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दुर्ग। शौर्यपथ।
दीपावली से ठीक पहले बुधवार रात शहर के प्रमुख पटेल चौक पर भयानक हादसा हुआ, जहाँ नगर निगम के कचरा ट्रक ने स्कूटी सवार तीन लोगों को रौंद दिया। हादसे में दो लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि एक महिला घायल हुई। इस घटना ने न केवल नगर निगम की अव्यवस्था बल्कि महापौर अलका बाघमार और स्वास्थ्य प्रभारी निलेश अग्रवाल की लापरवाही को भी उजागर कर दिया है।हादसा रात करीब 10:30 बजे पटेल चौक कलेक्ट्रेट के सामने हुआ। मृतकों की पहचान सलमा (25) और खिलेश्वर साहू, निवासी कुंद्रापारा, अटल आवास, दुर्ग के रूप में की गई। घायल महिला कुमोदनी गोड का इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, निगम का कचरा ट्रक (CG 07 CZ 4314) तेज रफ्तार में पुलगांव की दिशा से मालवीय रोड की ओर बढ़ रहा था, तभी स्कूटी (CG 07 CY 5899) उसकी चपेट में आ गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों स्कूटी सवारों की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने ट्रक चालक को हिरासत में लेकर मेडिकल जांच कराई और मर्ग कायम कर आगे की जांच शुरू कर दी है।निगम की निष्क्रियता पर जनता में उबालघटना के बाद स्थानीय लोगों ने कहा कि शहर की सबसे बड़ी समस्या कचरा निपटान को लेकर बनी हुई है। पुलगांव में नगर निगम की चार एकड़ भूमि होने के बावजूद महीनों से कचरा SLRM सेंटर से दूसरे SLRM सेंटर तक ढोया जा रहा है। इससे निगम को राजस्व हानि हो रही है और शहर की सड़कों पर ट्रैफिक और गंदगी की स्थिति बदतर हो रही है।
भाव भूमि बिल्डर पर मौन क्यों?निगम की चुप्पी ने बढ़ाई अटकलें
इसी बीच खुलासा हुआ है कि पुलगांव में नगर निगम की जमीन पर “भाव भूमि बिल्डर” द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया है, और यह तथ्य निगम प्रशासन के जिम्मेदारों को भलीभांति ज्ञात है। इसके बावजूद महापौर अलका बाघमार और स्वास्थ्य प्रभारी निलेश अग्रवाल द्वारा इस गंभीर मुद्दे पर मौन रहना शहर में गहरे सवाल खड़ा कर रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सत्ता और बिल्डर लॉबी के बीच का यह “मौन समझौता” किसी बड़े शहरी घोटाले की आहट दे रहा है।
धमधा नाका, सुराना कॉलेज और शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के आसपास गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। लोगों ने कहा कि सफाई और कचरा नियंत्रण की मौजूदा स्थिति सरकार के सुशासन दावों को झुठला रही है।
जिम्मेदारी से भागते जनप्रतिनिधि
महापौर अलका बाघमार और स्वास्थ्य प्रभारी निलेश अग्रवाल के खिलाफ लोगों में गहरा आक्रोश है। उनका आरोप है कि प्रशासनिक अक्षमता और मिलीभगत से शहर की व्यवस्था चरमरा गई है। निगम की भूमि पर बिल्डरों के कब्जे और कचरा परिवहन में चल रही अनियमितताओं के बावजूद कोई कार्रवाई न होना जिम्मेदारों की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।शहरवासियों का कहना है कि भाजपा की “ट्रिपल इंजन सरकार” में शहरी विकास के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं। नगर निगम चुनाव के दौरान भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे ने दुर्ग को आदर्श शहरी सरकार देने का वादा किया था, वहीं शहर के विधायक एवं मंत्री गजेंद्र यादव और लोकसभा सांसद विजय बघेल ने जनता से “सुशासन और स्वच्छ दुर्ग” का भरोसा दिया था।आज जब दीपावली की खुशियों से पहले ही पटेल चौक पर मातम छाया है, जनता यह सवाल पूछ रही है कि क्या यही वह सुशासन है जिसकी बात नेतागण चुनावी मंचों पर करते थे।
यह हादसा न सिर्फ ट्रक चालक की गलती बल्कि प्रशासनिक ढर्रे, राजनीतिक निष्क्रियता और शहरी भ्रष्टाचार की परतें खोलने वाला सबक बन गया है।
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