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आस्था /शौर्यपथ / हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शंकर व माता गौरी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त फलाहार या निर्जला रहकर उपवास करते हैं।
मई का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?
हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत आता है। ऐसे में हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, जबकि सालभर में कुल 24 व्रत पड़ते हैं। इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत 24 मई 2021, दिन सोमवार को है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा-विधि-
प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। इसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस दौरान स्नान के बाद पूजा के लिए बैठें। भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें। महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं। मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत नियम-
प्रदोष व्रत यूं तो निर्जला रखा जाता है इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत को पूरे दिन रखा जाता है। सुबह नित्य कर्म के बाद स्नान करें। व्रत संकल्प लें। फिर दूध का सेवन करें और पूरे दिन उपवास धारण करें।
प्रदोष में क्या नहीं करना चाहिए-
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।
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