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नई दिल्ली / शौर्यपथ / सरकार द्वारा संचालित सोवेरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम का सब्सक्रिप्शन सोमवार, 8 जून को शुरू हो रहा है. यह गोल्ड बॉन्ड स्कीम की तीसरी कड़ी है, जो सबसे पहले इसी साल अप्रैल में बाज़ार में उतारी गई थी. केंद्र सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक, यानी रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी किए गए यह बॉन्ड सरकार के बाज़ार से कर्ज़ उठाने की योजना का हिस्सा हैं, जिसमें प्रत्येक बॉन्ड की कीमत एक ग्राम सोने के बराबर है. RBI ने पिछले सप्ताह जानकारी दी थी कि SGB 2020-21 योजना की तीसरी किश्त या शृंखला में जारी किए जाने की कीमत 4,677 रुपये प्रति ग्राम रखी गई है. कोरोनावायरस महामारी के चलते दुनियाभर के वित्तीय बाज़ार संकट में हैं, लेकिन सुरक्षित निवेश के रूप में स्वर्ण के प्रति लगाव बढ़ा है.
गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने से पहले जान लें, सभी ज़रूरी बातें...
गोल्ड बॉन्ड ब्याज दर
SGB पर 2.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से निश्चित ब्याज दिया जाएगा, जिसका भुगतान छमाही आधार पर होगा.
कौन खरीद सकता है गोल्ड बॉन्ड...?
देश में बसे नागरिक, हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF), ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी तथा चौरिटेबल संस्थान SGB योजना में निवेश कर सकते हैं.
गोल्ड बॉन्ड जारी होने पर कीमत
सब्सक्रिप्शन शुरू होने से पहले के सप्ताह के अंतिम तीन कार्यदिवसों के लिए मुंबई-स्थित इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित किए गए 999-शुद्धता सोने के दाम के औसत के आधार पर गोल्ड बॉन्ड की कीमत तय की जाती है. डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले ऑनलाइन सब्सक्राइबरों को 50 रुपये प्रति ग्राम का डिस्काउंट भी दिया जाता है.
गोल्ड बॉन्ड से जुड़ी अहम तारीखें
गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी शृंखला 11 से 15 मई तक जारी रही थी, और अगली, यानी तीसरी शृंखला 8 जून को शुरू हो रही है. यह गोल्ड बॉन्ड योजना वर्ष में छह बार जारी की जाएगी.
गोल्ड बॉन्ड में निवेश कैसे करें...?
SGB की बिक्री वाणिज्यिक बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन, चिह्नित डाकघरों तथा स्टॉक एक्सचेंजों BSE व NSE के ज़रिये की जाएगी. इन बॉन्ड को RBI बुक या डीमैट स्वरूप में रखा जा सकता है.
कितना है गोल्ड बॉन्ड लॉक-इन...?
गोल्ड बॉन्ड योजना आठ वर्ष की अवधि के साथ आती है, जिसमें पांचवें वर्ष के बाद बाहर निकल आने का विकल्प रहता है. इस विकल्प का प्रयोग ब्याज भुगतान तिथियों पर किया जा सकता है.
गोल्ड बॉन्ड में निवेश की सीमा
योग्य व्यक्तियों तथा HUF द्वारा एक वित्तवर्ष के दौरान न्यूनतम एक ग्राम तथा अधिकतम चार किलोग्राम सोना हासिल किया जा सकता है. ट्रस्ट तथा समान संस्थाएं एक वित्तवर्ष के दौरान 20 किलोग्राम तक सोना खरीद सकती हैं.
गोल्ड बॉन्ड का टैक्स पर पड़ने वाला असर
गोल्ड बॉन्ड पर हासिल होने वाला ब्याज करयोग्य है. हालांकि बॉन्ड बेच देने पर होने वाले कैपिटल गेन पर व्यक्तिगत निवेशकों को टैक्स नहीं देना होगा.
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