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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर राम नवमी मनाई जाती है. राम नवमी पर मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की पूजा-आराधना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन यदि भक्त पूरे मनोभाव से श्रीराम का पूजन करें तो घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन खुशहाल बना रहता है. इससे व्यक्ति की हर मनोकामना की पूर्ति भी हो जाती है. चैत्र नवरात्रि के पश्चात राम नवमी मनाई जाती है. मान्यतानुसार यह इस दिन श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. जानिए इस साल चैत्र माह में राम नवमी किस दिन है और किस तरह इस दिन श्रीराम की पूजा की जा सकती है.
राम नवमी की तारीख |
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की नवमी तिथि 16 अप्रैल दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 17 अप्रैल दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगा. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए राम नवमी 17 अप्रैल, बुधवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन भक्त अपने आराध्य श्रीराम की पूजा कर सकते हैं.
राम नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 17 अप्रैल, सुबह 11 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 43 मिनट तक बताया जा रहा है.
राम नवमी पर अभिजीत मुहूर्त नहीं रहेगा. इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक रहने वाला है. वहीं, गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होकर शाम 7 बजकर 9 मिनट तक रहने वाला है. रवि योग राम नवमी के दिन पूरे दिन रहने वाला है.
राम नवमी पर बन रहा है शुभ योग
इस वर्ष राम नवमी के दिन बेहद ही शुभ योग बन रहा है. यह योग है रवि योग. रवि योग को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस योग को बेहद शुभ भी कहा जाता है. इस योग में सूर्य का प्रभाव होता है इसीलिए इस योग में पूजा करने पर माना जाता है कि कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. रवि योग में धर्म-कर्म और पूजा-पाठ बेहद फलदायी माने जाते हैं.
राम नवमी की पूजा-विधि
राम नवमी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन श्रीराम की पूजा करने के लिए सबसे पहले चौकी सजाई जाती है और उसमें श्रीराम के साथ-साथ माता सीता, लक्ष्मण और बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित की जाती है. जल अर्पित किया जाता है और फिर चंदन, रोली, अक्षत, फूल व फल आदि एक-एक करके अर्पित किए जाते हैं. भोग लगाया जाता है. राम रक्षा स्त्रोत, श्रीराम चालीसा और रामायण की चौपाइयों का पाठ करना इस दिन बेहद शुभ होता है.
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