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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग जिले के सबसे ज्यादा चर्चित और विवादित हाईटेक हॉस्पिटल नेहरु नगर में कल एक युवक की मौत के बाद जबर्दस्त हंगामा हुआ मामला इस कदर बड गया कि गुस्से में परिजनों ने अस्पताल परिसर में तोड़ फोड़ की वही परिजनों द्वारा इस तोडफ़ोड़ की घटना को सिरे से नकारने की बात कही गयी .
बता दे कि शहर का यह चर्चित अस्पताल जिसका वर्तमान नाम हाईटेक हॉस्पिटल है पहले इस हॉस्पिटल का नाम बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल हुआ करता था किन्तु घटिया प्रबंधन के कारण लगातार नुक्सान में जा रहा यह हॉस्पिटल कज़ऱ् में डूबता गया और एक समय ऐसा भी आया कि स्टाफ के द्वारा भी आन्दोलन हुआ वेतन को लेकर मामला कैसे रफा दफा हुआ ये पूर्व की बाते है किन्तु उसके साथ एक महत्तवपूर्ण बात यह भी है कि पहले भी यह हॉस्पिटल हमेशा चर्चो का केंद्र बिंदु रहा और पूर्व में भी ऐसी कई घटना हुई जिसके कारण परिजनों को उग्र होना पडा और हर बार मामला नए रूप में आता रहा . कज़ऱ् से डूबे बीएसआर अपोलो हॉस्पिटल के संचालको ने इसे रायपुर के किसी व्यापारी को विक्रय कर दिया और एक बार फिर जनवरी के माह में बड़े धूमधाम तरीके से प्रदेश के गृह मंत्री के आथित्य में इस अस्पताल का उद्घाटन हुआ और नाम रखा गया हाईटेक हॉस्पिटल . जब से नए हाईटेक हॉस्पिटलका उदघाटन हुआ तब से अब तक कोरोना काल को भी सम्मलित कर ले तो सर नाम बदला है निति नहीं और वाक्य नहीं शायद ही कोई हफ्ता ऐसा जाता होगा जब यहाँ कोई ना कोई विवाद ना होता हो .
ऐसा नहीं है कि शहर में और निजी नर्सिंग होम नहीं है और वहा विवाद ना होता होगा किन्तु अन्य निजी नर्सिंग होम और हाईटेक हॉस्पिटल के विवाद की तुलना की जाए तो जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलेगा . हर बार प्रबंधन ऐसा प्रदर्शित करती है कि वो बहुत ही कुशल तरीके से व्यवहार करते हुए मरीजो का इलाज करती है किन्तु मरीज या उनके परिजन ही हमेशा उग्र हो जाते है . क्या हर बार मरीजो के उपर लांछन लगा कर कार्य करने वाले इस हॉस्पिटल की कभी निष्पक्ष जांच होगी . जबकि इसी हॉस्पिटल को पिछले दिनों जिलाधीश के द्वारा एक हफ्ते के लिए कोरोना मरीज लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था और टेस्ट में मनमानी फीस के लिए भी ऐसे कई नर्सिंग होम की जांच कलेक्टर के निर्देश पर हुई .
आखिर ऐसी क्या बात है कि हाईटेक हॉस्पिटल ही शहर में चर्चा का विषय बना रहता है . कुछ दिनों पहले जब हाईटेक हॉस्पिटल के लाइसेंस के सम्बन्ध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी से शौर्यपथ की टीम ने चर्चा की तो जानकारी प्राप्त हुई थी कि हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया जा चुका है और जिलाधीश द्वारा जांच समिति गठित करने की बात हुई है किन्तु आज तक आगे क्या कार्यवाही हुई इसकी जानकारी नहीं दे रहे जिम्मेदार अधिकारी . जिला के नर्सिंग होम के प्रभारी डॉ खंडेलवाल से जब जारी प्रक्रिया की जानकारी मांगी गयी तो उनके कहे अनुसार कोरोना आपदा के कारण पर्याप्त समय नहीं मिल रहा कोरोना आपदा के बाद स्थिति सामान्य होने पर आगे की प्रक्रिया की जाएगी . अगर डॉ. खंडेलवाल की माने तो जब तक कोरोना आपदा से फुर्सत नहीं मिलेगी तब तक हाईटेक हॉस्पिटल संचालित होता रहेगा और मरीजो और प्रबंधन के बीच विवाद जारी रहेगा .
आपदा में अवसर तो नहीं तलाश रहे हाईटेक के प्रबंधक ...
वर्तमान में कोरोना आपदा से जंग के लिए जिला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है और साथ ही साथ मरीजो से कोई ज्यादा भुगतान ना ले इस बारे में भी नजर लगाए हुए है एवं नोडल अधिकारी नियुक्त कर सतत निगरानी कर रहा है . शहर में कई निजी अस्पताल है जो कोरोना संक्रमित मरीजो का इलाज कर रहे है किन्तु कही से भी अप्रिय घटना या विवाद की स्थिति ना के बराबर सुनने को मिलती है किन्तु आखिर ऐसी क्या वजह है कि हाईटेक हॉस्पिटल में ही सारा विवाद होता है .
कल के विवाद में पैसे के लेनदेन की कोई बात नहीं थी क्योकि मृतक के अप्पा राव ( 34 वर्ष ) बीएसपी कर्मी था और सेक्टर 9 से रेफर केस था अत: भुगतान की जिम्मेदारी बीएसपी प्रबंधन की है ऐसे में ये भी नहीं कहा जा सकता कि ज्यादा बिल के लिए यह विवाद किया गया इस विवाद की मुख्य वजह मरीज के परिजनों को सही समय में सही जानकारी ना देकर अँधेरे में रखने की हुई जिसके कारण मृतक के परिजन अपना आपा खो दिए .
वही गौर करने वाली बात यह है कि प्रबंधक द्वारा अधूरी जानकारी का भी शंशय है प्रबंधको ने कुछ दिन पूर्व मरीज को आये हार्ट अटैक के बारे में जानकारी नहीं देने का आरोप लगा रहे है वही प्रबंधक अग्रवाल का कहना है कि पूरी जानकारी दी गयी यहाँ तक हॉस्पिटल के डॉ द्वारा शॉक ट्रीटमेंट की बात भी शौर्यपथ समाचार को बताया गया जबकि शोक ट्रीटमेंट के बारे में मृतक के भाई अनिभिज्ञ है तो क्या हाईटेक हॉस्पिटल के प्रबंधक कुछ छुपा रहे है क्या जिला प्रशासन मामले को संज्ञान में लेकर निष्पक्ष जांच करेगी . क्या शासन के तय मापदंडो को पूरा नहीं करने वाले और जिन पर जाँच समिति गठित होने वाली है ऐसे हॉस्पिटल पर पूर्ण कार्यवाही तक जिला प्रशासन इलाज के लिए रोक लगाएगी या गृह मंत्री के हांथो उद्घाटन का फायदा हॉस्पिटल प्रबंधन को मिलेगा ?
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