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दुर्ग / शौर्यपथ न्यूज /
नगर पालिक निगम दुर्ग के राजस्व विभाग में मंगलवार 24 जून को एक बेहद गंभीर और चिंताजनक घटना घटी, जब कथित तौर पर एक जनप्रतिनिधि के करीबी व्यक्ति श्री अंकुश जैन ने कर कार्यालय में उपस्थित होकर सहायक राजस्व अधिकारी सहित अन्य कर्मचारियों से दुव्यवहार किया। मामला इस कदर बिगड़ा कि निगम आयुक्त के लिए भी अपशब्द कहे गए।
शासकीय कार्य के दौरान धमकी और हड़कंप
प्राप्त जानकारी के अनुसार कसारीडीह निवासी श्रीमती शोभा राठी के संपत्ति कर भुगतान के लिए उनके परिजन श्री आयुष राठी एवं श्री अंकुश जैन राजस्व विभाग पहुंचे थे । रिकार्ड में उनका नाम या पूर्व कर रसीद न होने पर उन्हें नए असेसमेंट की प्रक्रिया की जानकारी दी गई। इसी पर असंतोष जताते हुए श्री अंकुश जैन ने कक्ष में टेबल पर हाथ मारकर, उंगली दिखाकर अधिकारियों से अभद्र भाषा में बात की और लगातार गाली-गलौज करते रहे।
कमिश्नर को भी नहीं छोड़ा
मिले शिकायत पत्र के आधार पर श्री जैन ने निगम के आयुक्त श्री सुमीत अग्रवाल के लिए भी अत्यंत आपत्तिजनक और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा—“कमिश्नर को खुद आकर जवाब देना होगा… कमिश्नर घर आकर काम करेगा”। इससे कार्यालय में उपस्थित कर्मचारियों में नाराज़गी और भय दोनों का माहौल बना।
साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं कई अधिकारी-कर्मचारी
घटना के समय सहायक राजस्व अधिकारी श्री भूपेन्द्र गोईर,राजस्व निरीक्षक श्री थानसिंह यादव, सहायक निरीक्षक श्री रत्नदीप कसार, भृत्य मनोज सोनी, स्थानीय नागरिक श्री मुरली जी सहित कई अन्य लोग कार्यालय में उपस्थित थे, जिन्होंने घटना को प्रत्यक्ष रूप से देखा और सुना।
प्रशासन से मांग: सख्त कानूनी कार्रवाई हो
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आयुक्त को लिखित में इस घटना की जानकारी दी है और मांग की है कि शासकीय कार्य में बाधा डालने और अशोभनीय व्यवहार करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए, जिससे भविष्य में कोई भी व्यक्ति जनप्रतिनिधियों के नाम पर इस तरह की गुंडागर्दी करने का दुस्साहस न कर सके। वही राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने कलमबंद हड़ताल कर थाणे की ओर रुख किया और मामले की एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस प्रशासन तक पहुंचे देखना यह होगा कि क्या मामले पर कर्मचारियों की सुनी जाएगी या राजनितिक दबाव के चलते मामले का पटाक्षेप होगा
संपादकीय टिप्पणी
> “जनप्रतिनिधियों की छाया में पल रहे ऐसे चाटुकार लोकतंत्र और प्रशासन दोनों के लिए खतरा हैं। यह आवश्यक है कि ऐसे लोगों पर शीघ्र और कठोर कार्रवाई हो, ताकि शासकीय संस्थानों की गरिमा बनी रहे।”
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