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व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. यह व्रत कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. वैसे तो हर महीने 2 एकादशी का व्रत रखा आता है, लेकिन ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ने वाली निर्जला एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. मान्यता है यह व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पाप भी धुल जाते हैं. साथ ही, इससे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब है निर्जला एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि.
निर्जला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त -
ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 06 जून को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगी जिसका समापन अगले दिन यानी 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण यह व्रत 6 जून को रखा जाएगा. एकादशी का पारण द्वादशी के दिन यानी 7 जून को किया जाएगा.
निर्जला एकादशी 2025 अन्य शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 2 मिनट से 4 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. वहीं, विजया मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक, जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
और निशिता मुहूर्त रात 12 बजे से 07 जून को रात 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.
निर्जला एकादशी को ऐसे करें पूजा -
सबसे पहले प्रात: काल उठकर भगवान विष्णु का स्मरण कर निर्जला एकादशी के व्रत संकल्प करें.
फिर मंदिर व पूजा घर की अच्छे से सफाई करें पूजा की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं
अब भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें. भगवान विष्णु के पीले रंग का वस्त्र और फूल चढ़ाएं.
इसके बाद फल, हल्दी, चंदन, अक्षत चढ़ाएं और खीर को भोग लगाएं.
विष्णु चालीसा का पाठ करें.
व्रत करने वालों को भोजन और वस्त्र का दान करना चाहिए.
निर्जला एकादशी के व्रत लाभ -
मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन श्रीहरि की उपासना और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति की होती है. सच्चे मन से यह व्रत करने से शरीर शुद्ध होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इससे व्यक्ति के अंदर आध्यत्मिकता का संचार होता है.
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