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दुर्ग / शौर्यपथ / शंकराचार्य होस्पिटल को कोविद होस्पिटल की अनुमति तो मिल गयी किन्तु हॉस्पिटल की अव्यवस्था के किस्से आये दिन समाचारों के माध्यम से प्रकाशित हो रहे है . . होस्पिटल में ओक्सिजन की कमी से एक मरीज की तडफ़ते हुए मौत को गले लगाने के बाद भी ना तो हॉस्पिटल प्रबंधन की नींद खुली और ना ही शासन की . मरीज की मौत के बाद भले ही प्रशासन लीपापोती में लग गया , अस्पताल प्रबंधन लिपा पोती में लग गया किन्तु किसी की भी गलती हो लापरवाही हो एक इंसान तो इस दुनिया से इलाज के अभाव में परलोक पहुँच गया . और शहर के जनप्रतिनिधि जो नाली के उद्घाटन पर भी बड़ी बड़ी बात विकास की कहते है एक शब्द भी नहीं बोले , प्रशासनिक अधिकारी जो एक जऱा सी चुक मरीज से या परिजन से हो जाए तो अपनी क़ानूनी बाते का ऐसा रौब झाड़ते है कि दुनिया के सबसे शक्ति शाली वही है किन्तु किसी की लापरवाही से एक मरीज की जान चली गयी और जाँच की बात करते नजर आ रहे है .
इसी शंकराचार्य हॉस्पिटल में मृत व्यक्तियों की अदला बदली हो गयी और परिजन अपने प्रिय जन को विदा भी नहीं कर पाए और ना ही अंतिम दर्शन कर पाए इतनी बड़ी चुक के बाद भी प्रबंधन और प्रशासन जाँच की बात करता रहा जाँच होगी और कैसे होगी ये जग विदित है अगर विभाग ये जिम्मेदारी सही थांग से निभा ले तो बहुत बड़ी बात क्योकि इसी शहर में यही अधिकारी है जो सालो से सीना ठोक कर अवैध रूप से निजी नर्सिंग होम का सञ्चालन कर रहे है पर आज पर्यंत तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर सका तो वर्तमान में तो कोरोना आपदा और व्यताता का ऐसा पाठ पढ़ायेगा कि फरियादी की फ़रियाद कचरे के डिब्बे में कब चली जायेगी पता भी नहीं चलेगा .
शंकराचार्य हॉस्पिटल कहने को तो मेडिकल कॉलेज है किन्तु कोरोना आपदा में इस कालेज की व्यवस्था की पोल खुल गयी , प्रशासन का आइना दिख गया पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही लापरवाही के बाद अब एक नया मामला फिर सामने आ गया .
मामला है एक महिला की मौत का . महिला के बेटे ने एक पत्र जारी कर अपनी आपबीती सुनाई और न्याय की गुहार के लिए शासन को ललकार लगा दी है . लीला बाई बसोड् जिनकी तबियत खराब होते उसके बेटे को इलाज के दौरान कोरोना पाजि़टिव बताकर शंकराचार्य में भर्ती करवाया भारती करवाने के बाद ही शुरू हुई महिला की नारकीय जिन्दगी . महिला के बेटे के अनुसार उसकी माँ से न बात करवाईं न खाना दिया न पानी दिया, बेटे ने बताया कि मेरी मां से मंगलवार 2/9/ 2020 को रात 8 बजे , बात हुई जो बगल वाले मरीज न करवाईं, मां से कहा मैं कल आऊंगा, मैं 3/9/ दिन बुधवार को वहां पर अनिस सर से दिन भर कहता रहा कि मेरी मां से बात करा दो, लेकिन किसी ने नहीं सुनी मेरी दिन भर बात नहीं होने के कारण मेरी मां सदमे में आ गयी और वो परलोक सिधार गई। बेटे मुकुंद ने बताया कि मुझे मां से बात करने के लिए एक नम्बर दिया गया था 6260221616 इस नंबर नम्बर को मुकुंद के द्वारा दिनभर लगाया जाता रहा लेकिन किसी ने कोई जानकारी नहीं दी और रात 1 बजे मेरी मां की मरने की ख़बर दिया . मुकुंद ने आरोप लगाया कि उसकी माँ की मौत एक साजिश के तहत हुई जिसका आडीयो वाईस रिकार्डिंग मेरे पास है . वहां किसको जाने नहीं देते , और सही ढंग से देख देख नहीं होती मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है, मेरी मां के मौत, हिसाब प्रबंधन को देना होगा।
मुकुंद बसोड ने प्रशासन पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा कि माँ की मौत के बाद उनके जेवर जो वो पहनी हुई थी वो भी नहीं मिले इस बारे में कोई सही जानकारी नहीं दे रहा है . लगातार 3 दिनों की पीड़ादायक स्थिति के बाद मंगलवार 2 सितम्बर की देर रात को श्रीमती बंसोड की मृत्यु की उसके परिजन को दे दी गयी इस तरह अनियमितता की भेंट एक 80 वर्षीया महिला मौत के आगोश में समा गयी.
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