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धर्म संसार / शौर्यपथ / हमारे देश में देवी को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। नवरात्र भी इनमें से एक है, लेकिन ज्यातादर लोग सिर्फ दो नवरात्र (चैत्र व शारदीय नवरात्र) के बारे में ही जानते हैं। बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि एक वर्ष में चार नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र सामान्य रहते हैं, जबिक माघ और आषाढ़ मास के नवरात्र गुप्त रहते हैं। गुप्त नवरात्र में विशेष रूप से तंत्र-मंत्र से संबंधित उपासना की जाती है।
आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 22 से 29 जून तक रहेंगे। पंडित राजकुमार शास्त्री के अनुसार इन दिनों दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है। ये दस महाविद्याएं हैं- काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी व कमला देवी। महाविद्याओं की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ ही की जानी चाहिए, अन्यथा पूजा का विपरीत असर भी हो सकता है। इसीलिए किसी योग्य ब्राह्मण के मार्गदर्शन में ही गुप्त नवरात्र की पूजा करनी चाहिए।
गुप्त नवरात्र का महत्व
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुप्त नवरात्र का महत्व प्रकट नवरात्र से अधिक होता है। ये नवरात्र साधकों के लिए खास होते हैं। इन समय साधक को सिद्धिया मिलती हैं। इन नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना करके साधक मनोवांछित फल पा सकते हैं।
गुप्त नवरात्र में संहारकर्ता देवी-देवताओं के गणों एवं गणिकाओं अर्थात भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल, डाकिनी, शाकिनी, खण्डगी, शूलनी, शववाहनी, शवरूढ़ा आदि की साधना की जाती है। ऐसी साधनाएं शाक्त मतानुसार शीघ्र ही सफल होती हैं। दक्षिणी साधना, योगिनी साधना, भैरवी साधना के साथ पंच मकार (मद्य, मछली, मुद्रा, मैथुन, मांस) की साधना भी इसी नवरात्र में की जाती है।
गुप्त नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ
नवरात्र के दौरान श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस दुर्गा सप्तशती को ही शतचण्डि, नवचण्डि अथवा चण्डि पाठ भी कहते हैं और रामायण के दौरान लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान श्रीराम ने इसी चंडी पाठ का आयोजन किया था, जो कि शारदीय नवरात्र के रूप में आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक रहती है।
इसीलिए नवरात्र के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्र के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है। ब्रह्मदेव ने कहा कि जो मनुष्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा।
तांत्रिक क्रिया के लिए उपयुक्त समय
आम नवरात्र में सात्विक और तांत्रिक दोनों तरह की पूजा होती है लेकिन गुप्त नवरात्र में अधिकतर तांत्रिक पूजा होती है। तांत्रिक सिद्धियां पाने के लिए यह एक अच्छा अवसर है। इसके लिए किसी सूनसान जगह पर जाकर दस महाविद्याओं की साधना करें। नवरात्र तक माता के मंत्र का 108 बार जाप भी करें। यही नहीं सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 18 बार पाठ करें।. ब्रम्ह मुहूर्त में श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ आपको दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्त करता है।
इन बातों का रखें ध्यान:
सर्वप्रथम एक स्वच्छ स्थान चुनकर देवी की स्थापना करें। स्थान ऐसा हो, जहां किसी का आना जाना न हो।
स्वयं के साथ घर-परिवार में भी तामसिक भोजन का उपयोग न करें। किसी भी स्त्री को देवी के रूप में ही देखें।
अच्छे परिणाम के लिए गुप्त नवरात्र में साधना की गोपनीयता अनिवार्य है। जो साधना कर रहा हो और जो (ब्राह्मण) साधना करा रहा हो को ही यह बात हो तो अतिउत्तम है।
साधना के समय पूजा सामग्री का विशेष तौर पर ध्यान रखें, कुछ भी कम या छूटे नहीं।
गुप्त नवरात्र तांत्रिक साधनाएं करने के लिए जाना जाता है। इस साधना से देवी प्रसन्न होती हैं तथा मनचाहा वर देती हैं।
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