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अन्य खबर /शौर्यपथ/
कनाडा के वैज्ञानिकों ने एक हालिया रिसर्च में पाया है कि क्लास रूम में बैठने के बजाय ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों में डिप्रेशन और चिंता का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही, कोरोनाकाल के दौरान ज्यादा टीवी देखने और ऑनलाइन गेम खेलने से 2 से 4 साल तक के बच्चों में भी डिप्रेशन और व्यवहार संबंधी समस्याएं जन्म ले रही हैं।
बच्चों की मेंटल हेल्थ और डिजिटल स्क्रीन का कनेक्शन
कनाडा के हॉस्पिटल फॉर सिक चिल्ड्रन के विशेषज्ञों ने रिसर्च में बच्चों की मेंटल हेल्थ और डिजिटल स्क्रीन के कनेक्शन का पता लगाया। उन्होंने करीब 2 हजार स्कूली बच्चों के माता-पिता से बात कर कोरोना के समय बच्चों की मानसिक स्थिति की रिपोर्ट बनाई। बच्चों में लड़के और लड़कियों की संख्या समान थी।
रिसर्च में यह बात सामने आई कि बच्चों की मेंटल हेल्थ से डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल का सीधा कनेक्शन है। औसतन 11 साल के बच्चों में ऑनलाइन पढ़ाई करने के कारण डिप्रेशन और चिंता का खतरा बढ़ा है। साथ ही, इनमें ज्यादा टीवी देखने, इंटरनेट पर गेम्स खेलने और वीडियो चैट करने से भी मानसिक बीमारियों का स्तर बढ़ गया है। देर तक ध्यान न लगा पाना भी बच्चों में एक बढ़ती मुसीबत है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह परेशानी केवल बड़े बच्चों में नहीं है। 2 से 4 साल तक के बच्चे भी टीवी और डिजिटल स्क्रीन के ज्यादा इस्तेमाल से व्यवहार संबंधी समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं।
रिसर्च में या भी पाया गया कि बच्चों की मेंटल हेल्थ पर कोरोनाकाल में सोशल आइसोलेशन का भी बुरा असर हुआ है। इसके अलावा, नींद में गड़बड़ी, फिजिकल एक्टिविटी न होना, तनावपूर्ण खबरें और ऑनलाइन बुलिंग का शिकार होना भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं।
कैसे रखें अपने बच्चों को मानसिक बीमारियों से दूर
1. मोबाइल पर पेरेंटल कंट्रोल का करें इस्तेमाल
बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने के लिए आप अपने मोबाइल या कम्प्यूटर पर पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपका बच्चा एक सीमित समय तक ही स्क्रीन देख पाएगा। साथ ही, उसके काम में न आने वाली चीजें ब्लॉक हो जाएंगी। इसके अलावा, चाइल्ड एक्टिविटी कंट्रोल में रखने के लिए आप ऐप्स भी यूज कर सकते हैं।
2. बच्चों से बात करें
हम अक्सर जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने बच्चों को समय देना ही भूल जाते हैं। महामारी के इस वक्त में आप अपने बच्चों का सहारा बनें। उनके मन की बातों को जानने और समझने की कोशिश करें। उनकी परेशानियों का उपाय ढूंढे। इससे वे तनाव की स्थिति में नहीं आ पाएंगे।
3. टेक्नो-फ्रेंडली बनें
आपका बच्चा कब कौन सी वेबसाइट पर जाता है, कौन से गेम खेलता है, कौन से सोशल मीडिया प्लैटफार्म चलाता है, इसकी जानकारी रखें। इससे भविष्य में यदि उनको कोई परेशानी होती है, तो आप उसे समझने में सक्षम होंगे। अगर बच्चे छोटे हैं, तो वेबसाइट्स की एज रिस्ट्रिकशन गाइडलाइंस को जरूर पढ़ लें।
4. बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2 से 5 साल की उम्र के बच्चों को हर दिन अधिकतम एक घंटा स्क्रीन देखनी चाहिए। वहीं, 2 साल से छोटे बच्चों को टीवी समेत कोई भी स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए।
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