May 09, 2025
Hindi Hindi

डॉक्टर्स डे-मरीज के ठीक होने पर जो दुआएं व प्यार मिलता है वहीं सबसे बड़ा सम्मान -डॉ. पीपरे

रायपुर / शौर्यपथ / हर साल नेशनल डॉक्टर डे एक थीम पर मनाया जाता है। डॉक्टर को भगवान का दर्जा देने वाले देश में डाक्टर्स के योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है।
केंद्र सरकार ने 1991 में इस दिन को 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत की थी। इसी दिन यानी 1 जुलाई को देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि है। उनके सम्मान में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। उनके सम्मान में इसी दिन पूरी चिकित्सा बिरादरी का सम्मान कर श्रद्धांजलि दी जाती है।
कोरोना महामारी में योद्वाओं की तरह फ्रंट लाइन में आकर इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में एम्स रायपुर की भूमिका अग्रणी माना जा रहा है। नेशनल डॉक्टर डे पर एम्स रायपुर के चिकित्सा अधीक्षक एवं प्रोफेसर न्यूक्लीयर मेडिसिन , रेडियोलॉजीस्ट डॉ. करण पीपरे से चिकीत्सकीय प्रोफेशन को लेकर बीतचीत की । डॉ. पीपरे का मानना है किसी भी डॉक्टर के लिए सम्मान का पल तब होता है जब मरीज के ठीक होने पर मरीज व उनके परिजन प्यार के साथ आदर का भाव रखते हुए मिलते हैं। चिकित्सकों को सभी से मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा मरीजों की सेवा करना डॉक्टर का मानव व चिकित्सकीय धर्म का पालन होता है।
कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज को लेकर रायपुर एम्स के चिकित्सकीय टीम और अस्पताल प्रबंधन द्वारा केंद्र व राज्य सरकार के निर्देश पर जनवरी व फरवरी महीने में ही तैयारी शुरु कर कोरोना वार्ड बनाया लिया था। फरवरी महीने में एम्स के नेफ्रोलॉजी वार्ड में 12 बेड सहित दो वेंटिलेटर एवमं मॉनिटर्ज की सुविधाओं के साथ आइशोलेशन वार्ड तैयार कर लिया गया था। उन्होंने बताया राजधानी से एम्स अस्पताल में प्रदेश का पहला केस कोरोना पॉजेटिव 17 मार्च को लंदन रिटर्न लड़की का मिली थी जिसके इलाज के साथ ही एम्स अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना से लडऩे कमर कस कर तैयार हो गया था। लैब में स्वाब जांच से लेकर इलाज के लिए दवाईयां, टीम को प्रशिक्षत करते हुए चुनौतियों को स्वीकार किया । उसके बाद आयुष भवन में 85 बेड का कोविड -19 आइशोलेशन वार्ड बनाए गए और सभी नमूनों की जांच व इलाज कर सभी की उपचार कर स्वसथ्य कर घर भेजा जा रहा है।
डॉ. पीपरे ने महामारी का जिक्र करते हुए अपने अनुभव बताया अविभाजीत मध्यप्रदेश में वर्ष 1991 के अप्रैल माह में बस्तर के जंगलों से घिरे दंतेवाड़ा, बचेली, फरसपाल भैरमगढ़, नीलेशनार, घोटपाल इलाकों में खूनी पेचिस, उल्टी-दस्त, चेचक, मलेरिया जैसे महामारी फैली थी जिसमें लगभग 650 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे समय में मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें बस्तर भेजा था। तब मोबाइल, टीवी, समाचार माध्यम, वाट्सअप जैसे सोशल मीडिया भी नहीं थे। तब किसी महामारी के फैलने के प्रति लोगों को जागरुक करने में समस्याएं होती थी और वायरस का प्रकोप समुदाय के तीसरे चरण में संक्रमण कर पूरे गांव को चपेट में ले लेता था। उन्होंने कहा, कोरोना महामारी पहले के बीमारियों से फैलने वाले महामारियों से कम चुनौतियां है। आज लोग मोबाइल, टीवी और इंटरनेट की वजह से स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो गए हैं। कोरोना महामारी को हराने के लिए डॉ. पीपरे ने कहा, रोज सुबह मॉनिंग वॉक, योग करें, नशा से दूर रहकर , पोषण आहार भोजन में जरुर लें। इससे हमारा इम्युनीटी सिस्टम मजबूत होगा।
डॉ. पीपरे ने बताया, उनकी पढाई व शिक्षा जबलपुर में हुई 1970 में उनके परिवार से 6 भाईयों का एक साथ मेडिकल की पढाई के लिए सलेक्शन हुआ था। उनके ताउ के लड़के का डॉक्टर की पढाई के लिए चयन होने के बाद उनका भी सपना डॉक्टर बनने का रहा है। उन्होने बताया, वर्ष 1974-75 में जबलपुर मेडिकल कॉलेज में उनके सहपाठी प्रदेश के जाने में चिकित्सक डॉ. अशोक चंद्राकर, डॉ. अशोक भट्टर, डॉ. अनुप वर्मा और एमडी की पढाई मेकाहारा के पूर्व अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी थे। इंदौर मेडिकल कॉलेज से रेडियोलॉजिस्ट में एमडी की पढाई कर गोल्ड मेडल के साथ डिग्री प्राप्त की। और मुंबई से न्यूक्लीयर मेडिसीन में पोस्ट ग्रेजूएशन किया। वर्ष 2002 से वर्ष 2027 तक गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में सुलतानिया महिला चिकित्सालय , हामिदिया चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक एवंम वाइस डीन के रुप में कार्य किया। वर्ष 1981 में मंडला जिले में उनकी पहली सरकारी अस्पताल में नौकरी लगी। वर्ष 1992 में भोपाल मेडिकल कॉलेज में असिसटेंट प्रोफेसर न्यूक्लीयर मेडिसीन के रुप में पीएससी से चयनित हुए। इसके बाद अब वे रायपुर एम्स में एडिशनल मेडिकल अधीक्षक नियुक्ति होकर अब वे 2 साल से मेडिकल अधीक्षक का पद संभालते हुए संस्थान में 6 सालों से सेवारत हैं।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)