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शासन के निर्देशों की खिल्ली उड़ाने वाले नर्सिंग होम सिर्फ जुर्माने से हो रहे बरी ?
दुर्ग / शौर्यपथ / जिले सही प्रदेश में ऐसे कई नर्सिंग होम संचालित हो रहे है जो शासन के निर्देशों की अवहेलना करते है . स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर की गई कार्यवाही से यह बात सामने भी आती है किन्तु विभागीय जाँच में ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है जहा निजी नर्सिंग होम पर किसी तरह की कड़ी कार्यवाही हो . दुर्ग जिले में भी ऐसे कई नर्सिंग होम है जो शासन के एवं नर्सिंग होम एक्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे और शासन को उनकी कार्य प्रणाली का आइना दिखाते हुए संचालित हो रहे है . अगर कभी शासन की नजरो में अ जाये तो मामूली या थोडा ज्यादा जुर्माना की रकम जमा कर एक बार फिर आम जनता को इलाज के नाम पर लुटने के लिए तैयार हो जाते है और विभागीय कार्यवाही सिर्फ कागजो तक सिमित रहती है .
हाल ही में आरोग्यं हॉस्पिटल का ही मामला ले लीजिये जहाँ देश के प्रधान मंत्री मोदी की आम जनता के स्वास्थ्य के लिए महत्तवपूर्ण योजना आयुष्मान भारत में भी घोटाला की बू सामने आई और जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही के नाम पर सिर्फ आयुष्मान योजना को ही प्रतिबंधित किया गया किन्तु इससे आरोग्यं हॉस्पिटल के संचालको को कोई ख़ास फर्क पड़ा हो ऐसा कही नजर नहीं आता . एक ही वार्ड में मरीजो ( महिला /पुरुष ) को रखने का मामला भी सामने आया जाँच में यह बात भी सामने आई किन्तु जाँच समिति पर ही उच्च अधिकारियों ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया और विगत कई महीनो से नए जाँच समिति के गठन और जाँच की सिर्फ बाते हो रही दस्तावेज ही तैयार हो रहे और अनियमितता करने वाले हॉस्पिटल सर उठा कर शान से शासन को आईना दिखाते हुए संचालित हो रहे है .
ऐसा ही मामला दुर्ग कसारीडीह स्थित साईं हॉस्पिटल का है जिसके द्वारा निगम की अनुमति के बैगर भवन का विस्तार कर दिया गया और निगम के नोटिस को मानो रद्दी की टोकरी में फेकते हुए अपने कार्य को अंजाम दिया गया निगम की कई बार मिले नोटिस का पालन ना करना स्पष्ट दर्शाता है कि या तो निगम के भवन शाखा के अधिकारी साईं हॉस्पिटल के संचालको के आगे नत मस्तक हो गए है या फिर पैसो की कोई बड़ी डील ने भवन शाखा और निगम के उच्च अधिकारियों को मौन साधने पर मजबूर कर दिया है कारण चाहे जो भी हो निगम की नोटिस का जवाब ना देने वाले साईं हॉस्पिटल के संचालको पर निगम प्रशासन द्वारा कड़ी कार्यवाही का ना करना कई तरह के सवालो को जन्म देता है .
इसी साईं हॉस्पिटल पर पूर्व में ट्रेनी आईएएस अधिकारी लक्ष्मण तिवारी ने जाँच के दौरान पाया था कि दस्तावेजो का संधारण हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा रहा और ज्यादा रकम मरीजो के परिजनों से लिया जा रहा किन्तु यह मामला भी कही अँधेरे में खो गया ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या विभागीय अधिकारी नियमो का रौब किसी मकसद के लिए ही दिखाते है और मकसद पुरा होने पर मौन रह जाते है . क्या प्रशासन में कोई ऐसा भी अधिकारी आएगा जो अवैधानिक और शासन की नियमो की अवहेलना करने वाले निजी नर्सिंग होम के संचालको पर ऐसी कड़ी कार्यवाही करेगा जो अन्य संचालको के लिए मिसाल बन सके ?
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