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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग के पद्मनाभपुर में संचालित छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल में ईश्तिहार के नाम पर अधिकारियों की मनमानी का खेल जरी है . छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल में मंडल के अधीन कोई भी मकान के क्रय विक्रय या नामांतरण की कार्यवाही के दौरान ग्राहक के खर्चे पर स्थानीय समाचार पत्र में ईश्तिहार प्रकाशित करवाना होता है . जब ईश्तिहार ग्राहक के खर्चे पर प्रकाशित करवाना होता है तो फिर किस नियम के तहत छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अधिकारी तय करते है कि किस अखबार में ईश्तिहार प्रकाशित करवाना है . क्या ग्राहक को इतना भी अधिकार नहीं कि अपने मनपसंद अख़बार में ईश्तिहार प्रकाशित करवा सके . किन्तु मंडल में किस ईश्तिहार को किस अखबार में प्रकाशित करना होता है ये तय सहायक संपदा अधिकारी तय करते है . जबकि संपदा अधिकारी का कहना है कि सभी अखबारों को रोटेशन में ईश्तिहार दिया जाता है . संपदा अधिकारी ठाकुर रोटेशन की बात करते है सहायक संपदा अधिकारी मुखी लाल ध्रुव रोटेशन की बात करते है . इस बारे में जब छह माह की प्रकाशित ईश्तिहार की आरटीआई के द्वारा जानकारी चाही गयी तो प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ दो से तीन अखबारों को सहायक सम्पदा अधिकारी द्वारा बल्क में जिसकी संख्या २०-२५ तक है दिया गया वही अन्य अखबारों को ३-४ ईश्तिहार दिया गया . किस पेपर में ईश्तिहार देना है ये बाकायदा छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के ऑन रिकार्ड पत्र में ज़ारी किया गया .
इस तरह के पक्षपात के बारे में जब लिखित में शिकायत की गयी तो संपदा अधिकारी द्वारा शिकायत पर जाँच में टालमटोल किया जाता रहा लगातार टालमटोल के बाद जब इस बात को उपयुक्त छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के सामने लाया गया तो उपयुक्त द्वारा त्वरित जाँच की बात कही गयी . १२ फरवरी को उपयुक्त ने त्वरित जाँच की बात कही और दो दिनों की लगातार छुट्टी के बाद १५ फरवरी को संपदा अधिकारी ने जाँच कर शिकायत को निराधार बताते हुए जाँच बंद करने की बात कही .
बड़ा सवाल ...
जाँच में कहा गया कि मंडल किसी भी अखबार को ईश्तिहार देने स्वतंत्र है . अगर मंडल की बात सत्य है तो क्या मंडल में कार्यालय के अन्दर घुमने वाले दलालों के कहने पर ईश्तिहार दिया जाता है .
जाँच में यह नहीं बताया गया कि छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल किस आधार पर कुछ ख़ास अखबारों को ही ज्यादा ईश्तिहार देता है .
जब ईश्तिहार पर खर्च का दायित्व उपभोक्ता को है तो किस नियम के तहत सहायक संपदा अधिकारी कुछ ख़ास अखबार को ईश्तिहार दे रहे है और ग्राहकों को अपरोक्ष रूप से मजबूर कर रहे है कि पत्र में अंकित अखबार में ही ईश्तिहार प्रकाशित करवाए . क्या इस अपरोक्ष रूप में कही प्रति ईश्तिहार कमीशन का खेल तो नहीं चल रहा परदे के पीछे जहां ग्राहकों से ज्यादा रकम ली जाती हो और उसका एक हिस्सा अधिकारियो को जाता हो .
जिस तरह महीनो जाँच की बात को संपदा अधिकारी ठाकुर टालते रहे किन्तु उपयुक्त के आदेश पर चाँद घंटे में जाँच भी पूरी कर ली गयी . क्या संपदा अधिकारी और सहायक संपदा अधिकारी की आपसी मिलीभगत है ईश्तिहार के इस खेल में . कहने को एक ईश्तिहार के प्रकाशन का मूल्य ५०० से १००० तक है किन्तु महीने ४० से ५० इश्तिहार निकल जाते है जहाँ ये भी ज़रूरी नहीं कि उपभोक्ता से ऐसे खास अखबार वाले कितना वसूलते है जिनके अखबार के नाम की ज्यादा मुहर सहायक संपदा अधिकारी द्वरा लगाया जाता है हो सकता है ये कीमत हजारो में भी हो सकती है क्योकि सौदा ( विक्रयनामा / नामांतरण ) कोई हजारो की जायदाद की नहीं लाखो के मकानों की होती है ऐसे में रोटेशन की बात कहने वाले संपदा अधिकारी किसी खास अखबार को ईश्तिहार देकर क्या कमीशन का खेल तो नहीं खेल रहे है और शासकीय पद का लाभ तो नहीं उठा रहे है ?
संपदा अधिकारी एस.आर. ठाकुर की जाँच रिपोर्ट एवं आरटी आई से प्राप्त दस्तावेजो के खुलासे के साथ पढ़िए शौर्यपथ दैनिक समाचार के सोमवार 22 फरवरी के अंक में ...
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