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शौर्यपथ /समय से पहले बच्चे का जन्म यानी प्रीमेच्योरिटी के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 मार्च को वर्ल्ड प्रीमेच्योरिटी डे मनाया जाता है। भारत में कुल 1.5 करोड़ प्रीटर्म बर्थ होती हैं। इसके लिए उन्हे सही केयर और सुविधाओं की ज़रूरत है। तो आपकी मदद करने के लिए यहां हम कुछ एक्सपर्ट टिप्स लेकर आए हैं, जो बेबी को भविष्य में एक हेल्दी लाइफ जीने में मदद कर सकते हैं।
कब कहलता है एक बच्चा प्रीमेच्योर?
बता दें कि गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले किसी भी बच्चे को प्रीमेच्योर समझा जा सकता है। प्रेगनेंसी के जोखिम कारकों और कई अन्य कारकों के आधार पर, डॉक्टर सिजेरियन सेक्शन या सामान्य प्रसव के माध्यम से बच्चे को जन्म देने पर विचार कर सकते हैं। शिशु के सप्ताह जितने कम होंगे, सी-सेक्शन की संभावना उतनी ही अधिक होगी, जिसके बाद अक्सर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
प्रीमेच्योर बेबी को होने वाले कॉमप्लीकेशन्स
प्रीमेच्योर बर्थ के कारण बच्चों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से शरीर में अंगों का विकास नहीं हो पाता है, जिससे उन्हें कई तरह की समस्याओं का खतरा रहता है।
सांस और ब्लड प्रेशर की तकलीफ
इसकी वजह से आमतौर पर शिशुओं को सांस लेने में तकलीफ होती है। दिल में छेद जैसी कई कार्डियक स्थितियां, और फेफड़े और दिल में दबाव बढ़ने से ये बच्चे प्रभावित होते हैं। साथ ही, इससे रक्तचाप और हृदय की लेय भी बाधित हो सकती है।
पीलिया और इन्फेक्शन
ऐसे बच्चों में फूड इंटोलरेंस, गट हेल्थ की समस्याएं, पीलिया, मस्तिष्क में रक्तस्राव और दौरे भी पड़ सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे बच्चों को इन्फेक्शन होने का खतरा रेहता है, जिसकी वजह से उनकी जान भी जा सकती है।
मोटा और ग्रोथ की कमी
प्रीमेच्योर बच्चों में लंबे समय तक विकास, मोटापा, एलर्जी, खराब प्रतिरक्षा और न्यूरोकॉग्निटिव और ग्रोथ संबंधी समस्याएं जैसी समस्याएं आम हैं। ।
तो क्या प्रीमेच्योरिटी का कोई इलाज है?
आज हाई क्लास टेक्नोलॉजी के उपलब्ध होने की वजह से डिलिवरी डेट पता करना भी काफी आसान हो गया गया है। नई, जेंटलर और नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन स्ट्रेटिजी ने परिणामों में सुधार किया है। संक्रमण रोधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने से गंभीर संक्रमण को रोका जा सकता है।
प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल के लिए क्या किया जा सकता है?
यदि बच्चे को पाचन संबंधी कोई समस्या है तो उसके लिए मां के दूध से बेहतर और कोई दवाई नहीं है।
समय से पहले प्रसव के जोखिम कारकों के बारे में माताओं को व्यक्तिगत रूप से सलाह दी जानी चाहिए।
डॉक्टरों द्वारा बताए गए सप्लीमेंट्स को सही समय पर लेना चाहिए।
गर्भवती माताओं के लिए एक स्वस्थ आहार आवश्यक है और समय से पहले प्रसव का एक कारण पोषण की कमी भी है।
सही जांच होना बहुत ज़रूरी है ताकि प्रीमैच्योरिटी से बचा जा सके।
एक बार समय से पहले प्रसव होने की संभावना होने पर, प्रसव आईसीयू सेट-अप में होना चाहिए।
प्रीमैच्योर बेबी का ध्यान रखें
आपकी स्थिति कैसी भी हो, आपके बच्चे का जीवन उस तरह से शुरू नहीं होगा जैसा आपने उम्मीद की थी। प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल करना आपको शारीरिक और भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है। इसलिए बस एक बार में एक कदम आगे बढ़ें और धैर्य रखें।
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