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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / करवाचौथ व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए बहुत खास होता है. यह उपवास प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रदर्शन करके पति के हाथों पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं. इस साल यह व्रत 20 अक्तूबर को है. करवा चौथ का त्योहार सामूहिक रूप से मनाने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं एक-दूसरे के घर इकट्ठा होती हैं, फिर विधि-विधान के साथ करवा माता की पूजा करती हैं. आपको बता दें कि करवाचौथ के व्रत में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है जिसके बारे में हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हैं.
करवाचौथ पर सोलह सिंगार का महत्व
बिंदी- सुहागिन महिलाओं के लिए कुमकुम का विशेष महत्व होता है. यह गुरु के बल को बढ़ाती है.
सिंदूर - सिंदूर से मांग भरने से पति की आयु लंबी होती है. इसलिए महिलाएं पूरी मांग भरती हैं.
काजल- वहीं, आंखों में काजल लगाने से मंगलदोष दूर होता है.
मेहंदी - इसके अलावा मेहंदी हाथों की सुंदरता को बढ़ाती है. कहते हैं जितनी चटक मेहंदी चढ़ती है पति उतना प्यार करता है.
चूड़ियां - यह भी सुहाग का प्रतीक होती है. लाल और हरे रंग की चूड़ी पहनने से सुख समृद्धि आती है.
मंगलसूत्र - मंगलसूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है. इसके काले मोती बुरी नजरों से दूर रखते हैं.
नथ - वहीं, सोलह श्रृंगार में नथ का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है. इससे सुंदरता में चार चांद लग जाता है और बुझ दोष दूर होता है.
गजरा- इसके अलावा गजरा आपकी सुंदरता को बढ़ाता है और इसकी सुगंध जीवन में सकारात्मकता लाती है.
मांग टीका - यह माथे के बीचो-बीच पहना जाता है. यह सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक होता है.
झुमके - वहीं, कान में बालियां टॉप्स राहु और केतु का दोष दूर करती हैं.
बाजूबंद - इसका भी विशेष महत्व होता है. इससे परिवार धन समृद्धि की रक्षा होती है.
कमरबंद - यह इसबात का प्रतीक होता है कि अब आप ही घर की मालकिन हैं. यह साड़ी को भी संभालकर रखता है.
बिछिया - वहीं, यह पहनने से शनि और सूर्य का दोष दूर होता है.
पायल - पायल चांदी की ही पहनी जाती है.
अंगूठी - यह विवाह सूत्र में बंधने की निशानी होती है.
स्नान - आपको बता दें कि सिंगार का पहला चऱण स्नान होता है. नहाने के पानी में शिकाकाई, भृंगराज, आवंला, उबटन जैसी सामग्रियों को मिलाते हैं.
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