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रायपुर में भाजपा की अहम बैठक में बनी रूपरेखा, कांग्रेस के लोकतंत्र विरोधी कृत्यों को उजागर करेगी पार्टी
रायपुर/शौर्यपथ विशेष संवाददाता
भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय — आपातकाल की 50वीं बरसी पर छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी राज्यभर में संगठित, चरणबद्ध और जागरूकता से परिपूर्ण कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करेगी। इस संबंध में 19 जून 2025 को रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे परिसर स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक आयोजित हुई, जिसमें आगामी दिनों में पार्टी द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई।
आपातकाल पर होगा विचार, विरोध और विवेचना का समन्वित आयोजन
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 25 जून को आपातकाल की 50वीं बरसी को छत्तीसगढ़ भाजपा "लोकतंत्र बचाओ दिवस" के रूप में मनाएगी।प्रदेशभर में प्रेस कॉन्फ्रेंस,विचार गोष्ठियाँ,प्रदर्शन,और युवाओं के बीच संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल थोपे जाने के ऐतिहासिक सच को सामने लाया जाएगा।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी की सत्ता लालसा ने देश को अंधकार में ढकेल दिया था। लाखों निर्दोष नागरिकों को मीसा और डीआईआर जैसे काले कानूनों के तहत बिना मुकदमे जेलों में ठूंस दिया गया था, पत्रकारिता का गला घोंटा गया था और लोकतंत्र का अपमान हुआ था। आज की नई पीढ़ी को इस काले इतिहास से अवगत कराना भाजपा की वैचारिक जिम्मेदारी है।
बैठक में शामिल हुए ये प्रमुख नेता
बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल, प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, सांसद संतोष पांडे, सभी कैबिनेट मंत्री, विधायकगण और प्रदेश महामंत्रीगण समेत संगठन के विभिन्न पदाधिकारी उपस्थित रहे।
इन आयोजनों पर भी बनी रूपरेखा
बैठक में 25 जून के अलावा 21 जून को योग दिवस और 23 जून को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस के आयोजन पर भी चर्चा की गई। योग दिवस पर भाजपा नेता प्रदेशभर के तीर्थ, पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों पर उपस्थित रहेंगे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस पर कश्मीर के एक देश, एक निशान, एक विधान के आंदोलन को याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
"संकल्प से सिद्धि – 11 साल बेमिसाल" अभियान की समीक्षा
बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने हेतु चलाए जा रहे "संकल्प से सिद्धि – 11 साल बेमिसाल" अभियान की प्रगति की भी समीक्षा की गई।
घर-घर संपर्क,व्यावसायिक बैठकों,गोष्ठियों और प्रदर्शनियों के माध्यम से सुशासन, सेवा और गरीब कल्याण की योजनाओं को जनता तक पहुँचाया जा रहा है।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव का वक्तव्य
पत्रकारों से चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा:"बैठक में यह सुनिश्चित किया गया है कि पार्टी के हर कार्यक्रम में विधायकों, कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता हो। लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के सम्मान की भावना को लेकर हम पूरे राज्य में जनजागरण करेंगे।"
अपने पुत्र के आधार कार्ड बनने तथा नया राशन कार्ड का त्वरित सौगात मिलने पर अभिभूत हुई दामिन बाई एवं इयन बाई
बालोद/शौर्यपथ /केन्द्र सरकार के द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में सेवाओं एवं अन्य बुनियादी ढांचों को परिपूर्णता प्रदान करने तथा उनके व्यक्तिगत अधिकारों से परिपूर्ण करने के उद्देश्य से धरती आबा जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत लाभ संतृप्ति शिविर जनजातीय समाज के लोगों को शासन के विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान कराने की दृष्टि से अत्यंत लाभप्रद सिद्ध हो रहा है। जिले में आयोजित लाभ संतृप्ति शिविरों के माध्यम से शासन के विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का त्वरित लाभ मिलने से जनजातीय समाज के लोगों ने शासन की इस महत्वपूर्ण पहल एवं जनहितैषी कदम की भूरी-भूरी सराहना की है। इसी कड़ी में आज जिले के डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के ग्राम मार्री बंगला में आयोजित लाभ संतृप्ति आयोजन के माध्यम से उनके बहुप्रतीक्षित समस्याओं के निराकरण होने पर जनजातीय समाज के ग्रामीण महिलाओं ने शिविर के आयोजन की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। ग्राम मार्री बंगला में आज आयोजित शिविर के माध्यम से अपने नन्हें पुत्र तेजस के आधार कार्ड का पंजीयन होने से ग्राम मार्री बंगला निवासी दामिन बाई तथा गहिरा नवागांव निवासी श्रीमती इयन बाई का नया राशन कार्ड बनने से दोनों महिलाएं बहुत ही अभिभूत नजर आ रही थी।
ग्राम मार्री बंगला निवासी श्रीमती दामिन बाई ने बताया कि अपने पारिवारिक जिम्मेदारी एवं घरेलु कार्य में व्यस्त होने के कारण वे चाह कर भी अपने नन्हें बालक तेजस का आधार कार्ड बनवाने के लिए पास के गांव देवरी के च्वाइस सेंटर में नही जा पा रही थी। जिसके कारण वे परेशान भी हो जाती थी। उन्होंने कहा कि लेकिन आज धरती आबा जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत उनके गृह ग्राम मार्री बंगला में आयोजित लाभ संतृप्ति शिविर में उनके पुत्र तेजस के आधार कार्ड बनाने हेतु पंजीयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। कुछ ही दिनों के पश्चात् उनके पुत्र के आधार कार्ड बनकर उन्हें प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से धरती आबा जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत आयोजित शिविर के माध्यम से उनके समस्याओं का तत्काल समाधान होना उनके लिए किसी बड़ी सौगात से कम नही है। श्रीमती दामिन बाई ने कहा कि आज हमारे गांव मंे आयोजित शिविर के माध्यम से मेरे नन्हें बच्चे के आधार कार्ड का पंजीयन हो जाने से मैं बहुत ही प्रसन्नचित हूँ।
इसी तरह ग्राम मार्री बंगला में आयोजित लाभ संतृप्ति शिविर के माध्यम से उनके नया राशन कार्ड बनने पर ग्राम गहिरा नवागांव की आदिवासी महिला श्रीमती इयन बाई बहुत ही प्रसन्नचित एवं उत्साही नजर आ रही थी। उन्होंने कहा कि अपने समीप के गांव में आयोजित शिविर के माध्यम से उन्हें एवं उनके परिवार को तत्काल राशन कार्ड का सौगात मिलना हम जैसे गरीब परिवार के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सौगात है। आज लाभ संतृप्ति शिविर के माध्यम से उनके नए राशन कार्ड बन जाने से अब उन्हें ग्राम पंचायत एवं अन्य कार्यालयों का चक्कर लगाने की आवश्यकता नही पड़ेगी। श्रीमती इयन बाई ने कहा कि धरती आबा जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत आयोजित लाभ संतृप्ति शिविरों के माध्यम से उनके जैसे जनजातीय परिवार के अनेक गरीब एवं जरूरतमंद लोगों के मांगों और समस्याओं का त्वरित निराकरण सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाभ संतृप्ति शिविर का आयोजन निश्चित रूप से केन्द्र सरकार के अत्यंत लोक हितैषी एवं जनकल्याणकारी पहल है। मार्री बंगला में आयोजित शिविर के आयोजन से लाभान्वित होने वाले दोनों महिलाओं ने शिविर आयोजन की सराहना करते हुए इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले भारत सरकार को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया है।
मत्स्य बीज उत्पादन और निर्यात के मामले में कांकेर राज्य का अग्रणी जिला
हैचरी क्रांति ने राज्य को बनाया आत्मनिर्भर, देशभर में मांग
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। कांकेर न केवल मत्स्य बीज उत्पादन में, बल्कि देश के कई राज्यों में मत्स्य बीज की आपूर्ति के मामले में राज्य के अग्रणी जिले के रूप में अपनी पहचान कायम की है। मत्स्य बीज उत्पादन और निर्यात सेे जिले की अर्थव्यवस्था को नया आयाम मिला है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि कांकेर जिले की यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के आत्मनिर्भर और समृद्ध ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में एक मजबूत कदम है। पखांजूर क्षेत्र के मत्स्य कृषकों ने नीली- क्रांति को वास्तव में धरातल पर उतारा है। यह सफलता हमारी योजनाओं की प्रभावी क्रियान्वयन, स्थानीय सहभागिता और मेहनतकश मछुआरों की लगन का परिणाम है। राज्य सरकार मत्स्य पालन को और अधिक प्रोत्साहन देने हेतु हरसंभव सहयोग देती रहेगी।
गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व तक कांकेर जिले को मत्स्य बीज के लिए पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन आज कोयलीबेडा विकासखंड के पखांजूर क्षेत्र में बडी संख्या में मत्स्यबीज के पिकअप वाहन, मत्स्य कृषक और क्रियाशील हैचरियां जगह-जगह दिखाई देती हैं। यह बदलाव नीली क्रांति योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की मदद से संभव हुआ, जिसके तहत मत्स्य बीज हैचरियों और तालाबों का निर्माण कराया गया। इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से पखांजूर में मत्स्य बीज का सरप्लस उत्पादन होने लगा है।
अब स्थिति यह है कि कांकेर में उत्पादित उच्च गुणवत्ता और किफायती मूल्य पर उपलब्ध मत्स्य बीज का न केवल छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों को, बल्कि अन्य राज्यों जैसे आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, गुजरात और बिहार में भी निर्यात किया जा रहा है। पखांजूर का बीज इसलिए भी खास है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता युक्त, अन्य राज्यों से सस्ता, और अप्रैल-मई जैसे प्रारंभिक महीनों में ही उपलब्ध हो जाता है, जिससे किसानों को समय रहते मत्स्य पालन में मदद मिलती है।
मत्स्य पालन विभाग के सहायक संचालक के अनुसार, कांकेर जिले में कुल 34 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी संचालित हैं। वर्ष 2025-26 में 337 करोड़ स्पॉन और 128 करोड़ 35 लाख स्टैंडर्ड फ्राय उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक जिले में 192 करोड़ स्पॉन और 7 करोड़ 42 लाख स्टैंडर्ड फ्राय का उत्पादन हो चुका है। यहां की हैचरियों में मेजर कार्प के साथ-साथ पंगेसियस मछली का भी बीज तैयार किया जा रहा है। मत्स्य कृषक श्री विश्वजीत अधिकारी और मृणाल बराई बताते हैं कि क्षेत्र से प्रतिदिन 10-15 पिकअप वाहन मत्स्य बीज लेकर अन्य जिलों एवं प्रदेशों में जाते हैं।
पखांजूर क्षेत्र की मत्स्य बीज उत्पादन की इस सफलता ने करीब 550 स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान किया है। मत्स्य बीज उत्पादन, परिवहन, विक्रय और संबंधित गतिविधियों से जुड़े ग्रामीण अब स्थायी आय प्राप्त कर रहे हैं। कांकेर जिला आज छत्तीसगढ़ की मत्स्य संपन्नता का प्रतीक बन गया है। यहां की हैचरी क्रांति ने राज्य को बाहरी निर्भरता से मुक्त किया और गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज के लिए देशभर की पहली पसंद बन गया है।
रायपुर /शौर्यपथ /भारत सरकार के "एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड " योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में आधार प्रमाणीकरण आधारित खाद्यान्न वितरण सुनिश्चित किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े सभी राशनकार्डधारकों के परिवार के सदस्यों का ई-केवायसी अनिवार्य रूप से पूर्ण किया जाना आवश्यक है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 81.56 लाख राशनकार्ड प्रचलन में हैं, जिनमें 2.73 करोड़ सदस्य पंजीकृत हैं। इनमें से 2.35 करोड़ सदस्यों का ई-केवायसी पूर्ण हो चुका है, जबकि लगभग 38 लाख सदस्यों का ई-केवायसी शेष है। भारत सरकार द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ई-केवायसी से छूट प्रदान की गई है।
खाद्य सचिव श्रीमती रीना कंगाले ने जानकारी दी कि राज्य की सभी उचित मूल्य दुकानों में ई-पॉस मशीनों के माध्यम से ई-केवायसी की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा विकसित "मेरा ई-केवायसी" मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से भी हितग्राही अपने स्मार्टफोन से घर बैठे स्वयं ई-केवायसी कर सकते हैं। मेरा ई-केवायसी एप्प के माध्यम से ई-केवायसी करने हेतु एंड्रायड मोबाईल में गूगल प्ले स्टोर से एप्प डाउनलोड कर हितग्राही राज्य का चयन कर अपना आधार नंबर डालकर, आधार ओटीपी के माध्यम से फेस ई-केवायसी कर सकते है। उन्होंने सभी राशनकार्ड धारकों से अपील की है कि 30 जून 2025 की अंतिम तिथि से पूर्व अपना और परिवार के सभी सदस्यों का ई-केवायसी अनिवार्य रूप से पूर्ण करवा लें, जिससे खाद्यान्न वितरण में किसी प्रकार की असुविधा न हो।
आवास की दीवारों पर जनजाति कलाकृतियां वाद्य यंत्र, नृत्य एवं अन्य आर्ट से सजाया सपनों का घर
रायपुर/शौर्यपथ /प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत जब श्रीमती सहोद्रा बाई धनुवार को अपने घर की चाबी मिली, तो यह महज चाबी नहीं थी यह उनके आत्मसम्मान और सुरक्षित भविष्य की शुरुआत थी। जांजगीर-चांपा जिले के जनपद पंचायत बम्हनीडीह अंतर्गत ग्राम पंचायत पुछेली खपरीडीह में धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान के दौरान जब श्रीमती सहोद्रा बाई धनुवार को मंच से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत निर्मित पक्के घर की चाबी सौंपी गई, तो उनके चेहरे की मुस्कान देखते ही बनती थी। उन्होंने मुस्कराते हुए सहजता से कहा, “चाबी तो दे दी आपने, लेकिन ताला नहीं दिया। ”उनकी यह मासूम बात सुनकर पूरा वातावरण मुस्कान और भावनाओं से भर गया। यह क्षण न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे गाँव के लिए गर्व और खुशी का था।
श्रीमती सहोद्रा बाई (ग्राम पंचायत खपरीडीह) के जीवन में भी प्रधानमंत्री आवास योजना ने खुशियाँ भर दी हैं। पाँच वर्ष पहले उनके पति का निधन हो गया था। उनकी तीन बेटियां और चार बच्चे हैं जिनकी शादी हो चुकी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान के साथ-साथ उज्ज्वला योजना, महतारी वंदन, पेंशन योजना और मनरेगा से 90 दिन की मजदूरी जैसे योजनाओं का लाभ पाकर उनका वृद्धावस्था जीवन सशक्त और आत्मनिर्भर बन गया है।
जनजातीय कलाकृति से सजा ‘सपनों का घर’
प्रधानमंत्री आवास योजना से बने उनके नए घर में उन्होंने छत्तीसगढ़ की जनजातीय कला, वाद्य यंत्र, पारंपरिक नृत्य और अन्य पारंपरिक लोक संस्कृति से जुड़ी चित्रकारी को घर की दीवारों पर उकेरकर एक जीवंत संस्कृति का प्रतीक बना दिया है। उनका यह प्रयास न केवल कलात्मक है, बल्कि अब वह अन्य ग्रामीणों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं। उनके घर की सजावट पूरे जनपद पंचायत में चर्चा का विषय है और जनजातीय पहचान की झलक को दिखा रहा है। श्रीमती सहोद्रा बाई ने अपने घर के सामने एक पेड़ मां के नाम आम के पौधा लगाया है। वहीं उन्होंने जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए अपने घर में सोखता गड्ढा का भी निर्माण किया है। आवास योजना का लाभ मिलने पर उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।
पर्यटन बोर्ड प्रचार प्रसार और सुविधा विकसित करने में देगा सहयोग
श्रध्दा और ज्ञान का अनोखा संगम है शारदाधाम
रायपुर/शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ और झारखण्ड की अंर्तराज्यी सीमा पर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थल शारदाधाम को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर छत्तीसगढ़ टुरीज्म बोर्ड ने राज्य के चिन्हाकित पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल कर लिया है। पर्यटन बोर्ड ने इसके लिए परिपत्र जारी कर दिया है। बोर्ड के इस निर्णय से इस पर्यटन स्थल को एक नई पहचान मिल सकेगी। बोर्ड इसके प्रचार-प्रसार के साथ ही पर्यटको के लिए मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए बजट उपलब्ध करा सकेगा।
श्रद्धा और ज्ञान का संगम है शारदाधाम
शारदाधाम में विद्यादायनी माँ सरस्वती की श्रद्वा और ज्ञान अर्जन का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहां छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य के जरूरतमंद बच्चों के रहने और पढ़ने के लिए कोचिंग की विशेष व्यवस्था की गई है। शारदाधाम समिति के अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने बताया कि इस विशेष कोचिंग संस्था में बच्चों के रहने, खाने के साथ उनकी कोचिंग की निःशुल्क व्यवस्था की गई है। बच्चों के रहने और कोचिंग का जो भी खर्चा होता है, उसका व्यय समिति श्रद्वालुओं के सहयोग से पूरा करती है।
प्रकृतिक सौंदर्य से भरपूर है शारदाधाम प्रसिद्व धार्मिक पर्यटन स्थल
शारदाधाम, जिला मुख्यालय जशपुर से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर, दुलदुला ब्लाक में स्थित है। माता सरस्वती का यह प्रसिद्व मंदिर चारो ओर घने जंगल से घिरा हुआ है। नजदीक ही गिरमा नदी की कलकल करती मधुर ध्वनि यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्वालुओं का मन मोह लेते हैं। संचालन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि विद्यादायनी मां सरस्वती का यह भव्य मंदिर पूरी तरह से श्रमदान से तैयार किया गया है। दोनों राज्यों के श्रद्वालुओं ने पसीना बहा कर मां के इस मंदिर का निर्माण किया है। मंदिर के भवन का डिजाइन झारखंड के प्रसिद्व लचलागढ़ हनुमान मंदिर के तर्ज पर तैयार किया गया है।
पर्यटन हब के रूप में विकसीत हो रहा है जशपुर
उल्लेखनीय है कि वनाँचल क्षेत्र जशपुर में पर्यटन उद्योग विकसित करने की दिशा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तेजी से काम कर रहे हैँ। कुनकुरी ब्लाक में स्थित मयाली नेचर कैंप के विकास के लिए दस करोड़ रूपये भारत दर्शन योजना के अंतर्गत स्वीकृत किए गए हैँ। यहीं स्थित मधेश्वर महादेव को हाल ही में गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड ने विश्व का सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में मान्यता दी है। इसके साथ ही सीएम विष्णुदेव साय ने जिले को पर्यटन नक्शे से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए फरसाबहार ब्लाक में स्थित कोतेबीराधाम में लक्ष्मण झूला के तर्ज पर पुल निर्माण की घोषणा की है। इसके साथ ही जिले में देशदेखा,रानीदाह जैसे पर्यटन स्थलों को विकसित करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री साय का लक्ष्य जिले में ग्रीन उद्योग विकसित कर जिलेवासियों को रोजगार उपलब्ध कराना है।
रायपुर /शौर्यपथ /राज्यपाल रमेन डेका ने प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के तहत छत्तीसगढ़ को वर्ष 2025-26 तक टी.बी. से मुक्त राज्य बनाने के लिए सघन प्रयास के निर्देश दिए हैं।
आज यहां राजभवन में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की आयुक्त सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला को उक्ताशय के निर्देश देते हुए कहा कि टी बी के गंभीर मरीजों की समुचित चिकित्सा की व्यवस्था करें। जो टी.बी. मरीज बीच में ही दवा का सेवन बंद कर देते है उन मरीजों पर विशेष ध्यान दिया जाए और उन्हें दवा का पूर्ण कोर्स करने हेतु जागरूक किया जाए। टी.बी. मरीजों को योगाभ्यास के लिए प्रोत्साहित करें जिससे रोग के प्रति उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। श्री डेका ने टी.बी. मरीजों को पर्याप्त पोषण आहार मिले इसके लिए अधिक से अधिक निःक्षय मित्र बनाने के निर्देश भी दिए।
बैठक में राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
दुलदुला, कुनकुरी और तपकरा में करेंगे विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 21 जून को जशपुर जिले के रणजीता स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तरीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस अवसर पर वे जिले के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन भी करेंगे।
मुख्यमंत्री साय जशपुर में नालंदा परिसर का भूमिपूजन करेंगे। दुलदुला विकासखंड में विभिन्न कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास, कुनकुरी के गिनाबहार में मातृ एवं शिशु अस्पताल और सलियाटोली (कुनकुरी) में नालंदा परिसर के लिए भूमिपूजन करेंगे। इसके अलावा वे कुनकुरी के सद्भावना भवन में ठाकुर समाज के द्वारा आयोजित सामाजिक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे। तपकरा में मुख्यमंत्री साय तहसील भवन का शुभारंभ करेंगे और वन विभाग के कार्यक्रम में भी भाग लेंगे।
"स्वच्छता अभियान के कर्मचारी बना दिए गए बाबू! नियमों की उड़ रही धज्जियां"
– शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट
दुर्ग। क्या नगर निगम अब कर्मचारियों की मनमानी से चलेगा या चुने हुए जनप्रतिनिधियों के निर्देशों से? यह सवाल आज दुर्ग निगम के कर्मचारियों के मन में गूंज रहा है। कारण है – महापौर अलका बाघमार द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों की अनदेखी और अधिकारियों की कार्यशैली में गहराई से जमी उदासीनता।
हाल ही में सामने आया मामला न केवल एक कर्मचारी की पदस्थापना से जुड़ा है, बल्कि यह सीधे-सीधे शहरी प्रशासन की गंभीर चूक और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का उदाहरण भी बन चुका है।
महापौर का निर्देश... और उसका उल्लंघन!
मामला जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पंजीयन शाखा से जुड़ा है, जहां पिछले दो वर्षों से मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत नियुक्त एक कर्मचारी कार्यालयीन कार्य में सलग्न है – जबकि मिशन क्लीन सिटी के कर्मचारियों को शुद्धत: फील्ड ड्यूटी (साफ-सफाई एवं नगर व्यवस्था) के लिए ही नियुक्त किया गया है।
महापौर अलका बाघमार ने इसे गंभीर मानते हुए उक्त कर्मचारी को मूल कार्यक्षेत्र (फील्ड ड्यूटी) में वापस भेजने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के सक्षम अधिकारी धर्मेश मिश्रा को दिए। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आज तक उस कर्मचारी की पदस्थापना वहीं की वहीं बनी हुई है।
जब इस पर स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेश मिश्रा से जानकारी मांगी गई तो उनका उत्तर था – "कर्मचारी को नियंत्रित स्थान पर भेज दिया गया है।"
लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है – संबंधित कर्मचारी अब भी जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा शाखा में कार्यरत है। तो क्या अधिकारी झूठ बोल रहे हैं? या फिर महापौर के निर्देश अब महज कागजों तक सीमित रह गए हैं?
नियमों की धज्जियां, प्रशासन की चुप्पी
स्वच्छ भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण अभियान के कर्मचारी यदि कार्यालयों में भृत्य की भूमिका में बैठाए जाएंगे, तो न तो मिशन सफल होगा और न ही प्रशासन पर जनता का विश्वास बच पाएगा। नगर निगम का यह रवैया साफ तौर पर यह संकेत देता है कि यहां या तो नियमों की समझ नहीं है, या फिर नियमों की धज्जियां उड़ाना अब सामान्य चलन बन गया है।
एक चिंगारी से उठेगा आंदोलन?
इस खुलासे के बाद निगम के अन्य मिशन क्लीन सिटी कर्मचारी भी अब अंदरखाने सक्रिय हो गए हैं। जिनकी शैक्षणिक योग्यता बेहतर है, वे भी अब फील्ड की जगह कार्यालयों में पदस्थापना की मांग करने लगे हैं। यह स्थिति अगर आगे भी बनी रही, तो यह न केवल प्रशासनिक असंतुलन को जन्म देगी, बल्कि एक बड़े असंतोष और आंदोलन की भूमि भी तैयार करेगी।
प्रश्न जनता का, जवाब प्रशासन का...?
क्या निगम में महापौर के निर्देशों का कोई औचित्य नहीं बचा?
क्या अधिकारी जानबूझकर नियमों को तोड़ रहे हैं?
और क्या नगर निगम का प्रशासन अब "जुगाड़ व्यवस्था" से संचालित होगा?
शहर अब जवाब मांग रहा है। प्रशासन को यह तय करना होगा कि वह नियमों के साथ चलेगा या चुप्पी की चादर ओढ़े रहेगा।
मिशन क्लीन सिटी के अंतर्गत, कर्मचारियों द्वारा मुख्य रूप से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और निपटान का कार्य किया जाता है। इसके अतिरिक्त, वे सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र करते हैं, और कचरे को सॉलिड एंड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएलआरएम) केंद्रों में अलग-अलग करके रिसाइकिलिंग उद्योगों को बेचते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मिशन क्लीन सिटी का उद्देश्य न केवल शहरों को साफ रखना है, बल्कि सफाई कर्मचारियों के जीवन को भी बेहतर बनाना है.
बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या छोटी वस्तुओं से दूर रखें-डॉ. प्रशांत सिंह
कोरिया/शौर्यपथ /बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या छोटी वस्तुओं से दूर रखें-डॉ. प्रशांत सिंहनगर पालिका शिवपुर-चरचा के वार्ड क्रमांक 13 में एक मासूम बच्चे की जान पर उस समय बन आई, जब खेल-खेल में उसके गले में एक सिक्का फंस गया। गला अवरुद्ध होने के कारण बच्चा गंभीर अवस्था में पहुंच गया। लेकिन समय पर की गई चिकित्सकीय कार्रवाई से उसकी जान बच गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वार्ड क्रमांक 13 निवासी राजेश विश्वकर्मा के 7 वर्षीय पुत्र सार्थक ने अनजाने में खेलते बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या छोटी वस्तुओं से दूर रखें-डॉ. प्रशांत सिंहसमय एक सिक्का निगल लिया, जो उसके गले में जाकर फंस गया। बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर नगर पालिका उपाध्यक्ष राजेश सिंह ने तत्काल डॉक्टर को फोन कर सूचना दी कि बच्चे की हालत बेहद नाजुक है और उसे तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता है।
सूचना मिलते ही सिविल सर्जन व अधीक्षक डॉ. आयुष जायसवाल के मार्गदर्शन में डॉ. योगेंद्र चौहान एवं उनकी चिकित्सा टीम जिला अस्पताल, बैकुंठपुर लेकर आए बच्चे की तत्काल जांच कर उपचार शुरू किया। टीम की त्वरित कार्रवाई और दक्षता से गले में फंसे सिक्के को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया। बच्चे की हालत अब स्थिर है।
इस घटना के बाद जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रशांत सिंह ने अभिभावकों से अपील की है कि वे छोटे बच्चों को सिक्का, पिन, सुई, कांच, छोटी गिट्टी या किसी भी प्रकार की छोटी वस्तुओं से दूर रखें, क्योंकि ये जानलेवा साबित हो सकती हैं। चिकित्सकों ने सलाह देते हुए कहा है कि छोटे बच्चों की निगरानी हमेशा रखें। ऐसी छोटी वस्तुएं बच्चों की पहुंच से दूर रखें। किसी आकस्मिक स्थिति में बिना देरी चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।