November 14, 2024
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आयुर्वेदिक और होम्योपैथी दवा खाकर स्वस्थ हुए कोरोना संक्रमित डॉक्टर, जानें रखा किन बातों का ध्यान

सेहत / शौर्यपथ / आयुर्वेदिक और होम्योपैथी की दवा खाकर कोरोना संक्रमित डॉक्टर स्वस्थ हो गए। उन्हें कोरोना संक्रमण के बाद सांस लेने में दिक्कत और बुखार भी था। उनकी पत्नी भी इस बीमारी से पीडि़त थीं। उन्होंने भी इलाज के लिए इन्हीं दवाओं का उपयोग किया। दोनों अब स्वस्थ हैं।
सुपर स्पेश्यलिटी शिशु अस्पताल के कोरोना वार्ड में एक महीने मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. प्रमोद कश्यप खुद होम्योपैथी के डॉक्टर हैं। 20 दिन पहले वह कोरोना संक्रमित हो गए। दो दिन बाद उनकी पत्नी दिव्या भी कोरोना से पीडि़त मिली। दोनों को शुरू में एलोपैथी दवाएं नहीं मिलीं, ऐसे में उन्होंने आयुर्वेदिक और होम्योपैथी की दवाओं का सेवन किया। करीब 10 दिन के बाद उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई। अब दोनों स्वस्थ हैं और होम क्वारंटाइन हैं।
कश्यप ने बताया कि मुझे होम्योपैथी और आयुर्वेदिक दवाओं पर पूरा विश्वास था। इसकी जानकारी भी थी। ऐसे में मैंने आयुर्वेदिक और होम्योपैथी दवाएं लेनी शुरू कर दी। दो-तीन दिन मुझे बुखार भी था, लेकिन इससे घबराया नहीं। पॉजिटिव होने के बाद बुखार आया। एक दिन बाद सांस लेने भी थोड़ी परेशानी आई थी। दोनों चिकित्सा पद्धति की दवाओं का सेवन जारी रखा। धीरे-धीरे तबीयत सुधरती गई। अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं।
पत्नी को भी यहीं दवाएं दी। एलोपैथी की दवा के नाम पर सिर्फ विटामिन बी काम्पलेक्स दवा ली। हालांकि लोगों को मेरी सलाह है कि कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में डॉक्टरों के परामर्श के आधार पर ही दवाओं का सेवन करें। मैं खुद डॉक्टर था, इसलिए ये दवाएं लीं।
प्रतिदिन एक घंटे छत पर टहले-
कि कोरोना संक्रमण होने के बाद भी नियमित रूप से एक घंटे छत पर टहलने जरुर जाया करता था। जो प्रतिरोधक क्षमता को ठीक रखने के लिए जरुरी था। सुबह आधा घंटा और शाम को आधा घंटा टहला। जिसका फायदा भी मिला। पहले भी मैं प्रतिदिन टहला करता था। इसके लिए पार्क या सड़क के किनारे चलता था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण बाहर नहीं जा सकता था। इसलिए छत को ही पार्क बना लिया।
आयुर्वेदिक और होम्यापैथी में इन दवाओं का सेवन किया-
कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए कि आयुर्वेदिक दवाओं में गिलोय, हल्दी, तुलसी, आंवला, अश्वगंधा, ब्राह्मणी, आदि से बनी आयुर्वेदिक तरल का उपयोग किया। यह दिन में दो-तीन बार लिया करता था। वहीं होम्योपैथी में आर्सेनिक 200, सहित अन्य दवाएं ली। ताकि बुखार नियंत्रित रहे।
आजकल इन दवाओं की मांग भी बढ़ी है-
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वर्तमान में आयुर्वेदिक दवाओं की मांग बाजार में काफी बढ़ गई है। गिलोय, अश्वगंधा सहित अन्य औषधीय पौधों से बनी दवाओं की मांग पांच गुना से अधिक बढ़ गई हैं। कई आयुर्वेदिक दवाओं की बाजार में कमी हो गई है। वहीं होम्योपैथी में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आर्सेनिक 30 भी उपयोग में है।

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