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दुर्ग। शौर्यपथ संवाददाता
नगर पालिक निगम दुर्ग के नवनियुक्त सभापति श्याम शर्मा एवं अधिवक्ता नीरज चौबे के बीच ऋषभ कॉलोनी में हुए विवाद ने शहर की सियासी और सामाजिक सरगर्मियों को बढ़ा दिया है। वाहन के हार्न बजाने और रास्ता अवरुद्ध होने की मामूली बात से शुरू हुआ यह विवाद मारपीट, गाली-गलौज और कार से कुचलने के प्रयास तक जा पहुंचा। पुलिस की तत्परता और न्यायालय की सूझबूझ से मामला अभी टकराव की दिशा में बढऩे से टल गया है।
क्या है मामला?
7 जुलाई को पुलगांव थाना में श्याम शर्मा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, अधिवक्ता नीरज चौबे ने अपनी कार (ष्टत्र 07 ष्टङ्घ 7235) से श्याम शर्मा के घर के सामने हार्न बजाया, जिससे उनकी बेटी और बेटा बाहर आए। आरोप है कि नीरज चौबे ने बच्चों को डांटा, उनकी स्कूटी को टक्कर मारी और गाली-गलौज करते हुए कार चढ़ाने का प्रयास किया। इस घटना को लेकर ढ्ढक्कष्ट की धारा 296, 115(2), 351(2), 281, 125्र, 109, 184 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया।
कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत
इस मामले में अधिवक्ता नीरज चौबे की ओर से जिला सत्र न्यायालय दुर्ग में अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया। अधिवक्ता ने दावा किया कि श्याम शर्मा, जो कि एक राजनीतिक पदाधिकारी हैं, ने जानबूझकर उन पर झूठे आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि विवाद के दौरान स्वयं श्याम शर्मा ने भी अपमानजनक भाषा का उपयोग किया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुजूर की कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नीरज चौबे को दो सक्षम जमानतदारों के साथ 5-5 हजार रुपए की जमानत और 10,000 रुपए के व्यक्तिगत मुचलके पर अग्रिम जमानत प्रदान की।
विवाद पर बंटी शहर की राय, दोनों पक्षों को मिला समर्थन
यह मामला राजनीतिक रंग भी पकड़ता नजर आ रहा है। जहां एक ओर सभापति श्याम शर्मा के समर्थन में कई पार्षद सामने आए हैं, वहीं दूसरी ओर अधिवक्ता नीरज चौबे के समर्थन में वकीलों की टीम एकजुट हुई है। नीरज चौबे के भाई सौरभ चौबे लंबे समय से आरएसएस से जुड़े हैं और भाजपा के चुनावी अभियानों में कानूनी सलाहकार की भूमिका निभा चुके हैं। इससे यह विवाद भाजपा के आंतरिक समीकरणों से भी जुड़ता दिखाई दे रहा है।
पुलिस ने निभाई अहम भूमिका, जांच टीम गठित
पुलगांव थाना प्रभारी पुष्पेंद्र भट्ट के नेतृत्व में मामले को बड़ी ही सतर्कता से संभाला गया। पुलिस प्रशासन ने समय रहते दोनों पक्षों के बीच तनाव को बढऩे से रोका। एक विशेष जांच टीम गठित कर ली गई है, जो कॉलोनी के सीसीटीवी फुटेज और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के माध्यम से मामले की निष्पक्ष जांच में जुटी है।
निष्कषर्: राजनीति और वकालत की रेखा पर खड़ा विवाद
सभापति बनने के बाद श्याम शर्मा का यह तीसरा विवाद है, जिससे वह एक बार फिर चर्चा में हैं। वहीं नीरज चौबे का कानूनी और राजनीतिक बैकग्राउंड इस विवाद को और जटिल बना रहा है। फिलहाल शहर में यह मुद्दा आमजन की चर्चा का केंद्र बना हुआ है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि मामला सुलह की दिशा में बढ़ता है या फिर राजनीति और कानून की लड़ाई कोर्ट के गलियारों में लंबा सफर तय करेगी।
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