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धर्म संसार / शौर्यपथ /आषाढ़ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को वैवस्वत सूर्य की पूजा की जाती है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार यह तिथि 16 जुलाई 2021 शुक्रवार को पड़ रही है। वैवस्वत पूजा क्या है? क्यों की जाती है? जानिए महत्व।
वैवस्वत पूजा क्या है?
12 आदित्यों में से एक भगवान सूर्य को विवस्वान भी कहा जाता है। इन्हीं विवस्वान और विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा के पुत्र थे वैवस्वत मनु। वैवस्वत मनु को कई जगहों पर श्राद्धदेव या सत्यव्रत भी कहा गया है। इन्हीं की पूजा की जाती है जिसे वैवस्वत पूजा कहा जाता है। वैवस्वत मनु की शासन व्यवस्था में देवों में पांच तरह के विभाजन थे: देव, दानव, यक्ष, किन्नर और गंधर्व। वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे। इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध पुत्र थे। इसमें इक्ष्वाकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ। इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि, अरिहंत और भगवान हुए हैं।
क्यों की जाती है?
द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत (वैवस्वत मनु) के समक्ष भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर कहा कि आज से सातवें दिन भूमि जल प्रलय के समुद्र में डूब जाएगी। तब तक एक नौका बनवा लो। समस्त प्राणियों के सूक्ष्म शरीर तथा सब प्रकार के बीज लेकर सप्तर्षियों के साथ उस नौका पर चढ़ जाना। प्रचंड आंधी के कारण जब नाव डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य रूप में बचाऊंगा। तुम लोग नाव को मेरे सींग से बाँध देना। तब प्रलय के अंत तक मैं तुम्हारी नाव खींचता रहूंगा। उस समय भगवान मत्स्य ने नौका को हिमालय की चोटी ‘नौकाबंध’ से बांध दिया। भगवान ने प्रलय समाप्त होने पर वेद का ज्ञान वापस दिया। राजा सत्यव्रत ज्ञान-विज्ञान से युक्त हो वैवस्वत मनु कहलाए। उक्त नौका में जो बच गए थे उन्हीं से संसार में जीवन चला। इसी घटना की याद में वैवस्वत मनु की पूजा की जाती है। यह भी कहा जाता है कि वैवस्वत मनु पूर्वाषाढ़ को प्रकट हुए थे। इसीलिए इस दिन का महत्व है।
महत्व :
1. भगवान सूर्य के साथ उनके पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा करने का महत्व है। आषाढ़ महीने की सप्तमी तिथि पर भगवान सूर्य के साथ उनके पुत्र वैवस्वत मनु की भी पूजा की जाती है।
2. सूर्य सप्तमी का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य का आशीष मिलता है, साथ ही वह सूर्य कृपा से अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त करता है।
3. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार अभी वैवस्वत मनवंतर चल रहा है। सूर्यदेव ने देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लिया था और विवस्वान एवं मार्तण्ड कहलाए। इन्हीं की संतान वैवस्वत मनु हुए जिनसे सृष्टि का विकास हुआ है। इन्हीं के नाम पर ये मन्वंतर है। शनि महाराज, यमराज, यमुना और कर्ण भी भगवान सूर्य की ही संतान हैं।
4. यह भी कहा जाता है कि वैवस्वत मनु पूर्वाषाढ़ को प्रकट हुए थे। इसीलिए इस दिन का महत्व है।
5. वैवस्वत मनु की पूजा से शनि और यम का भय भी नहीं रहता है।
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