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दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई-दुर्ग में प्रतिबंधित जर्दायुक्त गुटखा फिर से बेखौफ अंदाज में बिकने लगा है। इसके निर्माण, भंडारण, वितरण व विक्रय पर सरकार का घोषित प्रतिबंध बेअसर दिख रहा है। पान की दुकानों के आसपास जर्दायुक्त सितार व पानराज जैसे सामान्य ब्रांड वाले गुटखे के बिखरे खाली रैपर से इसके अवैध कारोबार की पोल खुल रही है।
पूरे छत्तीसगढ़ में जर्दायुक्त गुटखा प्रतिबंधित है। बावजूद इसके भिलाई-दुर्ग में यह प्रतिबंध बेअसर है। हर गली, मोहल्ले से लेकर मार्केट एरिया में खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा खरीदा और बेचा जा रहा है। गुटखा बेचना अपराध है। फिर भी इसका कोई खौफ इसके कारोबार में जुड़े व्यापारियों में नजर नहीं आ रहा है। इस अवैध कारोबार को रोकने संबंधित विभाग की उदासीनता पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। जिस तरीके से जर्दायुक्त गुटखा शहर में बिक रहा है उससे संबंधित विभाग के कतिपय जिम्मेदार अधिकारियों से अवैध कारोबारियों की सांठगांठ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब रहे कि जर्दायुक्त गुटखा के निर्माण अथवा विक्रय पर प्रतिबंध लागू होने के बाद पान मसाला और उसमें मिलाकर खाने के लिए जर्दा पाउच अलग-अलग बिक रहा है। जबकि एक ही पाउच में जर्दायुक्त गुटखा का निर्माण, भंडारण, वितरण और विक्रय पर पूर्णत: प्रतिबंध लागू है। इसके बाद भी भिलाई-दुर्ग में सितार और पानराज ब्रांड के जर्दायुक्त गुटखा आसानी से उपब्ध है। सितार व पानराज 10 रुपए में चार पाउच मिलने से आम वर्ग के लिए पसंदीदा ब्रांड बना हुआ है। अच्छी खपत के चलते खुदरा व्यापारी जर्दायुक्त गुटखा बेंच रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है इसका निर्माण, भंडारण और पान की दुकानों तक वितरण कैसे संभव हो पा रहा है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि जर्दायुक्त गुटखे के खिलाफ लगभग दो साल से भिलाई-दुर्ग में कोई बड़ी छापामार कार्यवाही नहीं हो सकी है। जिस तरीके से भिलाई-दुर्ग में जर्दायुक्त गुटखा बिक रहा है, उससे इस संभावना को बल मिल रहा है कि इसका निर्माण, भंडारण और वितरण स्थानीय स्तर पर हो रहा है। भिलाई में सुपेला पावर हाउस, केंप, नंदिनी रोड, खुर्सीपार सहित टाउनशिप क्षेत्र के विभिन्न सेक्टर में स्थित मार्केट की किराने से लेकर पान की दुकानों और चाय नास्ता के ठेलों में जर्दायक्त गुटखा आसानी से उपलब्ध है। दुर्ग शहर का भी यही हाल है। समीप के भिलाई-3 चरोदा, कुम्हारी और जामुल इलाके में भी जर्दायक्त गुटखा की खरीदी बिक्री धड़ल्ले से चल रही है।
बंद फैक्ट्रियों की गतिविधि संदिग्ध - औद्योगिक क्षेत्र भिलाई के बंद फैक्ट्रियों में चोरी छिपे जर्दायुक्त गुटखे का कारोबार पूर्व में कई बार उजागर हो चुका है। लिहाजा जिस तरीके से फिर एक बार भिलाई-दुर्ग में जर्दायुक्त गुटखा बिकने लगा है उससे यहां की बंद हो चुकी फैक्ट्रियों की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। बताते हैं कि पूर्व में औद्योगिक क्षेत्र से जितने भी मामले उजागर हुए हैं, प्राय: उसमें पुलिस को पानराज ब्रांड का प्रतिबंधित गुटखा मिलता रहा है। अब पानराज के साथ सितार ब्रांड भी बाजार में सहज उपलब्ध होने से ऐसा लग रहा है जैसे इसके अवैध कारोबार करने वालों को पुलिस और खाद्य विभाग की कार्यवाही का कोई भय नहीं रह गया है।
पान मसाला कारोबारी बने वितरक
गली मोहल्ले में दुकान चलाने वालों की माने तो जर्दायुक्त गुटखा की आपूर्ति उन्हें पान मसाला के थोक कारोबारी कर रहे हैं। ऐसे थोक व्यापारी वितरक की भूमिका निभा रहे हैं जो दुर्ग , सुपेला, भिलाई, पावर हाउस, खुर्सीपार, भिलाई-3, चरोदा व कुम्हारी में पान मसाला का कारोबार करते हैं। ऐसे कारोबारियों को दुर्ग और रायपुर से सितार व पानराज ब्रांड के जर्दायुक्त गुटखे चैनल बनाकर भेजे जाने की खबर है। जिस तरीके से जर्दायुक्त गुटखा की बिक्री हो रही है उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा रहा है कि इसका निर्माण स्थानीय स्तर पर हो रहा है।
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