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मेलबॉक्स / शौर्यपथ / कोरोना वायरस से जहां सभी देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है, वहीं भारत के सामने नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं। अपनी कमियों को पहचानने के साथ-साथ यह हमें आत्मनिर्भर बनने का मौका भी दे रहा है। हालांकि, यह आत्मनिर्भरता केवल औद्योगिक क्षेत्रों से नहीं आ सकती, इसकी बुनियाद बेहतर शिक्षा में छिपी है। आज हमारे देश में युवा और शिक्षित लोगों की कमी नहीं है, फिर भी वे इतने योग्य नहीं कि देश को आत्मनिर्भर बना सकें। लिहाजा आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे पहले हमें गुणवत्तापूर्ण और व्यावहारिक शिक्षा की ओर बढ़ना होगा। शोध के क्षेत्र में प्रोत्साहन ज्यादा जरूरी है। देश के सभी शिक्षण संस्थानों में निरंतर प्रायोगिक कक्षाएं होनी चाहिए। आज हमारे देश में विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ज्यादा उत्साहित रहते हैं, वे शोध के क्षेत्र में जाने से कतराते हैं। इस सोच को बदलने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए। शोध-कार्यों को बढ़ावा देकर ही आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा जा सकता है।
प्रतीक राज, झांसी
और सजगता जरूरी
कोविड-19 से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को सरकार ने चरणबद्ध तरीके से खोलने का एलान कर दिया है। लॉकडाउन की वास्तविक पाबंदियां अब सिर्फ कंटेनमेंट जोन में ही लगेंगी। मगर अब हम सबकी जिम्मेदारी कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं। हमें ठीक ढंग से दो गज की दूरी का पालन करना होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से देश में संक्रमण और मौत के आंकडे़ जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, वे चिंताजनक हैं। चूंकि अर्थव्यवस्था को खोलना भी जरूरी है, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है कि लोग खुद पर अनुशासन रखें। खतरा अभी टला नहीं है।
काव्यांशी मिश्रा, मैनपुरी
साल एक, काम अनेक
मोदी सरकार 2.0 के एक साल पूरे हो चुके हैं। बीते एक वर्ष में सरकार कई मुद्दों पर विपक्ष के निशाने पर रही, लेकिन उसने कई ऐसे काम भी किए, जो आम जनता के हित में रहे। मोदी सरकार की सबसे खास बात यह है कि उसके मंत्री भ्रष्टाचार से दूर हैं। इसके अलावा, बरसों से चले आ रहे तीन तलाक को खत्म करके सरकार ने मुस्लिम वर्ग की महिलाओं को बड़ी राहत दी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 रद्द करके अलगाववादियों द्वारा देश को विभाजित करने के प्रयासों को भी उसने एक झटके में नाकाम कर दिया। देश की अर्थव्यवस्था को प्रगति-पथ पर आगे बढ़ाना, सभी वर्गों के लोगों को साथ लेकर चलना और उनके हित में काम करना, गरीबों के लिए अपने ही क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं तलाशना, देश में चल रहे आंतरिक विवादों को निष्पक्ष होकर सुलझाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफल कूटनीति द्वारा ताकतवर राष्ट्रों के बीच अच्छे संबंध बनाना सरकार के ऐसे कार्य हैं, जो बहुत ही प्रशंसनीय हैं।
अभिषेक सिंह, जौनपुर
दुव्र्यवहार दुखद
महानगरों से लौटने वाले प्रवासियों के साथ कई गांवों में दुव्र्यवहार की खबरें आ रही हैं। ऐसा देखा जा रहा है कि ग्रामीणों के साथ-साथ जन-प्रतिनिधि भी उन्हें गांवों में प्रवेश से रोक रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की जांच के उपरांत, जिन्हें होम क्वारंटीन की सलाह दी गई है, उन्हें भी गांवों से बाहर रहने को कहा जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? घर लौटे प्रवासियों के साथ इस तरह की बदसुलूकी क्यों की जा रही है? जागरूकता के अभाव में वे ऐसा कर रहे हैं। सरकारी अधिकारी गण ऐसे ग्रामीणों और जन-प्रतिनिधियों को बताएं कि संदिग्ध मात्र से कोई कोरोना का मरीज नहीं हो जाता, और फिर, कोरोना के कई मरीज तो घर में भी ठीक हो सकते हैं। घर लौटे प्रवासियों के साथ ऐसा रूखा व्यवहार बंद होना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह रंगा, हरियाणा
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