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सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आपके फेफड़े सांस लेने का मुख्य हिस्सा होते हैं. जो आपको सांस लेने में मदद करते हैं. फेफडों की बीमारियों और अस्थमा में सांस लेने में कई बार तकलीफ होती है. बार बार बलगम या कफ का निकलना, श्वान नली में सूजन, सासं नली में मुश्किल और खांसी के लक्षण शामिल होते हैं. बता दें फेफड़े स्पंजी, हवा से भरे अंगों की एक जोड़ी है, जो आपकी छाती की तरफ होती है. वैसे तो यह शरीर के उन अंगों में से हैं जो खुद ही टॉक्सिक चीजों का सफाया कर लेते हैं लेकिन समय के साथ और बीमारियों की वजह से यह कमजोर होने लगते हैं. आयुर्वेदिक अस्थमा को उपचार करने के लिए विभन्न हर्बस का प्रयोग करता है.
हर्बल टी
आपके लंग्स में बलगम या कफ जमा हो जाये या फिर आपको अस्थमा की समस्या है. तो ऐसे में आपको हर्बल टी बहुत काम आएगी. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनी हर्बल टी को पीने से कफ या बलगम पतला हो जाता हैं और बाहर निकलने लगता है.
सरसों तेल की मसाज
सरसों के तेल में लहसुन और अजवाइन मिलाकर पका लें और इसी तेल से सीने पर मालिश करें. आपका कफ पिघलने लगेगा. मालिश करने से फेफड़ों को गर्माहट मिलती है जिससे छाती में जमा कफ दूर होता है और सांस लेना आसान बनता है.
शहद और लौंग
अगर आपको आपने फेफड़ों को मजबूत बनाना हैं तो आपके लिए लौंग का मिश्रण एक परफेक्ट रेमेड़ी है. आप अस्थमा के लक्षणों से राहत पाने के लिए एक गिलास गर्म पानी और शहद के साथ लौंग चबा सकते हैं.
हल्दी की चाय
हल्दी में पाया जाने वाला तत्व करक्यूमिन सबसे शक्तिशाली माना जाता हैं और इसकी वजह से हल्दी का रंग पीला होता है. हल्दी में कुछ मेडिसनल और एंटीऑक्सीडेंट घटक शामिल हैं. जो सूजन को रोकने कि क्षमता रखता है.
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