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दुर्ग / शौर्यपथ /
एक तरफ जहां पुरे प्रदेश में मुख्यमंत्री की महत्त्वपूर्ण योजना गोवंश की रक्षा के लिए प्रदेश सरकार गोथानो का निर्माण कर रही वही दुर्ग निगम आयुक्त द्वारा गोठान के गोधन की नीलामी का आदेश दे कर एक नएविवाद को जन्म दे दिया . आज अगर समय पर बजरंग दल द्वारा इसका विरोध नहीं किया जाता तो हो सकता है कि नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो जाती . बड़ा सवाल यह है की सयुक्त कलेक्टर स्तर के अधिकारी द्वारा इस तरह का आदेश / विज्ञप्ति ज़ारी करना शहर के नागरिको के मन में कई तरह के सवाल पैदा कर रहा है . शहरी क्षेत्र के गौठान में अधिकतर वही गाय रहती है जो आवारा पशुओ की गिनती में आती है ऐसे में गायो की नीलामी करके आयुक्त मंडावी शहर को और प्रदेश के मुखिया को क्या सन्देश देना चाहते है क्या मुख्यमंत्री की इस महत्ती योजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए निगम प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती . क्या राजस्व अर्जन के लिए आयुक्त मंडावी द्वारा यह कदम उठाया गया या फिर गौठान के सञ्चालन की प्रक्रिया की खामी के लिए यह कदम उठाया गया .
बजरंग दल आया हरकत में नहीं तो बिक जाते गाये
मामले की जानकारी मिलते ही बजरंग दल प्रदेश संयोजक रतन यादव के आदेशानुसार राकेश शिंदे बजरंगी द्वारा जानकारी देते हुए, दुर्ग जिला बजरंग दल के नेतृत्व में निगमायुक्त का घेराव किया गया जिसमें बजरंगियों को उक्त जानकारी देते हुए बताया कि माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी द्वारा छत्तीसगढ़ की स्वर्णिम योजना गौ गोवर्धन के लिए गौठान बनाया गया है,जंहा पर असहाय गौमाता को सुरक्षार्थ रख सेवा की जा रही है गौवर्धन के साथ साथ जैविक खेती पर भी सरकार द्वारा महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है,बावजूद दुर्ग गौठान में गौमाता की नीलामी करने की योजना दुर्ग निगमायुक्त द्वारा की है जिसका बजरंगदल द्वारा उग्र विरोध प्रदर्शन करने पर निगमायुक्त हरेश मंडावी ने अपनी गलती स्वीकार कर गौमाता नीलामी को हमेशा के लिए रोक लगा दिया गया है एवं आश्वासन देते हुए भविष्य में इस तरह की कोई भी योजना को लाया भी नही जाएगा, जिस पर बजरंगियों ने अपने आक्रोश को नियंत्रित आगे इस तरह का प्रयास भी ना करने की बात कही,
चूंकि पूरे प्रदेश गौतस्कर का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा हैं जो सीधा कत्लखाने ले जाया जा रहा है,जिस पर बजरंग दल की पैनिक निगाहे टिकी हुई है जिस पर संगठन चाहता है कि इस तरह गौतस्करी पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाते हुए इसके लिए अलग से 1 टीम बनाया जाय जो सिर्फ इसी संदर्ब में कार्य करे, आंदोलन में प्रमुख रूप से उपस्थित गौरक्षा प्रमुख ओमेश बिसेन जी, जिला संयोजक अपुर्व सिंह,भिलाई जिला संयोजक रवि निगम,सह संयोजक मयंक उमरे,बंटी पवार,रवि भारती,सुरक्षा प्रमुक रघुवीर साहू,विद्यार्थि प्रमुख कुशल तिवारी,अनूप सिंह,अंडा प्रमुख लक्षमण,नगपुरा प्रमुख कुलेश्वर,एवं सैकडों की संख्या में बजरंगि उपस्थित थे।
निगम की शहरी सरकार को भी क्या विश्वास में नहीं लिया गया
भूपेश सरकार के कार्यकाल में शायद ये पहला मामला होगा की निगम प्रशासन द्वारा गौठान के गायो की नीलामी की जाने वाली थी . भले ही विरोध के बाद यह प्रक्रिया टल गयी किन्तु बड़ा सवाल यह उठता है की जहां एक ओर पुरे प्रदेश में रोका छेंका की योजना चल रही है ऐसे में नीलामी वाली प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करने से पहले आयुक्त मंडावी द्वारा स्थानीय विधायक , महापौर एवं निगम परिषद् को क्या विश्वास में लिया गया था या फिर एक तरफ़ा फैसला करके यह प्रक्रिया के क्रियान्वयन के लिए प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी कर दी गयी थी .
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