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नई दिल्ली / शौर्यपथ / सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर फिलहाल रोक लगाने की मांग का मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. HC में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि परियोजना को लेकर कई चुनौतियां हैं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार किया. कई दिनों लंबी सुनवाई के बादसुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना को मंजूरी दी. यह निर्माण लंबे समय से चल रहा है, लेकिन जिन लोगों को प्रोजेक्ट पसंद नहीं है वो लोग अदालत के सामने दूसरे तरीके की दलीलें अपनाकर रोकने की मांग कर रहे हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अप्रैल की अधिसूचना के बारे में कोर्ट को बताया कि इसमें किसी भी निर्माण गतिविधि को प्रतिबंधित नहीं किया गया था, तब रेस्तरां और कई अन्य गतिविधियों की अनुमति थी. निर्माण को लेकर सीमित प्रतिबंध 19 अप्रैल, 2021 को आया, लेकिन यह केवल उन निर्माण पर था जहां ऑनसाइट श्रमिक नहीं रहते थे. उन्होंने कहा कि किसी न किसी बहाने से कुछ लोग इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं इसके लिए किसी बहाने से जनहित याचिका का सहारा लिया जा रहा है.जो तस्वीरें कोर्ट को दिखाई गई हैं उसमें याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छिपाने का काम किया है. कंस्ट्रक्शन साइट पर चिकित्सा सुविधा है और श्रमिकों को चिकित्सा सुविधा हमेशा मिल रही है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में जनहित याचिका को बहुत सीमित रखा गया है. याचिका में 2 या 3 किमी दूर अन्य श्रमिको की परवाह नहीं की गई है. याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य परियोजनाओं पर आपत्ति नहीं की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी ये असामान्य घटना है जबकि उन्हें दूसरे प्रोजेक्ट में लगे अन्य कामगारों की परवाह नहीं है.
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