
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
जीना इस्सी का नाम है / शौर्यपथ / वह काफी सेहतमंद पैदा हुई थीं, और इस बात को लेकर घर में सब काफी खुश थे। खुश होने की बात ही थी। मीठी मुस्कान लिए नन्ही बच्ची घर में इधर-उधर ठुमकती, तो कोई भी उसे गोद में उठाकर दुलारने का लोभ नहीं छोड़ पाता था। मगर अम्मा-अप्पा को तब क्या पता था कि उनकी लाडली का वजन उसके बचपन को तकलीफदेह ख्यालों से भर देगा।
दीपा जब स्कूल पहुंचीं, तो वहां उन्हें एक बिल्कुल अलग दुनिया मिली। इस नए संसार में खूब सारे बच्चे थे, कई मैडम और खेलने की काफी सारी जगहें थीं। तमाम बच्चों की तरह दीपा को भी हमउम्र दोस्तों के बीच खेलना-कूदना खूब रास आता। मगर एक दिन कुछ ऐसा घटा, जिससे उनके कोमल मन को कुछ अच्छा नहीं लगा और वह सुबक पड़ीं। किसी ने उन्हें ‘बेबी एलिफैंट’ कहा था। फिर तो यह जैसे उन्हें चिढ़ाने का मुहावरा-सा बन गया।
दीपा के भीतर एक ग्रंथि बनने लगी थी। सहपाठियों के अलावा भी कई लोग थे, जो मौका पाकर उनके मोटापे पर अपना निशाना साध बैठते और इन सबका असर दीपा की पढ़ाई पर पड़ने लगा था। वह अब ज्यादातर खामोश रहने लगी थीं। अक्सर दोस्तों से कतराकर जल्द घर पहुंचने के रास्ते तलाशती रहतीं। वह क्लास में फेल हो गईं। दीपा के लिए स्कूल का माहौल अब और तकलीफदेह हो उठा था। लेकिन एक टीचर ने उनकी मनोदशा को पढ़ लिया।
तब दीपा कक्षा आठ में थीं। टीचर जानती थीं कि यदि इस बच्ची को निराशा के गड्ढे से अभी न निकाला गया, तो यह गहरी खाई में गिर सकती है। उन्होंने दीपा का हौसला बढ़ाना शुरू किया। यह एक टीचर का फर्ज था, मगर दीपा की जिंदगी में किसी फरिश्ते की आमद थी। टीचर ने उन्हें उनके गुणों का एहसास कराना शुरू किया और हताशा की ओर मुडे़ कदम जिंदगी की जानिब लौट लाए। बल्कि कुछ यूं लौटे कि दीपा पुरानी दीपा न रहीं। और स्कूली जिंदगी में ही एक मोड़ वह भी आया, जब दोस्तों से कन्नी काटकर घर भागने वाली इस लड़की ने उनकी नुमाइंदगी करने का दावा पेश कर दिया। दीपा ने स्कूली चुनाव लड़ा और उसमें जीत भी हासिल की। उसके बाद तो जैसे उनका कायांतरण ही हो गया। खुद उनके शब्द हैं, ‘उस जीत ने मुझे जिम्मेदार बना दिया, और मैं आत्मविश्वास से भरी एक लड़की के रूप में खिलने के लिए अपने खोल से बाहर आ गई।’
चेन्नई के ‘प्रिंस मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल’से निकलकर दीपा शहर के ही ‘एथिराज कॉलेज फॉर वीमेन’ पहुंच गईं, जहां से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। और इसके बाद एमबीए। आरपीजी रिटेल ग्रुप में प्रशिक्षण के दौरान दीपा और अरविंद ने विवाह करने का फैसला किया था। लेकिन न तो दीपा का परिवार इस शादी के पक्ष में था, और न ही अरविंद का। इसके बावजूद दोनों विवाह-बंधन में बंध गए। शादी के नौवें महीने ही दीपा एक बेटे की मां बन गईं और उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। अब सारा आर्थिक बोझ अरविंद के कंधे पर आ गया। दीपा को काफी बुरा लगता था कि वह पति की कोई मदद नहीं कर पा रही हैं। उसी समय उनके पुराने बॉस का फोन आया कि दीपा उनके बेटे की बर्थडे पार्टी का आयोजन देख लें।
यह 2002 के आसपास की बात है। दीपा ने ‘गो ग्रीन’नाम से थीम पार्टी का आयोजन किया, और रिटर्न गिफ्ट में सबको पौधे दिए गए। इस पार्टी में शरीक होने वाले लोगों को आइडिया काफी पसंद आया, और फिर दीपा का बिजनेस चल पड़ा। उसके बाद वह बच्चों के लिए समर कैंप का आयोजन करने लगीं। ‘लीडरशिप फॉर किड्स’कार्यक्रम के जरिए वह बच्चों को अपना जीवन बदलने के लिए प्रेरित करती थीं। उनका यह काम भी अच्छा चल निकला।
लेकिन जिंदगी इंसान का इम्तिहान लेना कब छोड़ती है? कारोबार में साझेदार की नीयत बदल गई और दीपा का सब कुछ लुट गया। कर्ज चुकाने के लिए उन्हें अपना घर, कार, सब कुछ बेचना पड़ा। यहां तक कि बेटे को उसके स्कूल से निकालना पड़ा, क्योंकि वह उसकी फीस नहीं चुका सकती थीं। लगभग उसी वक्त वह एक बेटी की भी मां बन गई थीं।
किसी तरह जीना था। मगर कैसे? दीपा ने बसंत नगर समुद्र तट पर बच्चों को बैलून बेचना शुरू किया। ‘बीच’ पर आने वाले बच्चों से पैसे लेकर वह उन्हें कहानियां सुनातीं और फिर बैलून बेचतीं। बच्चे उनकी कहानियों के मुरीद होकर खूब आने लगे। इस आइडिया पर स्थानीय मीडिया की नजर पड़ी, उन्होंने दीपा को खूब छापा। अखबार में पढ़कर मदुरई के एक स्कूल ने उन्हें अपने यहां दास्तानगोई के लिए बुलाया। उसी समय दीपा ने ‘स्कूल ऑफ सक्सेस’ की नींव रखी। आज उनका समूह 2,500 से ज्यादा स्कूलों में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए कहानी सुनाने से लेकर प्रशिक्षण देने तक का कार्यक्रम आयोजित करता है। दीपा स्कूलों से कोई निश्चित फीस नहीं लेतीं, बल्कि उन्हें ही यह अख्तियार सौंप देती हैं। अब तक तीन लाख से अधिक बच्चे-बच्चियां स्कूल ऑफ सक्सेस से लाभ उठा चुके हैं।
प्रस्तुति : चंद्रकांत सिंह
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.