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नई दिल्ली/शौर्यपथ /सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के निठारी हत्याकांड के दो आरोपियों मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने बरी किए गए आरोपियों को भी नोटिस जारी किया है.
पीठ ने पीड़ित लड़कियों में से एक के पिता द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी हत्याकांड से संबंधित कुछ मामलों में पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा उनको दी गई मौत की सज़ा को पलट दिया था. हाईकोर्ट ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में बरी कर दिया था जबकि उन्हें पहले हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और इन मामलों में ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील के अनुसार, हाईकोर्ट ने मेडिकल साक्ष्य के साथ-साथ मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए आरोपी के न्यायिक कबूलनामे को गलत तरीके से खारिज कर दिया. निठारी हत्याकांड 2005 और 2006 के बीच हुआ था. यह मामला दिसंबर 2006 में लोगों के ध्यान में आया, जब नोएडा के निठारी गांव में एक घर के पास नाले में कंकाल पाए गए.
इसके बाद पता चला कि मोनिंदर सिंह पंढेर घर का मालिक था और कोली उसका नौकर था. सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और अंततः कई मामले दर्ज किए. सभी मामलों में सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, दुष्कर्म और सबूतों को नष्ट करने सहित विभिन्न आरोपों में आरोपी बनाया गया था, जबकि मोनिंदर सिंह पंढेर को अनैतिक तस्करी से संबंधित एक मामले में आरोपित किया गया था. कोली को अंततः विभिन्न लड़कियों के साथ कई दुष्कर्म और हत्या करने का दोषी ठहराया गया और 10 से अधिक मामलों में मौत की सजा सुनाई गई.
जुलाई 2017 में, सीबीआई अदालत ने पंढेर और कोली को 20 वर्षीय महिला पिंकी सरकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया और उन्हें मौत की सजा सुनाई थी.
पुलिस ने 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी स्थित पंढेर के घर से 19 कंकाल बरामद किए गए थे. पंढेर और कोली के खिलाफ 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए थे, जबकि साक्ष्य के अभाव में तीन मामलों को बंद कर दिया गया था.
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