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बिना किसी अलाटमेंट और अनुमति के निगम आयुक्त के लिए किस अधिकार से तैयार करवा रहे बंगला ?
दुर्ग / शौर्यपथ / अपने पिछले कार्यकाल में विवादों में रहने वाले निगम दुर्ग के ईई गोस्वामी सेवानिवृत्ति के बचे कुछ महीनो में एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे है . प्रदेश में भाजपा सत्ता के अस्तित्त्व में आने के बाद लगातार विधायक यादव के बंगले में हाजिरी देने वाले शासकीय अधिकारी मोहनपुरी गोस्वामी सेवानिवृत्ति के बचे चंद महीनो के लिए एक बार फिर दुर्ग निगम में ईई के पद में पदस्त हो गए . ईई के रूप में पदस्त होने के बाद निगम के ठेका निविदा प्रक्रिया में जिम्मेदार अधिकारी आर.के. जैन के स्थान पर फिर से हर ठेकेदार के जबान पर ईई गोस्वामी का नाम सामने आने लगा . काफी विवादों और शिकायतों के बाद मामला दुर्ग निगम के सामान्य सभा में भी उठ . भाजपा के वरिष्ठ पार्षद अरुण सिंह ने इस मामले को पुरजोर तरीके से सभा में रखा . पार्षद अरुण सिंह के द्वारा दिए उद्बोधन के दौरान ही विधायक यादव के दामाद के रूप में निगम के सब इंजिनियर करण यादव के नाम की भी चर्चा हुई आखिरकार निविदा निरस्त हुई और नए सिरे से निविदा प्रक्रिया आरम्भ हुई .इस बार आधिकारिक रूप से इस कार्य की जिम्मेदारी विवादित रहने वाले ईई गोस्वामी के पास पहुँच गई . .
अब एक नए मामले की चर्चा जोरो पर है विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार दुर्ग निगम के नव नियुक्त आयुक्त के लिए निगम के ईई गोस्वामी द्वारा सिविल लाइन के D-9 आवास का संधारण का कार्य ईई गोस्वामी ने बिना किसी निविदा के बिना किसी शासकीय अनुमति के ठेकेदार राजिव झा को दे दिया . इस बारे में जब शौर्यपथ समाचार पत्र ने ठेकदार से चर्चा की तो ठेकेदार राजिव झा का कहना था कि निगम से को दस्तावेज नहीं मिले कार्य के लिए किन्तु बंगले के संधारण और साज सज्जा के लिए निगम के बड़े साहब ईई मोहन पुरी गोस्वामी ने कहा है . बड़ी बात यह है कि आखिरकार ईई मोहनपुरी गोस्वामी किस अधिकारी और किस राजनैतिक संरक्षण के पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आने वाले बंगले का संधारण कार्य निजी रूप से ठेकेदार को दे सकते है क्या कार्य के बाद भुगतान में कोई बड़ा आर्थिक घोटाला होने वाला था .
पूर्व में भी ऐसा ही कार्य कर चुके है ई गोस्वामी ....
इस तरह का कार्य ई गोस्वामी द्वारा वर्तमान में ही नहीं किया गया पूर्व में भी इस तरह का कार्य हो चुका है . शहर के मुख्य मार्ग जो अब मोतीलाल वोरा मार्ग के रूप में जाना जाता है के सौन्दर्यीकरण के कार्य की अनुमति विभाग को मिल चुकी थी और मार्ग का डिवाईडर टूटने वाला था किन्तु इस डिवाईडर पर भी बिना विभागीय अनुमति के लाखो रुए निगम प्रशासन ने संधारण के नाम खर्च किये उस समय भी ठेकेदार को बिना कार्य निविदा के कार्य करने का निर्देश ईई गोस्वामी द्वारा दिया गया था ऐसे ही कई प्रतीक्षालय विधायक निधि और पार्षद निधि से बन गए जो कुछ महीनो में ही टूट गए और लाखो रूपये के राजस्व का नुक्सान हो गया .
कैसे और किस मद से होगा ठेकेदार को भुगतान , क्या कार्यवाही होगी ईई गोस्वामी पर ...
ठेकेदार से चर्चा करने पर यह तो स्पष्ट हो गया कि डी -9 बंगले के संधारण का कार्य का निर्देश बिना किसी दस्तावेज के ईई मोहनपुरी गोस्वामी ने दे दिया . वर्तमान समय में ऐसी कोई आपात काल स्थिति भी नहीं थी किन्तु फिर भी निगम के बड़े अधिकारी की बातो पर भरोसा करते हुए ठेकेदार झा द्वारा संधारण में लाखो रूपये खर्च हो गए अब देखना यह है कि शासकीय पद का लाभ उठाते हुए क्या ईई गोस्वामी बिना शासकीय दस्तावेज के अवैधानिक कार्य कर सकते है क्या इस कार्य के लिए ईई गोस्वामी ने नव नियुक्त आयुक्त सुमीत अग्रवाल को भरोसे में लिया था या उन्हें भी अँधेरे में रखा वही विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने इस कार्य पर आपत्ति उठाई अब देखना यह होगा कि क्या मामले की तह तक जायेंगे आयुक्त सुमीत अग्रवाल या यह मामला फाइलो के बीच दब जाएगा
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