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दुर्ग / शौर्यपथ /
दुर्ग नगर निगम का प्रशासनिक विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार को दबाने की इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है वो एक बार फिर देखने को मिल रहा है . सालो से अमृत मिशन के कार्य की लापरवाही , मनपसंद ठेकेदार को कार्य देने की ईई मोहन पूरी गोस्वामी की जिद , विधायक निधि की बर्बादी की ईई गोस्वामी द्वारा पहल , मुख्यमंत्री के बधाई सन्देश के पोस्टरों को रातोरात शहर के होर्डिंग्स से उतरना , सफाई और व्यवस्था को सुचारू रखनेके लिए मुख्यमंत्री के पोस्टरों को , विधायक देवेन्द्र यादव व अन्य नेताओ के पोस्टरों को हटाना घटिया निर्माण और अनैतिक कार्य करने वालो पर कार्यवाही के बजाये लीपापोती करना , निगम के पैसे से आयुक्त निगम दुर्ग द्वारा सरकारी आवास में लाखो का कार्य अलग अलग नामो से करवाना जैसे मामले उजागर होते गए और दबते गए किन्तु कार्यवाही के नाम पर हर बार मामला शून्य क्योकि सारे मामले में संदेह की सुई निगम के अधिकारियों पर टिकती है ऐसे मामलो पर कार्यवाही का ना होना ही इस बात का प्रमाण है कि दुर्ग निगम के अधिकारियों द्वारा भष्र्टाचार को कितना महत्व दिया जाता है .
2019 के प्रसार की सामग्री जो अब तक दुर्ग निगम में रद्दी के ढेर में थी इसे बाँटने की अब हो रही तैयारी
ऐसे मामले जो शहर तक ही सिमित रहते थे वो मामले दबते गए और शहर के विधायक जो भष्र्टाचार पर लगाम लगाने और हमर दुर्ग की बात करते है उनके द्वारा भी कभी ऐसे मामलो पर कुछ नहीं बोला गया किन्तु अब एक ऐसा मामला आया है जिसमे दुर्ग निगम प्रशासन के अधिकारियो द्वारा प्रदेश के मुखिया की नीतियों की प्रसार सामग्री को भी रद्दी का ढेर बना दिए यहाँ तक नगरीय निकाय की योजनाओ जिसमे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और निकाय मंत्री डहरिया की फोटो ऐसे पम्पलेट , पत्रिका , मैगजीन को भी दुर्ग निगम के जिम्मेदार अधिकारी रद्दी का ढेर बना दिए , ऐसी चर्चा है कि इन पोम्प्लेट को ना बाटने का किसी बड़े जनप्रतिनिधि का आदेश था . इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो जाँच का विषय है किन्तु वो प्रशासनिक अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी थी ऐसे प्रसार सामग्री को जनता तक पहुँचाने की उन्होंने अपने दायित्व का निर्वहन क्यों नहीं किया . और जब मामले का उजागर हुआ तो दुर्ग निगम के आयुक्त हरेश मंडावी द्वारा मामले को संज्ञान लेकर जाँच क्यों नहीं की जा रही और चुपचाप इन सामग्रियों को पार्षदों के निवास क्यों पहुँचाया जा रहा है . जबकि वितरण का कार्य निगम प्रशासन का है ऐसे में पार्षदों को ये प्रसार सामग्री क्यों दिया जा रहा है .
क्या निगम प्रशासन अपनी किसी बड़ी गलती को छुपाने के लिए इस तरह की लीपापोती कर रही है आखिर आयुक्त मंडावी मामले की निष्पक्ष जाँच क्यों नहीं करवा रहे है .
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