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दुर्ग । शौर्यपथ । दुर्ग निगम में इस बार 20 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी । 20 साल बाद बनने वाली शहरी सरकार में ऐसी कई बातें हुईं जो एक यादगार पलो के रूप में याद आती रहेंगे जिसमे कुछ अच्छी तो कुछ बुरी याद शामिल है जिन्हें जनता नही भूल पाएगी ।
प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनते ही दुर्ग निगम में भी बदलाव आया और कांग्रेस की लहर में दुर्ग निगम भी शामिल हो गया । इस जीत के बाद जो यादे सदैव बनी रहेगी उसमें मदन जैन , राजेश यादव , राजकुमार नारायणी , हमीद खोखर , अब्दुल गनी और धीरज बाकलीवाल की जिंदगी में बहुत बदलाव हुआ । धीरज बाकलीवाल जो पहली बार लोकतंत्र में चुनाव लड़े और विजयी हुए महापौर के रूप में चयनित हुए वही मदन जैन जो मोती लाल वोरा के साथ राजनीति किये एमआईसी में भी जगह पाने से वंचित हुए तो पूर्व सभापति को भी प्रभारी के रूप में जगह नही मिली किन्तु अब्दुल गनी के भाग्य ने साथ दिया और दो बार कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद भी पीडब्ल्यूडी का प्रभार मिला वही कांग्रेस में प्रवेश हुए हमीद खोखर को भी स्वास्थ्य विभाग से नवाजा गया ।
अब्दुल गनी , राजकुमार नारायणी और मदन जैन तीनो में एक समानता रही तीनो ने ही महापौर के लिए दावेदारी पेश की थी और धीरज बाकलीवाल का विरोध किया था । अब्दुल गनी तो विरोध स्वरूप वोरा के निवास भी पहुंच गए थे और गर्मागर्म बहस भी हो गई थी जिसका वीडियो भी वाइरल हो गया था एक पल तो ऐसा लगा कि पूर्व की तरह एक बार फिर कांग्रेस से बगावत करेंगे किन्तु प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने से इसकी संभावना कम ही नजर आ रही थी शायद यह विरोध काम आया और गनी को पीडब्ल्यूडी का प्रभार उपहार स्वरुप मिल गया वही विरोध करने वाले मदन जैन और राजकुमार नारायणी को एमआईसी में जगह नही मिली जबकि दोनो ने कभी कांग्रेस का विरोध नही किया और पार्टी से जुड़े रहे .
इन सबमे एक ऐसा व्यक्ति भी है जो सालो से राजनीति से दूर रहा एक समय वर्तमान मुख्यमंत्री बघेल के साथ राजनीति में सक्रिय रहा जिसके बारे में मुख्यमंत्री बघेल ने शपथग्रहण के दौरान भी इस बात को कही गयी । राजेश यादव जो वर्तमान में निगम के सभापति है जो कभी वर्तमान मुख्यमंत्री के साथ राजनीति में सक्रिय रहे किन्तु निगम के लापरवाह या गैर जिम्मेदाराना कार्य कह सकते है लगातार निगम के कांग्रेसी सभापति को अनदेखा किया जा रहा है । आखिर ऐसी क्या वजह है कि निगम के कार्यक्रमो में राजेश यादव कम ही देखे जाते है , उद्घाटन पट्टिका हो या साइन बोर्ड राजेश यादव का नाम गायब रहता है । जबकि संविधान के नियम के अनुसार सवैधानिक पद में आसीन है राजेश यादव . फिर उद्घाटन पट्टिका में आखिर किस कारण से राजेश यादव के नाम को अनदेखा किया जाता है क्या निगम के जिम्मेदार अधिकारी राजेश यादव को जानबूझ कर अनदेखी कर रहे है या ये किसी के इशारे पर हो रहा है या फिर इन अधिकारियों की मंशा महापौर व विधायक वोरा को बदनाम करने का एक तुच्छ प्रयास है कारण जो भी हो किन्तु दुर्ग निगम में कांग्रेस के सभापति का यू अपरोक्ष अपमान करके जिम्मेदार अधिकारी क्या संदेश देना चाहते है । क्या महापौर इस मामले को संज्ञान लेंगे ?
भाजपा शासन में भी नहीं हुआ विपक्षी सदस्यों का अपमान
प्रदेश में १५ साल भाजपा का राज था वाही निगम में २० सालो तक भाजपा का शासन था . पूर्व के सालो में निगम के सभापति राजकुमार नारायणी थे तब भाजपा ने बिना भेदभाव के स्वक्ष राजनीती का परिचय देते हुए सभापति के पद का मन रखते हुए उद्घाटन पट्टिका पर महापौर के साथ सभापति का नाम भी अंकित करवाते रहे किन्तु ऐसी पारदर्शिता और संस्कार जाने अब क्यों विलुप्त हो गए .
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