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नईदिल्ली । शौर्यपथ । कोरोना आपदा के दौरान मध्यमवर्गीय परिवार की सबसे बड़ी चिंता लोन की EMI है । लोन से राहत की तारीख 31 अगस्त को खत्म हो गई थी उसके बाद ही बैंक से लोन पटाने काल , मेसेज आने शुरू हो गए थे जिसे 8 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के कारण स्थगित किया गया था किंतु एक बार फिर यह तारीख 28 सितंबर तक के लिए बढ़ गई । सुप्रीम कोर्ट अब इस बारे में 28 सितंबर को फैसला सुनाएगी । लॉकडाउन में आरबीआई की तरफ से दिए गए लोन मोरेटोरियम की सुविधा अगस्त के अंत के साथ ही खत्म हो गई है. अब लोन मोरेटोरियम की सुविधा और कुछ माह के लिए मिलेगी या नहीं इसके लिए 28 सितंबर तक का इंतजार करना होगा. इस मामले को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि बैंक लोन की रिस्ट्रक्चरिंग के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन ईमानदार लेनदारों पर मोराटोरियम के तहत ईएमआई के भुगतान पर मिली छूट की अवधि का ब्याज वसूलकर ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. मनी कंट्रोल के मुताबिक, जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने केंद्र और आरबीआई से कहा कि मामले में अपना जवाब जल्दी दायर करें. कोर्ट की अगली सुनवाई अब 28 सितंबर को होगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कंपाउंड इंटरेस्ट यानि ब्याज पर ब्याज वसूलने और मोरेटोरियमे के दौरान पीनल इंटरेस्ट लगाने पर भी जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग सेक्टर्स की ओर से दलीलें रखी जा चुकी हैं.
सरकार को आज अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करना था लेकिन कुछ मोहलत की मांग की गई. एएनआई के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव दत्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लाखों लोग अस्पताल में हैं. लाखों लोगों के आय का साधन खत्म हो गया है. केंद्र सरकार को अपना रुख साफ करना होगा कि वह ईएमआई के भुगतान पर छूट दे रही है या नहीं. उन्होंने कहा कि लोन की रिस्ट्रक्चरिंग से फायदा क्या हुआ. अगर ये करना ही था तो पहले क्यों नहीं किया गया. राजीव दत्ता ने कहा कि लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज अभी भी जारी है. पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि इस फैसले से लोन लेने वालों पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि उनसे चक्रवृद्धि ब्याज इंट्रस्ट लिया जा रहा है. ब्याज पर ब्याज वसूलने के लिए बैंक इसे डिफॉल्ट मान रहे हैं. यह हमारी ओर से डिफ़ॉल्ट नहीं है. सभी सेक्टर बैठ गए हैं लेकिन आरबीआई चाहता है कि बैंक कोरोना के दौरान मुनाफा कमाए. ठोस योजना के साथ कोर्ट आएं.
सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है. अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए. इस दौरान सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ कोर्ट आएं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि तब तक 31 अगस्त तक एनपीएए ना हुए लोन डिफॉल्टरों को एनपीए घोषित ना करने अंतरिम आदेश जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते दिए. केंद्र ने मांगा दो हफ्ते का समय सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा, उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है. राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और चिंताओं की जांच की जा रही है. केंद्र ने दो हफ्ते का समय मांगा था इस पर कोर्ट ने पूछा था कि दो हफ्ते में क्या होने वाला है? आपको विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस करना होगा. बता दें कि मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद लोगों के पास बैंकों से ईएमआई चुकाने के लिए मैसेज, फोन कॉल्स और ई-मेल्स आने शुरू हो गए हैं. इससे लोगों को अपने बैंक लोन अकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित किए जाने का डर सता रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ग्राहकों को अंतरिम राहत दी है.
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