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दुर्ग / शौर्यपथ / प्रशासनिक ताकत क्या होती है इसका जीता जागता उदहारण है दुर्ग निगम . दुर्ग निगम में इन दिनों जुर्माना , कार्य में लापरवाही पर कर्मचारियों को नोटिस ,आम जनता की शिकायतों की अनसुनी , कार्यवाही में भेदभाव का जीता जागता उदहारण बनता जा रहा है दुर्ग निगम . आइये ऐसे कुछ मामले है जिन पर नजर डाले तो जिस पर कार्यवाही में भेदभाव किस तरह व्याप्त है .
१ एम्आईसी भावानौर निगम कार्यालय का रंगरोगन ...
निगम में कांग्रेस की सत्ता आने क बाद निगम कार्यालय और एमआईसी भवन में रंरोगन का कार्य हुआ स्पष्ट दीखता है कि एक ठेकेदार द्वारा एमआईसी भवन में स्तरहीन मटेरियल का ईस्तमाल किया गया और सिर्फ लीपापोती की गयी वही दूसरी ओर निगम कार्यालय के रंरोगन की स्थिति जुदा है दोनों को देखने से ही साफ़ अंतर पता चल जाता है किन्तु निगम प्रशासन और पीडब्ल्यूडी प्रभारी मौन है इस पर कोई अधिकारी या इंजिनियर क्यों संज्ञान नहीं ले रहा ...
२.नाले में कचरा डालने पर बड़ा बड़ा जुर्माना वसूलने वाले निगम प्रशासन को ऐसी कई शिकायते और सुचना दी गयी किन्तु प्रशासन मौन रहा क्योकि एक तरफ आम जनता से जुर्माना वसूला गया वही दूसरी तरफ रसूखदार थे तो माफ़ी मिल गयी .
३.शहर के सुनसान इलाके में नाली पर अतिक्रमण कर घेता करने वाले पर निगम की जेसीबी से कार्यवाही की गयी वही नाले पर अतिक्रमण करने वाले और २० फीट के नाले को ३ फीट बनाने वाले पर निगम प्रशासन मौन है और सुचना के बाद भी कार्यवाही नहीं की जा रही ये कैसा दोहरा मापदंड है ?
४.एक तरफ अवैध मुर्गी फ़ार्म की शिकायत करने वालो की शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा रहा वही दूसरी ओर शिकायत करने वाले के निवास में निर्माण का मटेरियल सड़क पर होने और कच्ची नाली पर होने के कारण हजारो का जुर्माना लेने अधिकारी एक पैर पर दौड़ पड़ते है क्या अवैध मुर्गी फ़ार्म के मालिक से कोई ख़ास लगाव है निगम प्रशासन का ?
५. गुन्वात्त्ता हीं निर्माण पर ठेकेदारों पर कार्यवाही होती है ये एक अच्छे प्रशासक की निशानी तो है किन्तु उसी कार्य के लिए जिम्मेदार इंजिनियर पर कोई कार्यवाही का ना होना ये साफ़ संकेत करता है कि निगम प्रशासन सिर्फ ठेकेदारों पर ही प्रशासनिक बल दिखा रहा है क्योकि ठेकेदार शासन के आगे नतमस्तक है किन्तु वही कार्य के निर्ग्रानी करने वाले इंजिनियर पर मेहरबान है क्या इंजिनियर भी दोषी नहीं है गुन्वात्ताहीं कार्य पर मौन रह कर क्योकि निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायत आम जनता ने की थी तो इस आधार पर अकेले ठेकेदार ही नहीं जिम्मेदार वार्ड इंजिनियर भी दोषी होना चाहिए किन्तु निगम के मुखिया का प्रकोप्ठेकेदार पर ही पडा आखिर ऐसा क्यों ?इस एक तरफा कार्यवाही पर निगम के अनुभवी पार्षद और पीडब्ल्यूडी प्रभारी का मौन रहना भी सत्ता की नाकामी की तरफ संकेत करता है .
आखिर निगम प्रशासन क्यों इस तरह एक तरफ़ा कार्यवाही कर वाह वाही लुट रहा है आखिर निष्पक्ष कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है निगम के प्रशासनिक मुखिया द्वारा ?
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