कारण युवा राजसत्ता की प्राथमिकता में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है।
अब अभिव्यक्ति ही एक ऐसी ताकत बची है जो युवाओं को मजबूती, सम्मान व रोजगार दे सकती है। मजबूत समाज और राष्ट्र दे सकती है। राजसत्ता पर उनका नियंत्रण कायम करवा सकती है। युवाओं के एक ग्रुप ने मुझसे ऑनलाइन वार्ता की। अच्छा लगा यह देखकर कि अंधकार से बाहर निकलने के लिए सूर्य की किरणों ने अपना जोर मारना शुरु कर दिया है।
एक युवा साथी ने बताया कि उनके परिवार की अर्थव्यवस्था पिताजी को रिटायरमेंट के बाद मिले रुपयों से किये गये फिक्स डिपॉजिट से चल रही है। मुझे यह बात ऐसी लगी की मानो बारूद के ढेर पर बैठा कोई व्यक्ति बोल रहा है कि मेरा जीवन सुरक्षित है।
जमा रकम पर बैंक की ब्याज दरें निरंतर कम होती जा रही है। महंगाई बढ़ रही है। रुपये का मूल्य लगातार कम होता जा रहा है। आने वाले समय में यह रकम ऊंठ के मुंह में जीरा समान होगी। इस त्रासद स्थिति के कारण कुछ आत्महत्या तो कुछ अपराध कर रहे होंगे। एक साथ इतने युवाओं को समझने का अवसर मिला। तो लगा विशेषकर युवा पांच बातों को लेकर बेहद चिंतित व असमंजस में थे –
पहला - घटते रोजगार के अवसरों से
दूसरा – ठोस स्व-रोजगार नीति के आभाव से
तीसरा – ग्रामीण व्यवस्था व किसानों की बदहाली से
चौथा - फैलते नफरत के वातावरण से
पांचवा – समाज में फैल रहे झूठ से
मैंने युवाओं से पूछा कि आप इन बातों से बाहर निकलने के लिए आप क्या प्रयत्न कर रहे हैं? यकीन मानिए ऐसा लगा मानो युवाओं की बुद्धि को किसी ने हाईजैक कर लिया है। समाधान का कोई बिंदु वे शब्दांकित नहीं कर पा रहे थे। मन में एक ही विश्वास पाले हुए थे कि “कोई आयेगा जो उन्हें भंवर से बाहर निकाल कर ले जाएगा।“ बस इसी बात ने युवाओं की स्वतंत्र सोच व व्यक्तित्व को क्षति पहुंचाई है।
आप रोजगार को जीवन का प्रथम ध्येय बनाइए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था किसान व किसानी के संवर्धन के लिये अच्छे सुझाव दीजिये और व्यवस्था को मजबूर कर दीजिये की वो उस दिशा में कदम उठाये। नफरत फैलाने वालों के साथ मत खड़ा होइये। समाज में फैलाये जा रहे झूठ के वाहक मत बनिये।
जब तक आप अपने को अभिव्यक्त नहीं करेंगे कि आप क्या चाह रहे हैं, तब तक कोई भी व्यवस्था गंभीरता से नहीं लेगी। आज सोशल मीडिया से अच्छा मंच अपने को अभिव्यक्त करने का दूसरा नहीं है। उस मंच का बेहतर उपयोग अपनी बात करने के लिये कीजिये। कॉपी-पेस्ट, मनगढ़ंत बातों वाली पोस्ट को नजर अंदाज कर अपनी चाहत व जरुरत की बातों को प्रवाहित कीजिये।
अब समझना होगा कि “नारों की मदहोशी में नाचना, युवाओं का काम नहीं और नारों की जय-घोष पर कदम-ताल करने में, युवाओं का सम्मान नहीं”
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