CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है. भक्त हमेशा भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं. माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है. चतुर्थी को भक्त व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं. ज्येष्ठ माह की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार 26 मई रविवार को एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. मान्यता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना से जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है और मनाकामनाएं पूरी हो जाती है. भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश को भक्तों के कष्ट हरने के कारण विघ्नहर्ता का नाम प्राप्त है. आइए जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि शुभ मुहूर्त और गणेश स्तोत्र.
कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी
ज्येष्ठ में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को सुबह 06 बजकर 6 मिनट शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 मई को सुबह 4 बजकर 53 मिनट तक रहेगी. एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत 26 मई को रखा जाएगा.
विघ्नहर्ता हैं भगवान गणेश
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश विघ्नहर्ता कहलाते हैं. उन्हें भक्तों के सभी कष्टों को हरने वाला माना जाता है. चतुर्थी का व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश भक्तों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं. इस दिन पूजा पाठ करने के बाद गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए. गणेश स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त होती है.
गणेश स्तोत्र |
शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।
येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥
चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।
विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥
तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।
साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥
चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।
सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥
अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।
तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥
इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।
एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥
तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।
क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥
सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
श्री वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु हे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
धन लाभ हेतु मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानयम् स्वाहा।
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.