November 21, 2024
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छत्तीसगढ़ के मंत्री और समर्थको के लिए नहीं है लॉक डाउन का कोई नियम ? Featured

रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश के पीएचई मंत्री गुरु रूद्र कुमार का 23 जुलाई को जन्मदिन था . और 23 जुलाई से ही दुर्ग जिले में व 22 जुलाई से रायपुर में लॉक डाउन प्रारंभ हुआ . प्रशासन की माने तो यह लॉक डाउन कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए लगाया जा रहा है ताकि 7 दिनों के लॉक डाउन में कोरोना संक्रमण की चेन ब्रेक हो . लॉक डाउन ज़रूरी भी इसलिए हो गया कि प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे है और सरकार के प्रयासों पर विपक्ष लगातार ऊँगली उठा रही है .
इस लॉक डाउन में प्रदेश में ऐसे कई मामले आये जहा यादगार पल को भी जनता ने अकेले परिवार के बीच मनाया और शासन के आदेशो का पालन कर घर में लॉक रहे दो वक्त की रुखी सुखी खा ली किन्तु घर में ही रहे ताकि संक्रमण के रोकथाम में शासन के आदेशो का पालन हो सके .
किन्तु यही विचार सत्ता में बैठे मंत्री नहीं कर पाए , जनप्रतिनिधि नहीं कर पाए . बड़ी बड़ी बाते कहकर जनता को शासन के आदेशो का पालन करने और सरकार के कार्यो का समर्थन करने की बात कहने वाले मंत्री अपने ही उपर ये नियम क्यों लागू नहीं कर पाते क्या शासन के नियम से उपर है मंत्री .

   दुर्ग जिले से मंत्री गुरु रूद्र कुमार 23 जुलाई को अपना जन्मदिन मना रहे थे और उनको बधाई देने वालो की लम्बी फौज दुर्ग से रायपुर तक थी . एक ओर जहां आम जनता 12 बजे के बाद नहीं निकल सकता शासन के आदेश के अनुसार वही मंत्री जी को बधाई देने वालो के लिए कोई समय सीमा नहीं थी कोई भी कभी भी कितनी भी संख्या में किसी भी जिले से पहुँच सकता था ऐसा रुतबा है प्रदेश के मंत्री महोदय का और उनके समर्थको का जिनके लिए लॉक डाउन के नियमो का कोई अर्थ नहीं . लॉक डाउन के नियम सब्जी वालो पर लागू होते है जो समय से थोड़ा ज्यादा बैठ जाए , लॉक डाउन के नियम दूध बेचने वालो पर लागू होते है जो समय सीमा के बाद भी बचे हुए दूध को बेचने की कोशिश करते है , लॉक डाउन के नियम उन पर लागू होते है जो सालो से मोर्निंग वाक कर रहे है स्वस्थ हवा ले रहे है किन्तु नियमो के चलते या तो जुर्माना भर रहे है या फिर घर में बैठे है क्या यही है लॉक डाउन का नियम क्या ऐसे ही सुशासन की बात करेंगे प्रदेश सरकार के मंत्री जी , जनप्रतिनिधि गण . क्या जनता के द्वारा चुने सेवक जनता से अलग हो गए कानून इनके लिए अलग हो गया .
क्या इसी लिए सत्ता की चाह थी कि सत्ता में आते ही शासन के नियम जिनको धरातल में लाने की जिम्मेदारी मंत्री जी की , जनप्रतिनिधियों की भी होती है वही शासन के नियमो की धज्जी उडाये ? और प्रशासन के अधिकारी मौन होकर अपना सारा गुस्सा आम जनता पर उतारे ? क्या ऐसे होता है लॉक डाउन ?

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