August 04, 2025
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दुर्ग प्रेस क्लब का सदस्य ज्वाला अग्रवाल क्या जनसंपर्क विभाग रायपुर का दलाल है ...? Featured

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दुर्ग। शौर्यपथ । दुर्ग प्रेस क्लब शहर का सबसे पुराना और एक मात्र प्रेस क्लब है। वैसे तो दुर्ग में कई पत्रकार है किन्तु प्रेस क्लब में गिनती के ही सदस्य हैं। ऐसे ही क्लब में सदस्य हैं दुर्ग के तथाकथित पत्रकार ज्वाला अग्रवाल । तथाकथित इसलिये भी कहा जा सकता है क्योंकि पिछले 7 से 8 सालो की बात करें तो ज्वाला अग्रवाल किसी एक भी संस्था में स्थाई रूप से कार्य नहीं किए। ज्वाला अग्रवाल अमूल्य भारत पेपर, ज्वाला एक्सप्रेस,ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज, सुबह का प्रहरी, शौर्यपथ समाचार ,समय दर्शन , पूरब टाइम्स, छत्तीसगढ वाच जैसे कई अखबारों में कार्य की चर्चा भी है अगर इनके सोशल मीडिया अकाउंट में देखे तो स्थिती स्पष्ट हो जायेगी । हो सकता है समाचार पढ़ने के बाद ऐसे पोस्ट को डिलीट कर दे किंतु प्रमाण उपलब्ध है ।
  वही समाजिक कार्यकर्ता ओर आरटीआई एक्टिविस्ट के रुप में भी नज़र आते हैं ये अलग बात है कि सैकड़ो आरटीआई लगाने के बाद भी समाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए उसे आम जनता के सामने तथाकथित पत्रकार की हैसियत से प्रकाशित नहीं करते । वही अपनी पत्नी चंचल अग्रवाल और अपने नाम से समूह बनाकर शायद निगम में पदस्थ ससुर सुरेश भारती की मदद से कई कार्य नियम विरुद्ध भी संचालित कर रहे हैं । जिस पर नगर पालिका निगम दुर्ग द्वारा कोई कार्यवाही का ना होना ही संदेहास्पद है ।
 अपने परिचितों के बीच कांग्रेस के लिए पैसे चुनाव के समय सामान बाटने का कार्य करने की बात ज्वाला अग्रवाल ने स्वयं स्वीकारी जिसके प्रमाण शौर्यपथ समाचार पत्र के पास है .
    वर्तमान में यह बात प्रमुख है कि शौर्य पथ दैनिक समाचार पत्र ने पिछले दिनों गुमठी घोटाले का सर्वप्रथम खुलासा किया एवं लगातार प्रमाण भी प्रकाशित करते रहे किन्तु निगम प्रशासन के मुखिया सिर्फ जाँच की बात ही करते आ रहे कोई जाँच हुई हो यह कही जमीनी स्तर में नजर नहीं आ रहा .
  बता दे की गुमटी घोटाले को लेकर दुर्ग नगर निगम के बजट सत्र में सभी ने इसमें बड़े घोटाले की बात कही गुमटी घोटाले में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के मुक्तेश का नाम सामने आ रहा है वही आश्रय स्थल जो सार्थक प्रयास महिला स्व सहायता समूह द्वारा संचालित है जिसकी मियाद ख़त्म होने के बाद भी विभाग द्वारा नै निविदा की प्रक्रिया का न होना कही ना कही आयुक्त नगर पालिक निगम की निष्क्रियता की ओर इशारा कर रहा है . बता दे कि सार्थक प्रयास महिला स्व सहायता समूह जिसकी अध्यक्ष चंचल अग्रवाल है जो की दुर्ग नगर निगम के कर्मचारी सुरेश भारती की बेटी तथा तथाकथित पत्रकार ज्वाला प्रसाद अग्रवाल की धर्मपत्नी है .वहीं पुलगांव गोटन में बकरी पालन के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार और बकरी पालन केंद्र में दुर्ग नगर निगम के ठेकेदार की निजी बकरियां के रहने के मामले का खुलासा किया गया यह दोनों ही कार्य राष्ट्रिय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत आता है और इसके कर्ताधर्ता मुक्तेश के नाम के सामने आने के बाद कहीं ना कहीं इसमें ज्वाला प्रसाद अग्रवाल की संबंधता भी नजर आ रही है जिसे क्षुब्ध होकर ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ने शौर्यपथ समाचार पत्र के संपादक शरद पंसारी के ऊपर नगर निगम के गेट के करीब अपनी कार से कुचलने और जान से मारने की नियत से ठोकर मारी गई। किन्तु कहते हैं कि "जाको राखे साइयां मार सके ना कोई" ठोकर मारकर भागने वाले भगोड़े ज्वाला अग्रवाल ने यह तो साबित कर दिया कि उसमे पत्रकारिता के गुण नहीं आपराधिक भावना कूट कूट कर भरी है । अवैधानिक कार्य की लंबी सूची आगे भी आपके सामने रखी जायेगी ।
  वही अब एक नया मामला सामने आ रहा है जिसमे ज्वाला प्रसाद अग्रवाल के जनसंपर्क विभाग से गहरी संबंधता नजर आ रही है . पिछले साल जब जनसंपर्क विभाग द्वारा मिडिया के प्रेअतिनिधियो को मतदान स्थल एवं मतगणना स्थल के पास दिए जा रहे थे तो मात एक ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ही था जिसे साप्ताहिक समाचार पत्र के रिपोर्टर की हैसियत से पास जारी हुआ जिसके कारण कई मिडिया कर्मी इस बात की शिकायत तात्कालिक कलेक्टर महोदय को भी किये जिनके बारे में भी ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ने अपशब्दों के साथ संबोधन किया . एक आईएएस अफसर के प्रति भी अपमान जनक शब्दों का उपयोग करने वाला ज्वाला प्रसाद अग्रवाल ने एक सोशल मिडिया ग्रुप में डीपीआर ( जनसंपर्क विभाग रायपुर ) के बारे में कुछ ऐसी बात कही जो विभाग की कार्य प्रणाली में या तो दलाली या फिर रिश्वतखोरी की ओर इशारा कर रही है . शौर्यपथ समाचार के डीपीआर के सम्बन्ध में ज्वाला प्रसाद अग्रवाल द्वारा कैसे डीपीआर होता है मै देखता हूँ जैसी बात कह कर यह साफ़ इशारा कर रहा कि जनसंपर्क विभाग रायपुर के अधिकारी रिश्वत खोर है और ज्वाला प्रसाद अग्रवाल बीच का दलाल . यह जाँच का विषय है कि ज्वाला प्रसाद अग्रवाल जो ना तो जनसंपर्क विभाग में कार्यरत है , ना किसी समिति में सदस्य है तो फिर आखिर कैसे डीपीआर के सम्बन्ध में होने ना होने का दावा कर सकता है .
   आगे देखना यह है कि ज्वाला अग्रवाल के अनैतिक और आपराधिक कार्य सहित जनसंपर्क विभाग को बदनाम करने जैसी बातो पर दुर्ग प्रेस क्लब का कितना समर्थन मिलता है .

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