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कोरोना काल , ठगडा बाँध में नोटिस , इंदिरा मार्केट डोम शेड निर्माण अनियमितता मनपसंद ठेकेदार को कार्य देने जैसे कई मामलो में विवादित रहे ईई गोस्वामी
दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग नगर पालिक निगम में कई राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों ने प्रशासनिक मुखिया के टूर पर कार्य किया किन्तु निगम में आज भी दो अधिकारियों एवं उनके कार्यो की चर्चा होती है .
आयुक्त इन्द्रजीत बर्मन एवं आयुक्त हरेश मंडावी दोनों ही आयुक्त के कार्यकाल में निगम कर्मचारियों को बिना किसी राजनैतिक दबाव के कार्य करने का अनुभव हुआ . भले ही आज ठगडा बाँध शहर का एक अच्छा पर्यटन स्थल है और सभी नेता इसे अपनी उपलब्धि बता दे किन्तु ये सभी को ज्ञात है कि जिस इक्षाशक्ति का परिचय देते हुए उक्त क्षेत्र को खाली करवाया एवं कार्य की निविदा को कई टुकडो में बांटने की जगह एक ही निविदा निकाली , निगम कर्मचारियों के द्वारा ही शहर के सबसे बड़े नाले (शंकर नाला ) की सफाई , सडको को धुल मुक्त करने के साथ नालियों की सफाई एक बड़ा उदहारण है वही दुर्ग निगम के बड़े स्तर के अधिकारियों पर लापरवाही पर कार्यवाही कर सख्त और सुप्रशासन की तरह कार्य किया .
आयुक्त हरेश मंडावी जो कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है . आयुक्त बर्मन के स्थानान्तरण के बाद दुर्ग निगम प्रशासन की जिम्मेदारी आयुक्त हरेश मंडावी ने निभाई . आरम्भ से ही इनकी भी कार्य प्रणाली और लक्ष्य सुप्रशासन की तरफ ही रहा . उच्च अधिकारी हो या फिर कर्मचारी काटी में लापरवाही पर इनके द्वारा सभी को एक ही नजरिये से देखा गया . ठगडा बाँध में अनियमितता पर तात्कालिक ईई गोस्वामी पर भी कार्यवाही का नोटिस जारी हुआ . कर्मचारी वर्ग और अधिकारी वर्ग जो कार्य के प्रति गंभीर रहे बड़ी बड़ी जिम्मेदारी दी गई और एक शानदार कार्यकाल के साथ निगम से स्थानांतरित हुए .
राज्य प्रशासनिक सेवा 2013 बेच का एक बार फिर दुर्ग निगम आयुक्त की भूमिका में इत्तिफाक जुड़ गया दुर्ग निगम के नए आयुक्त सुमित अग्रवाल 2013 बेच के अधिकारी है वही पूर्व आयुक्त बर्मन एवं पूर्व आयुक्त मंडावी भी 2013 बेच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है ऐसे में एक बार फिर निगम के उन अधिकारियों में आशा की नई किरण रोशन हुई जो कार्य के प्रति गंभीर है वही एक दूसरा इत्तिफाक भी सामने है . दुर्ग निगम के ईई मोहन पूरी गोस्वामी का जो पूर्व में भी दोनों आयुक्त के अधिनस्त कार्य कर चुके है और अब एक बार फिर उन्ही की बेच के तीसरे अधिकारी के अधिनस्त कार्य कर रहे है .
दुर्ग निगम में ईई मोहन पूरी गोस्वामी का कार्यकाल भी यादगार रहा ये एक अलग बात है कि पिछले कार्यकाल में ईई मोहन पूरी गोस्वामी तात्कालिक विधायक के बंगले पर ज्यादा नजर आते थे वही इस कार्यकाल में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है . पिछला कार्यकाल ईई मोहन पूरी गोस्वामी का काफी विवादित रहा .
विधायक निधि से बने प्रतीक्षालय जो अब नेस्तनाबूद हो चुके है : 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही नेहरु चौक से पुलगाँव चौक के सड़क चौड़ीकरण सौन्दर्यीकरण के प्रयास शुरू हो चुके थे और निविदा निकलने वाली थी किन्तु तब भी इन सडको पर तात्कालिक विधायक अरुण वोरा की निधि से कई प्रतीक्षालय बनवाए गए जो कुछ समय बाद ही सड़क चौड़ीकरण सौन्दर्यीकरण की हद में आने के कारण टूट गए और शासन को लाखो का नुक्सान हुआ वही लाखो रूपये खर्च कर इस मार्ग के टूटे फू टे डिवाइडर के रंग रोगन में लाखो रूपये खर्च किये गए और अपने पसंदीदा ठेकेदार को कार्य दिया गया जबकि चंद दिनों बाद ही यह डिवाइडर टूटना था और टूट भी गया , ठगडा बाँध में लाखो करोडो रूपये का मुरुम परिवहन हो गया जिसमे हुई अनियमितता पर तात्कालिक आयुक्त द्वारा नोटिस भी जारी हुआ आगे की कार्यवाही क्या हुई किन नतीजे तक पहुंची यह मामला फाइलो में दब गया , कोरोना काल में करोडो रूपये के राशन वितरण मामले में भी पारदर्शिता के सवाल उठे किन्तु तब तात्कालिक विधायक का करीबी होने का फायदा हुआ वही विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कोरोना काल के राशन वितरण एवं अन्य व्यय का पूरा हिसाब आज भी नहीं मिलने की बात सामने आ रही है ,कोरोना काल के समय विज्ञान भवन में छात्रों के लिए दुर्ग निगम द्वारा सैकड़ो नए कूलर खऱीदे गए जो अब कहा है किसी को भी ज्ञात नहीं ऐसे कई मामले है जिन पर लापरवाही और अनियमितता के कई सवाल सामने है किन्तु बिना किसी जवाब के ईई गोस्वामी का स्थानान्तरण हो गया . 2024 में सत्ता बदलते ही शहर को नया विधायक मिला और नए विधायक के निवास में लगातार पूर्व ईई गोस्वामी कीई उपस्थिति एक बार फिर निगम में चर्चा का विषय बनी और अंदेश सही हुआ एक बार फिर सेवानिवृत्ति के चंद महीने पहले ईई मोहन पूरी गोस्वामी दुर्ग निगम में पदस्त हो गए .
जैसा कि सभी को उम्मीद थी कि अब एक बार फिर उठापटक होगी और अंदेश सही हुआ कई महीनो बाद निगम में लगभग 8 करोड़ के 59 कार्यो की निविदा निकली और दस्तावेज में इसकी जिम्मेदारी नए ईई आर.के. जैन को मिली थी किन्तु इस निविदा के आवेदन फ़ार्म से लेकर प्रपत्र सभी मामलो में जब ठेकेदारों को ईई गोस्वामी से संपर्क करना पड़ रहा था तभी से यह प्रतीत होने लगा कि मामला भ्रष्टाचार की चपेट में आ गया और अंजाम भी यही हुआ पहले कुछ ठेकेदारों ने इसकी शिकायत कलेक्टर दुर्ग से की एवं मामले को न्यायालय ले गए वही सामान्य सभा में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद ने इस निविदा में भ्रष्टाचार की बात पर कड़ी आपत्ति उठाई और इसी सभा में एक नया नाम सामने आया करण यादव का जिसके बारे में सभा में ही कहा गया कि यह वर्तमान विधायक के दामाद है . ऐसे में भ्रष्टाचार के इस कार्य को आखिरकार निरस्त क्र एक नई निविदा निकालने पर बात समाप्त हुई .
फिर से दोहरा रहे वही गलती ...
निविदा विवाद में ईई गोस्वामी के खिलाफ ठेकेदारों द्वारा जिलाधीश से शिकायत , विधायक के दामाद और निगम के सब इंजिनियर का नाम सामने आने के बाद एक बार फिर इस निविदा की सम्पूर्ण जिम्मेदारी ईई गोस्वामी के पास होना कही ना कही दुर्ग निगम के कार्यो में बाकलीवाल सरकार को अनदेखी करते हुए विधायक की दखलंदाजी से जोड़ा जा रहा है देखना यह होगा कि सुप्रशासन देने वाले 2013 बेच के दो राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तरह 2013 बेच के वर्तमान निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल संविधान के तहत कार्य करते है या फिर चंद महीनो में सेवानिवृत होने वाले ईई मोहन पूरी गोस्वामी सभी बड़े कार्यो की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए पूर्व नियोजित तरीके से कार्य करेंगे ?
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