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दुर्ग/ शौर्यपथ // ग्राम अंजोरा (ख) एवं शहर सहित जिले में अवैध प्लाटिंग का व्यापार बड़ी तेजी से फल फूल रहा है, अवैध प्लाटिंग करने वाले दलालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, रजिस्ट्रार ऑफिस में क्रेता और विक्रेता से ज्यादा दलाल नजर आते हैं, क्षेत्र में अवैध फ्लर्टिंग करने के लिए जमीन के टुकड़े का नकल पटवारी के द्वारा दिया जाता है, क्षेत्र के पटवारी को इस बात की जानकारी रहती है, परंतु शासन द्वारा ऐसा कोई नियम नहीं है कि छोटे-छोटे टुकड़े का नकल जारी न किया जाए, कम अधिकार के कारण पटवारी कार्यालय से नकल की कॉपी आसानी से मिल जाता है, इसी नकल के टुकड़े के आधार पर दलालों द्वारा किसानो की जमीन का कभी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए तो कभी आम मुख्तियार बनकर, बिना उचित नापजोख के बेचा जा रहा है, अंजोरा क्षेत्र में इन दिनों अवैध प्लाटिंग करने वाले दलालों की संख्या लगातार बढ़ती नजर आ रही है, रविवार के दिन दलाल सड़क के किनारे बैठे मिलेंगे वहीं खेतों में पोल लगाकर स्वयं ही इंजीनियर की भूमिका निभाते नजर आते हैं, आम आदमी का सपना होता है कि एक जमीन का टुकड़ा ले और अपने सपनों का महल बनाएं ऐसे ज़रूरतमंद लोगों को बड़ी-बड़ी बातों में उलझा कर दलालों द्वारा खुलकर जमीनों का सौदा किया जा रहा है, और यही जमीन जब कॉलोनी का रूप ले लेती है, तब वस्तु स्थिति सामने नजर आती है, ना तो शासन से पर्याप्त बिजली की व्यवस्था होती है, और ना ही सड़क नाली पानी की व्यवस्था होती है, अवैध प्लाटिंग करने वाले बिल्डरों और दलालों की जेब तो भर जाती है, परंतु मूलभूत आवश्यकताओं के लिए क्रेता परेशान होता नजर आता है, शासन द्वारा लगातार अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, परंतु समय-समय पर जांच नहीं होने और शासकीय नियमों के लूज पॉइंट का फायदा उठाकर कई बिल्डरों / दलालों द्वारा अवैध प्लॉट का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है,
हाल ही में एक ऐसी जानकारी सामने आई जहां अंजोरा क्षेत्र में *लगभग 1500 स्क्वायर फीट में,* दो दर्जन से ज्यादा प्लाट एक ही व्यक्ति सिद्धार्थ कोठारी द्वारा बेच दिए गए, खरीदारों से निश्चित ही जमीन दलालों और बिल्डरों ने बड़े बड़े वादे किये होंगे, परंतु उन बातों को मानना ना मानना बिल्डरों के विवेक पर निर्भर रहता है, क्योंकि बिना शासन की अनुमति के टुकड़ों में प्लाट बेचने वालों पर किसी भी प्रकार का कोई बंधन नहीं होता और यही दलाल और बिल्डर प्लाट बेचकर अपने रास्ते निकल लेते हैं, आम आदमी जिन्होंने अपनी जिंदगी भर की कमाई अपने सपनों के आशियाने में लगा रखी है, कभी सरकार को तो कभी दलालों को खोजते रहते हैं, ऐसे में अगर क्षेत्र के पटवारी अपनी जिम्मेदारियां का निर्वाहन करते हुए, स्वयं संज्ञान लेकर ऐसे दलालों / बिल्डरों के द्वारा बेचे जाने वाले छोटे-छोटे टुकड़े जिनका नकल निकालकर पटवारी महोदय देते हैं, सूचना अगर उच्च अधिकारियों को दे तो निश्चित ही अवैध प्लाटिंग में कहीं ना कहीं रोक लगाने की दिशा में शायद सफल होगा, साथ ही कम कीमत की लालच में बड़ी-बड़ी सुविधाओं की बात मौखिक सुनकर जमीन लेने वाले क्रेता भी अगर जागरूक हो तो अवैध कटिंग करने वाले दलालों पर बंदिश लगा सकेगा,
पूर्व में ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जहां अवैध प्लाटिंग का खुला खेल हो चुका है, और निर्मित कॉलोनी में मूलभूत सुविधाओं की कमी देखी गई है, वहीं शासन प्रशासन के द्वारा मिलने वाली सुविधाओं में भी काफी विलंब होता है, तब क्रेता सरकार को पूछते हैं, जबकि असल गलती उनकी स्वयं की और उन दलालों की होती है जो चंद पैसों के लालच में बड़े-बड़े व्यापारियों की जमीनों की दलाली कर अपनी रोटी सकते हैं, और आम आदमी को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर सड़कों पर ले आते हैं, देखना यह है कि क्या अंजोरा (ख) पटवारी और तहसीलदार द्वारा हाल ही मे खसरा न. 100/5 प.ह.न. 24 मे दो दर्जन से ज्यादा प्लाट के क्रय विक्रय मे स्वयं संज्ञान लेकर मामले की जाँच करेंगे या दलालो की दलील और परदे के पीछे के खेल मे शामिल हो जायेंगे....
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