
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
नई दिल्ली / शौर्यपथ / लोकसभा ने आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 पारित कर दिया है। विधेयक में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन का प्रावधान है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण-एन.डी.एम.ए. और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण-एस.डी.एम.ए. को कुशल बनाना है। विधेयक में राज्य सरकार को राज्य की राजधानियों और नगर निगम वाले शहरों के लिए एक अलग शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गठित करने का अधिकार प्रदान करने की व्यवस्था है। इसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटाबेस बनाने का प्रावधान है। विधेयक में राज्य सरकारों को राज्य आपदा मोचन बल-एसडीआरएफ गठित करने का अधिकार दिया गया है।
विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि उपश्मन और तैयारी संबंधी कारगर उपाय सुनिश्चित किए जाएं।
इससे पहले बहस में हिस्सा लेते हुए समाजवादी पार्टी के राम शिरोमणि वर्मा ने विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्यों को आपदाओं और राहत उपायों के लिए अधिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राहत कोष के अंतर्गत जारी मुआवजे को बढ़ाया जाना चाहिए।
द्रविड मुनेत्र कड़गम-डीएमके की कनिमोझी ने आपदाओं की पूर्व चेतावनी और रोकथाम को प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन राज्य सरकारों के अधिकारों के लिए हानिकारक है और संघीय ढांचे पर प्रहार है।
तेलुगुदेशम पार्टी के केसिनेनी शिवनाथ ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना से आपदा प्रबंधन गतिविधियों को सशक्त बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर प्राधिकरण की स्थापना से आपदा प्रबंधन का स्थानीयकरण होगा। जनता दल यूनाइटेड के दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि विधेयक के प्रस्ताव टास्क फोर्स की सिफारिश पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में पेश की गई नई धाराएं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को मजबूत करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन और इसके प्रतिकूल प्रभाव आपदा प्रबंधन का हिस्सा होने चाहिए।
कांग्रेस के सप्तगिरि शंकर उलाका ने प्राधिकरण में जनशक्ति की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन में सभी कमांडों के केंद्रीकृत होने से अंतर-क्षेत्रीय सहयोग समाप्त हो जाएगा।
बहस में लोकसभा के पचास सदस्यों ने हिस्सा लिया।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.