
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
रायपुर / शौर्यपथ / कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रमेश वर्ल्यानी ने कहा है केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आर्थिक पैकेज की घोषणा की शुरुआत बेहद निराशाजनक रही। प्रधानमंत्री मोदी ने कल 2000000 करोड रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी और यह कहा था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे आज से घोषित करेंगी। इसी परिपेक्ष में आज पहली घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की जो बेहद निराशाजनक रही।
वर्ल्यानी ने कहा है कि देश का आम आदमी भूख प्यास और बेबसी के शिकार प्रवासी मजदूर और वित्तीय संकट का सामना कर रहे लघु उद्योग इकाइयों को बड़ी आशा थी कि आज वित्त मंत्री की घोषणा से उन्हें कोई राहत मिलेगी लेकिन दुर्भाग्य से आज की वित्त मंत्री की घोषणा में ऐसा कुछ भी नहीं था । करोना और लॉक डाउन के कारण देश के जिन मजदूरों किसानों ठेले वालों खोमचे वालों छोटे दुकानदारों की रोजी-रोटी छिन गई और जो सड़क पर आ गए हैं उनके लिए इस वित्तीय पैकेज में कुछ भी नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पूरा फोकस उद्योगों पर था और उद्योगों को भी केवल ऋण बढ़ाया गया है। किसी प्रकार की कोई राहत उद्योगों को भी नहीं पहुंचाई गई। भारत में 45 लाख लघु और अति लघु उद्योग इकाइयां हैं जिनसे लॉक डाउन के पहले 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता था । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन इकाइयों के लिए तीन लाख करोड़ के लोन की घोषणा मात्र की है ।
ऋण को राहत कहना गलत है। अनुभव यह बताता है कि सरकारी घोषणाओं के बावजूद बैंकों द्वारा लघु उद्योग इकाइयों को ऋण नहीं दिया जाता। वित्तमंत्री की कोरी घोषणा से कुछ नहीं होगा। इसका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन आवश्यक है जिसका दुर्भाग्य से मोदी सरकार में अभी तक अभाव है । वित्त मंत्री के पास इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं था कि लघु उद्योग इकाइयां यह ऋण लेकर क्या करेंगे जब उनके पास काम करने वाले मजदूर और कच्चा माल ही नहीं है और इन ऋणों को यह लघु उद्योग इकाइयां पटायेंगी कैसे ?
वर्ल्यानी ने कहा है कि आज स्वयं वित्त मंत्री को पत्रकार वार्ता में यह स्वीकार करना पड़ा कि उद्योग इकाइयां करोना संकट के कारण कच्चे माल और मजदूरों की अनुपलब्धता के कारण ऋण नहीं उठा रही हैं । ऋण लघु उद्योग इकाइयां तभी उठाएंगी जब उनके माल की खपत सुनिश्चित हो । वर्तमान में खपत सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने और वित्त मंत्री ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। गृह निर्माण और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में मजदूरों की कमी की स्थिति बनी हुई है और सबसे बड़ी बात इन क्षेत्रों में मांग ही नहीं है। इन इकाइयों के लिये अभी ऋण लेना और बाद में जब बैंक ऋण वापस मांगेंगे तो ऋण पटाने की स्थिति नहीं होना, इन इकाइयों के लिए आत्मघाती स्थिति होगी।
जब तक मजदूर किसानों लघु उद्यमियों छोटे दुकानदारों के खातों में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर नहीं होगा तब तक अर्थव्यवस्था का उठाव और मांग बढ़ना संभव ही नहीं है। इस तथ्य को मोदी सरकार स्वीकार करना तो दूर समझ ही नहीं पा रही है।
आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणाएं किसी भी प्रकार से राहत पैकेज नहीं है बल्कि अधिक से अधिक लोन पैकेज मात्र है जिसमें बैंकों के माध्यम से लघु उद्योग इकाइयों के लिए ऋणों की घोषणा की गई है । लेकिन यह ऋण पटेंगें कैसे और इन लघु उद्योग इकाइयों की उत्पादों की मांग कैसे बढ़ेगी इस बारे में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कुछ भी नहीं कहा गया है ।
प्रवक्ता रमेश वर्ल्यानी ने कहा है कि यही इस पैकेज की सबसे बड़ी विफलता है। आर्थिक पैकेज में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा टीडीएस के दरों में कमीऔर इनकम टैक्स रिफंड में छूट का दावा करना बेहद हास्यास्पद है । यह तो आयकर दाताओं का ही पैसा है और इसमें किसी भी प्रकार की छूट वित्त मंत्रालय द्वारा नहीं दी गई है । लोगों के पैसों से करदाताओं के पैसों से उन्हीं को छूट देने का दावा करना पूरी तरीके से गलत है और यह तो सीधे-सीधे आंखों में धूल झोंकना है।
कुल मिलाकर आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तमाम घोषणायें सिर्फ और सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी है और इनसे मजदूरों को किसानों को फुटकर व्यापारियों को लघु उद्योगों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिल सकेगी।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.