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शौर्यपथ विशेष
दुर्ग / शौर्यपथ / इसे दुर्ग शहर के विकास की बदकिस्मती ही कहा जाए कि दुर्ग शहर में विकाश के हर कार्य लेट हो रहे है और राशि की कमी की बात हो रही है . वही दुर्ग से लगे हुए दो निगम क्षेत्र भिलाई और नवनियुक्त निगम रिसाली में विकास के कार्यो की बौछार हो रही है किन्तु दुर्ग निगम इससे अभी भी अछुता है . कल प्रभारी मंत्री की समीक्षा बैठक में इस बात की ओर इशारा दुर्ग विधायक अरुण वोरा के द्वारा किया भी गया . दुर्ग में अभी भी विकास की गंगा कही लुप्त है . जनवरी से दुर्ग निगम में कांग्रेस की सत्ता है और प्रदेश में लगभग दो साल से कांग्रेस की सत्ता है बावजूद इसके दुर्ग में विकास के नाम पर अभी भी मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने को ही मिल रहे है जबकि दुर्ग के इसी निगम क्षेत्र में प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री का भी निवास स्थान है ऐसे में पीडब्ल्यूडी के कार्यो में भी देरी होना शहर के लिए शहर के विकास के लिए चिंता का विषय है .
विकास कार्यो के लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी होती है कि सरकार से फंड लाये किन्तु जिस तरह दुर्ग के विधायक का ब्यान आया उससे यही प्रतीत होता है कि दुर्ग निगम क्षेत्र को प्रदेश सरकार कोई महत्तव नहीं देती शायद यही कारण है कि देश के सबसे कद्दावर नेताओ में शुमार मोतीलाल वोरा के गृह क्षेत्र में विकास की गंगा लुप्त है . अगर विधायक वोरा की बातो को माने तो उनके अनुसार शासकीय अधिकारी भी इसके जिम्मेदार है क्योकि दुर्ग विधान सभा क्षेत्र और निगम क्षेत्र एक होने से अधिकतर विकास कार्य निगम के द्वारा होना होता है किन्तु विधायक की माने तो निगम आयुक्त विधायक की नहीं सुनते . पूर्व में भाजपा सरकार के समय भी दुर्ग के विधायक द्वारा कभी निगम आयुक्त के सन्दर्भ में इस तरह की बात नहीं कही गयी थी किन्तु आज सत्ता में होने के बाद भी अगर सत्ता पक्ष के विधायक द्वारा खुद के शहरी सरकार पर ऊँगली उठ रही है तो ये चिंता का विषय है दुर्ग की जनता के लिए . क्योकि ये जगविदित है कि शहरी सरकार की बागडौर महापौर बाकलीवाल को देने में अहम् भूमिका विधायक वोरा की ही थी उनका ही प्रयास था कि दुर्ग कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद मदन जैन को दरकिनार किया गया और बगावती तेवर अपनाने वाले पार्षद अब्दुल गनी को पीडब्ल्यूडी का प्रभार देकर शांत करवा लिया गया .
इसमें कोई दो राय नहीं है कि निगम में अधिकारियों की मनमानी चरम सीमा पर है जिसका ज्वलंत उदहारण प्रभारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी है जो विगत दो माह में 15-20 कार्य बिना निविदा के अपने मनपसंद ठेकेदार को दे दिए और नियमो का आवश्यक्ताओ की आड़ में लाखो का काम बिना निविदा के हो गया किन्तु विधायक द्वारा इस मामले पर कभी कोई आपत्ति नहीं उठाई गयी जो कि शहर में चर्चा का विषय है .
ऐसे ही मामले में आयुक्त बर्मन भी कई जगह मौन रहते है जिसका ज्वलत उदहारण सब इंजिनियर भीम राव है जिसके द्वारा अमृत मिशन के कार्य में लगातार लापरवाही बरती जा रही है जिसकी आलोचना कई बार विधायक वोरा भी कर चुके है किन्तु आयुक्त बर्मन द्वारा एक कुषाण राजनेता की तरह भीम राव के कार्यो की जांच करवाने का आश्वासन बस दे रहे है किन्तु जाँच की तारीख नहीं बता रहे है वही व्ही. पी. मिश्रा को बिना प्रभार के महीनो से बैठा रखे है .
निगम की कार्य प्रणाली को देखे तो विधायक वोरा द्वारा प्रभारी ईई मोहन पूरी गोस्वामी के कार्यो पर कभी असंतोष नहीं जताई गयी . क्या विधायक निधि के कार्यो को देखने का ये इनाम मिल रहा है वही आयुक्त द्वारा अमृत मिशन में हो रही लापरवाही पर मौन साधे बैठे है क्या अमृत मिशन के कार्यो पर लापरवाही का आरोप विधायक द्वारा लगाया जा रहा है इसलिए आयुक्त मौन है ?
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