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आयुक्त लोकेश चंद्राकर की निष्क्रियता ? , दुर्ग निगम क्षेत्र में अवैध कब्ज़ा और अतिक्रमण चरम सीमा पर
दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर पालिक निगम क्षेत्र में अवैध कब्जाधारियों एवं अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही के नाम पर शून्य होती निगम प्रशासन गरीबो पर अपना जोर जरुर दिखाती रहती है . छोटे छोटे पसरा वालो पर अपना रौब दिखाने वाली निगम प्रशासन का सारा दम धनवानों के आगे मौन हो जाता है . व्यस्तम मार्ग पर अवैधानिक रूप से व्यापार करते हुए शहर की यातायात व्यवस्था को बिगडऩे वाले इन अवैध अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही के नाम पर निगम प्रशासन मौन है दुर्ग शहर के प्रमुख मार्गो में गौरव पथ मार्ग में जिस तरह से आज अतिक्रमण का बोलबाला है वह आम जनता के सामने स्पष्ट है . वही राजेंद्र प्रसाद चौक जो कि शहर का केंद्र बिंदु कहलाता है यहां भी अघोषित चौपाटी सड़कों तक संचालित हो रहा है परंतु इस मामले में निगम प्रशासन के संबंधित विभाग का मौन साधना कहीं ना कहीं निगम प्रशासन की नाकामयाबी और निष्क्रियता की ओर इशारा कर रही है.
लोक कला मार्ग जिसको सँवारने में शासन के लाखों रुपए खर्च हुए आज वह भी अतिक्रमण की चपेट में है परंतु इसी मार्ग से प्रतिदिन गुजरने वाले निगम आयुक्त को लोक कला मार्ग पर हो रहे अतिक्रमण नजर नहीं आ रहे हैं ऐसे कई मार्ग है जहां पर अतिक्रमणकारियों के कारण यातायात व्यवस्था बाधित हो रही है और दुर्घटना की संभावनाएं लगातार बनी हुई है वहीं अब पिछले कुछ दिनों से लगातार सरकारी जमीनों पर तालाबों पर अवैध निर्माण का कार्य पूरे जोरो पर चल रहा है परंतु निगम प्रशासन के संबंधित विभाग द्वारा अवैध निर्माण पर कार्यवाही न करना निगम प्रशासन एवं आयुक्त की निष्क्रिय की ओर इशारा कर रहा है.
एक तरफ तालाबों के संरक्षण की बात जिला प्रशासन,राज्य सरकार,केंद्र सरकार सहित सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जाहिर की है परंतु दुर्ग शहर के तालाबों पर भी अतिक्रमणकारियों की नजर लग चुकी है . नवापारा चौक का तालाब हो या बोरसी तालाब यहां भी अतिक्रमणकारियों द्वारा पक्का निर्माण कर कब्जा किया जा रहा है और निगम प्रशासन तब भी मौन है ?
तथाकथित अरबपति भी नहीं है अवैध कब्ज़ा मामले में पीछे
वही हाल ही में देखने को मिला कि गंजपारा परिसर के बगल में लाखों करोड़ों रुपए की कीमती जमीन पर शहर के एक ऐसे व्यापारी जिनकी संपत्ति करोड़ों अरबो रूपये की है के द्वारा अवैध रूप से भवन का निर्माण किया जा रहा है तथाकथित बड़े व्यापारी के नाम सामने आने पर जब शौर्यपथ टीम ने निगम के भवन शाखा से उक्त स्थान पर भवन अनुज्ञा अनुमति के दस्तावेज के संबंध में जानकारी चाहिए गई तो यह ज्ञात हुआ कि उक्त स्थान पर किसी भी प्रकार का भवन अनुज्ञा पत्र जारी नहीं हुआ है एक तरफ नगर निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर दुकानदारों से,मेडिकल वालों से कचरा फैलाने के नाम पर हजारों रुपए का जुर्माना वसूल रहे हैं वही शहर के करोड़पति अरबपति के द्वारा सड़क के किनारे अवैध निर्माण किया जा रहा है वही निर्माण में काम आने वाली सामग्री को भी सड़कों तक फैला दिया गया है परंतु निगम प्रशासन इस मामले पर मौन है जो कि शहर में चर्चा का विषय है .
निगम प्रशासन द्वारा उक्त अवैध निर्माण पर किसी भी तरह की कार्यवाही का ना करना शहर में चर्चा का विषय बना है गरीब तबका निगम प्रशासन की इस दोतरफा निति से आहत है और दबी जुबान में कहने में नहीं चुक रहा है कि निगम की सत्ता और प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ गरीबों पर ही अपना जोर दिखा सकते हैं तथाकथित अरबपतियों पर करोड़पतियों पर निगम प्रशासन मौन रहता है क्या ऐसे करोड़पति लोगों द्वारा अवैध अतिक्रमण करने का कृत्य एक स्वच्छ समाज के लिए आदर्श साबित होगा क्या ऐसे तथाकथित रसूखदार लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर अवैधानिक रूप से निर्माण करने की प्रक्रिया पर निगम प्रशासन संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा या फिर निगम प्रशासन की सारी संवैधानिक शक्ति गरीब वर्गों पर ही केंद्रित रहेगी ..?
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