August 04, 2025
Hindi Hindi

गुस्से में कही गई बातों को उकसावा नहीं कहा जा सकता : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

  • Ad Content 1

जबलपुर/शौर्यपथ /मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए उच्चतम न्यायालय के एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि गैर-इरादतन गुस्से में कही गई बातों को उकसावा नहीं कहा जा सकता है.हाईकोर्ट ने इस संबंध में निचली अदालत के एक फैसले को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल ने 16 दिसंबर को एक आदेश पारित करके दामोह जिले में मूरत सिंह नामक व्यक्ति की आत्महत्या से जुड़े दो साल पुराने मामले में निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. निचली अदालत ने आवेदकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 34 (समान मंशा से कई लोगों द्वारा किया गया कार्य) के तहत आरोप तय कर दिए थे.
न्यायमूर्ति पॉल ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का संदर्भ दिया, जिसमें कहा गया है, ‘‘आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध, उस व्यक्ति की मंशा पर आधारित होता है जो उकसाता है, ना कि उकसाने वाले व्यक्ति के कदमों व गतिविधियों पर. आत्महत्या के लिए उकसाना, किसी को उकसाने, साजिश या जानबूझकर सहायता करना हो सकता है जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में कहा गया है. लेकिन गुस्से में कही गई किसी बात या बिना किसी मंशा से कोई बात नहीं बताने को उकसावा नहीं मान सकते हैं.''
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस विश्लेषण के मद्देनजर, (निचली) अदालत ने 23.09.2021 के अपने आदेश में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 306/34 के तहत आवेदक के खिलाफ आरोप तय करने में गलती की है. परिणामस्वरूप 23.09.2021 के आदेश को रद्द किया जाता है. पुनर्विचार याचिका के लिए अनुमति दी जाती है.''

Rate this item
(0 votes)

Latest from शौर्यपथ

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)