CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम में एक प्रथा सी चल गयी है जो गोस्वामी बोले वही सही उसके आगे शासन का कोई नियम काम नहीं करता सब नियम जैसे दुर्ग निगम के प्रभारी ईई मोहनपुरी गोस्वामी के आगे नतमस्तक हो जाते है . कहने को तो शासन द्वारा जनहित के कार्य हेतु कई नियम बनाए गए है ताकि जनता का पैसा पूरी पारदर्शिता से जनहित में ही खर्चा हो . प्रदेश के मुखिया भी लगातार आम तबके के लिए कोई ना कोई योजना निकाल रहे है ताकि सभी को रोजगार प्राप्त हो सके किन्तु दुर्ग निगम में भाजपा के 20 साल की सत्ता को भरष्टाचार की सत्ता का तमगा देने वाली कांग्रेस आज निगम में है , विधान सभा क्षेत्र में है और प्रदेश में है बावजूद इसके लगातार शासन के नियमो की धज्जी उड़ाई जा रही है और निगम के सर्वेसर्वा आयुक्त बर्मन जो सयुक्त कलेक्टर स्तर के अधिकारी है मौन है , विधायक जो भाजपा शासन में एक नाली भी निर्माणाधीन के समय टूट जाती तो निगम के दरवाजे पर धरना देने बैठ जाते थे और जो आज सत्ता पक्ष में प्रभारी है ऐसे कई नेता भाजपा शासन के समय छोटे छोटे भरष्टाचार पर पानी पी पी कर आरोप लगाते थे आज वही जनप्रतिनिधि और अधिकारी निगम में खुले आम प्रभारी ईई के कार्य पर मौन है .
प्रभारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी द्वारा पिछले कई महीनो से कार्य की निविदा बाद में निकाली जाती है और कार्य पहले ही अपने पसंद के ठेकेदार को दे दिया जाता है . ऐसा मामला पहली बार शौर्यपथ समाचार द्वारा तब उठाया गया था जब टूटी फूटी डिवाईडर के रंगरोगन का कार्य गोस्वामी द्वारा एक ठेकेदार को दे दिया गया था तब यह बात कही गयी थी कि अति आवश्यक कार्य है किन्तु डिवाईडर पेंटिंग के कार्य के 3-4 माह बाद डिवाइडर के संधारण का कार्य जिला पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा किया गया और एक बार फिर निगम के लाखो रूपये बर्बाद हो गए तब भी आयुक्त बर्मन ही थे किन्तु तब भी शासकीय / मौखिक आदेशो का हवाला दिया गया .
ऐसा ही मामला पिछले माह हुआ जब 10-12 कार्य जो पूर्ण हो चुके थे या पुर्णत: की ओर थे तत्पश्चात उसका टेंडर निकला जो की दिखावा मात्र था और निगम के किसी भी ठेकेदार को ये टेंडर नहीं भरने दिया गया ये गजब कैसे हुआ ये यहाँ बताने की आवश्यकता नहीं क्योकि कोई भी ठेकेदार अधिकारियों से बैर मोल नहीं ले सकता किन्तु इन सब कार्यो में खुलकर शासन के नियमो की धज्जी उडी और ये मामला भी दबा दिया गया और एक बार फिर गोस्वामी के द्वारा शासन के नियमो को कचरे के डिब्बे में डाल दिया गया .
अब ऐसी ही स्थिति वर्तमान में फिर से आ गयी जब 5-6 कार्य की निविदा प्रपत्र अभी जमा करने की तारीख नहीं आयी और ठेकेदार को कार्य चालु करने का आदेश हो गया और ये कार्य गौठान में प्रारंभ भी हो गया . क्या मोहनपुरी गोस्वामी अन्तर्यामी है या आयुक्त ऐसी कोई कला जानते है कि टेंडर में भले ही 1000 लोग भाग ले टेंडर फला आदमी के नाम ही खुलेगा इसलिए कार्य प्रारंभ करने का आदेश दे दिया जाए . अगर ऐसी कला में निपुण है तो दुर्ग निगम सहीत प्रदेश के लिए भी ये एक बड़ी उपलब्धि होगी कि कार्य किसे करना है ये पहले से ही ज्ञात हो जाता है दुर्ग निगम के अधिकारियो को . अगर ऐसा नहीं है तो फिर किस नियम के तहत चुनिन्दा ठेकेदारों को कम दर पर कार्य दिया जा रहा है बिना मुकाबले के . अगर कार्य की गुणवत्ता पर इन्ही चुनिन्दा ठेकेदारों पर भरोसा है तो निगम के बांकी ठेकेदारों का क्या काम ?
कहा गए वो सत्ता पक्ष के काबिल जनप्रतिनिधि जो विपक्ष में रहते हुए टूटी हुई नालिया देख कर भ्रष्टाचार का राग अलापते थे क्या बिना निविदा के कार्य का आदेश देने पर अब मौन धारण कही टेबल के निचे का लिफाफा तो नहीं क्योकि प्रभारी ईई गोस्वामी पर पिछली दीपावली में लिफाफा बाँटने का खेल का उजागर एक समाचार पत्र में हुआ था और इस पर ईई गोस्वामी द्वारा आपत्ति ना उठाना साफ़ सन्देश देता है कि दाल में काला है तभी मौन रह गए वरना कोई इमानदार अधिकारी होता तो अभी तक मानहानि का दावा ठोक चुका होता किन्तु यहाँ सब मौन है , फिर क्या आयुक्त , क्या विधायक , क्या महापौर , क्या निगम के सबसे वरिष्ठ और जानकार पीडब्ल्यूडी प्रभारी गनी सभी मौन है क्या अर्थ निकाले आम जनता इनके मौन का ?
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.