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मेलबॉक्स / शौर्यपथ /लद्दाख में चीन और भारत के सैनिकों के बीच आपसी टकराव के बाद देश में चीन के बने उत्पादों के बहिष्कार का अभियान चल पड़ा है। मगर इसे अमल में लाना आसान नहीं होगा, क्योंकि भारतीय सामान में भी चीन के कल-पुर्जे लगे होते हैं। आंकड़ों की मानें, तो पिछले साल अप्रैल से इस साल फरवरी तक देश में 7.5 अरब डॉलर के पीसीबी और मोबाइल फोन के पुर्जों का आयात हुआ, जिसमें 45 फीसदी पुर्जे चीन से ही मंगाए गए हैं। भले ही सरकार द्वारा आयात पर निर्भरता खत्म करने का आह्वान किया गया था, लेकिन सच्चाई यही है कि हम इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल उपकरण, दवाई, दूरसंचार उपकरण, उर्वरक, खिलौने, वाहन, सोलर उपकरण आदि क्षेत्रों में काफी हद तक चीन पर निर्भर हैं। जाहिर है, सिर्फ चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की बात कह देने से काम नहीं चलेगा। चीनी उत्पादों को हटाकर भारतीय उत्पादों को जगह देने के लिए हमें देश में फैक्टरियां लगानी होंगी और संयंत्रों की उत्पादन-क्षमता बढ़ानी होगी। इससे हालांकि, वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी, मगर चीन पर हमारी निर्भरता भी खत्म होगी। इससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
बलराम साहू, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
मानसून में सावधानी
भारत में मानसून दस्तक दे चुका है। यह तब आया है, जब कोरोना महामारी लगातार अपने पांव पसार रही है। चूंकि बारिश अपने साथ कई बीमारियों को भी लेकर आती है, इसलिए इस बार हमें विशेष सावधानी बरतनी होगी। कोरोना के कारण अस्पतालों पर पहले ही काफी बोझ है। ऐसे में, अपने और स्वजनों की सेहत का पूरा ख्याल रखना आवश्यक है। जीवन में स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, इसलिए सतर्क रहकर खुद को और अपने परिवार को बीमारियों से बचाना हमारा कर्तव्य होना चाहिए। इसके लिए हमें तमाम जरूरी उपाय करने चाहिए।
सुमित ओझा, बलिया
जिम्मेदार बनें
देश में हर दिन कोरोना के रिकॉर्ड मरीज सामने आ रहे हैं। कई तरह की पाबंदियों के बाद भी देश में मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। जब लॉकडाउन लगाया गया था, तब यही माना गया था कि लोग जवाबदेह बनेंगे और नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे। मगर एक तरफ लॉकडाउन की समय-सीमा बढ़ती रही, तो दूसरी तरफ देश में संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा होता रहा। रही-सही कसर अनलॉक-1 ने पूरी कर दी, जब कमोबेश सब कुछ खोल दिया गया। लोगों के आने-जाने में कोई पाबंदी न रहने की वजह से यात्राएं बढ़ गईं और संक्रमण का भी दूरदराज तक प्रसार हो गया। साफ है, अब हमें और सावधान व जिम्मेदार बनना होगा। अगर हम खुद को कोरोना-संक्रमण से बचाना चाहते हैं, तो हमें हर सरकारी और डॉक्टरी निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
रजत यादव, सुजानपुर, कानपुर
बेरोजगारी की काट
हमारे देश में बेरोजगारी पहले भी एक बड़ी समस्या रही है, लेकिन कोरोना ने इसे और गंभीर बना दिया है। सरकार की ओर से घोषित राहत-पैकेज से उम्मीद जगी है, लेकिन ईमानदारी के साथ इसका वितरण तो हो? अगर इस पैकेज का सही इस्तेमाल होता है, तो काफी उद्योग-धंधों का जन्म होगा, जिससे बेरोजगारी काफी हद तक दूर हो सकती है। आवश्यकता इस बात की भी है कि सरकारी मशीनरी में सब काम सिंगल विंडो द्वारा ऑनलाइन माध्यम से हो, ताकि काफी काम सुगमता से हो सकें। इसी के साथ, सरकार की मंशा के परिप्रेक्ष्य में लोकल यानी स्थानीय वस्तु और कार्य पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। यह मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी मांग है। इससे पलायन को भी रोका जा सकता है। बेरोजगारी-दर को यदि कम करना है, तो स्थानीयता को आगे बढ़ना ही होगा।
तनुज कुमार, मेरठ
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