September 09, 2025
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शौर्यपथ

शौर्यपथ

   राजनांदगांव / शौर्यपथ / लॉकडाउन में अप्रवासी मजदूरों की बदहाल हालत को दुरूस्त करने के लिए बाघनदी बार्डर में तैनात आईटीबीपी की 38वीं वाहिनी ने सेवाभाव दिखाते हुए मजदूरों की सुध ली है। बार्डर में बड़े पैमाने पर थके-प्यासे पहुंच रहे मजदूरों के प्रति उदारता का परिचय देते हुए आईटीबीपी के जवान पूरी शिद्दत के साथ मदद के लिए सामने आ रहे हैं। आईटीबीपी के मददगार रूख ने मजदूरों की भूख और प्यास को दूर करने का काम किया है। सिविक एक्शन प्लान के तहत 38वीं वाहिनी की ओर से भोजन के पैकेट के साथ-साथ मठा भी मजदूरों को दिया जा रहा है। आईटीबीपी की ओर से मजदूरों को बार्डर में प्रवेश करते ही भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
   इसके अलावा शारीरिक परेशानी से त्रस्त मजदूरों को चिकित्सकों की सलाह के पश्चात दवाई भी दी जा रही है। इस संबंध में डिप्टी कमांडेंट रंजन कुमार ने कहा कि कमांडेंट नरेन्द्र सिंह के दिशा-निर्देश पर सिविक एक्शन प्लान के तहत मजदूरों को मदद की जा रही है। आईटीबीपी सामाजिक सरोकार से जुड़ते हुए यह प्रयास कर रहा है। इधर बाघनदी बार्डर में आईटीबीपी की ओर से सूखे खाद्य पदार्थ भी दिए जा रहे हैं। मजदूरों की तकलीफ को दूर करने की कोशिश में जुटे आईटीबीपी के आलाधिकारी और अन्य जवान हरसंभव मजदूरों की दशा को सुधारने में मदद कर रहे हैं। आईटीबीपी के इस प्रयास की जमकर सराहना हो रही है। आईटीबीपी 24 घंटे बार्डर में मजदूरों की देखभाल के लिए डटा हुआ है।

राजनांदगांव / शौर्यपथ / करोना संक्रमण काल के इस वैश्विक संकट में मजदूर साथियों को अपने कार्य क्षेत्र को छोड़कर घर आने की आपाधापी में भूखे-प्यासे मजदूरों की सेवा करने के लिए जिला भाजपा द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह एवं सांसद संतोष पांडे के आवाहन पर जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव के नेतृत्व में जिला भाजपा द्वारा खाद्यान्न सामग्री के पैकेट प्रवासी मजदूरों को बांटे गए।
महाराष्ट्र सीमा एवं अन्य राज्यों से आने वाले कई मजदूर बसों के द्वारा अन्य जिलों की ओर जा रहे थे, उन्हें रोककर रायपुर नाका के पास राम दरबार के समीप तथा ठाकुरटोला टोल प्लाजा के पास 600 पैकेट का वितरण किया गया। वितरण कार्यक्रम में वरिष्ठ भाजपा नेता खूबचंद पारख, संतोष अग्रवाल, सचिन बघेल, रमेश पटेल, भरत वर्मा, रेखा मेश्राम, शोभा सोनी, सावन वर्मा, हीरेन्द्र साहू, रविन्द्र सिंह, शिव वर्मा, राजेश श्यामकर, तरूण लहरबानी, किशुन यदु, सुमित भाटिया, दिनेश गुप्ता, योगेश खत्री, प्रखर श्रीवास्तव, रघुवीर वाधवा, दिनेश गुप्ता, बंटी भाटिया, सुनील साहू, नागेश यादव, चंद्रभान जंघेल, आकाश चोपड़ा, आशुतोष सिंह, जय शर्मा, अरुण शुक्ला, बलवंत साहू, शेखर यादव, मनीष जैन, सरस्वती यादव, अकरम कुरैशी, हकीम खान आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे।
जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव ने बताया कि पैकेट वितरण का यह कार्यक्रम अनवरत रूप से मजदूरों के प्रवास तक जारी रहेगा।

      शौर्यपथ / पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 29वी पुण्‍यतिथि कांग्रेस पार्टी सहित देश ने उन्‍हें याद कर श्रद्धासुमन अर्पित किए. स्‍वर्गीय राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी ने अपने पिता को नमन करते हुए भावुक ट्वीट किया. अपने ट्वीट में राहुल ने हिंदी में लिखा, 'एक सच्चे देशभक्त, उदार और परोपकारी पिता के पुत्र होने पर मुझे गर्व है. प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी ने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया. अपनी दूरंदेशी से देश के सशक्तीकरण के लिए उन्होंने ज़रूरी कदम उठाए. आज उनकी पुण्यतिथि पर मैं स्नेह और कृतज्ञता से उन्हें सादर नमन करता हूं.'
राजीव गांधी की पार्टी, कांग्रेस ने भी आज सुबह ट्विटर पर उनका एक छोटा वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में कहा गया है, "राहुल गांधी- वह व्यक्ति, जिन्‍होंने युवा भारत की नब्ज को पहचाना और हमें एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर किया. वह व्यक्ति जो युवाओं और बुजुर्गों की जरूरतों को समझता था और जिसे सभी का प्‍यार मिला."

एक अन्‍य ट्वीट में कहा गया है कि राजीव गांधी ने महिलाओं के सशक्‍तीकरण और अधिक समान समाज की वकालत करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके पूर्व प्रधानमंत्री राहुल गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राजीव गांधी को एक दूरदर्शी और हर किसी का ध्‍यान रखने वाले और एक दयालु इंसान के रूप में याद किया. उन्‍होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'भारत के सबसे युवा पीएम राजीव गांधी बेहद दूरदर्शी थे. उन्होंने सभी भारतीयों के लिए एक उज्जवल भविष्य की कल्पना की और इस दिशा में काम किया." गौरतलब है कि राजीव गांधी ने 1984 में अपनी मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश की बागडोर संभाली थी. वह 40 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे. वर्ष 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनाव अभियान के दौरान एक आत्मघाती हमलावर द्वारा बम विस्‍फोट कर राजीव गांधी की नृशंस हत्‍या कर दी गई थी. उनकी पुण्यतिथि को आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

 

       रसोई / शौर्यपथ / क्या आपको पता है कि राजमा जितना चाव से भारत में खाया जाता है, इसे मेक्सिको में भी उतना ही पसंद किया जाता है। कहीं राजमा मसाला-वड़ा खाया जाता है, तो कहीं राजमा को सलाद के रूप में परोसा जाता है। आप बनाइए नाश्ते में राजमा कटलेट्स।

1- भारत में राजमा के शौकीन बहुत लोग हैं। पर क्या आपको इसके सेहत के गुण पता हैं? राजमा में जितनी कैलोरी होती है, वो हर आयु वर्ग के लोगों की सेहत के लिए सही होती है। आप इसे सलाद और सूप के रूप में भी ले सकते हैं। वहीं इसमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन क्रिया को सही बनाए रखने में मदद करते हैं। यह ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रित करने में मददगार होता है।

2-कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर राजमा को सब्जी के तौर पर बना ही सकते हैं, राजमा कटलेट जैसी रेसिपी भी आजमा सकते हैं। आपको चाहिएराजमा 1 कप, लाल मिर्च पाउडर 1 छोटा चम्मच, बारीक कटा हुआ लहसुन आधा चम्मच, हरा धनिया, बारीक कटी अदरक आधा चम्मच, 2 मध्यम साइज के टमाटर कटे हुए, दो प्याज बारीक कटे हुए, भूना जीरा पाउडर एक छोटा चम्मच और नमक स्वादानुसार।

3-राजमा कटलेट बनाने के लिए रात में भिगोया एक कप राजमा सुबह एक चुटकी नमक और आधा या पौन कप पानी संग उबाल कर ठंडा होने पर मिक्सी में दरदरा पीसें। एक बर्तन में दरदरा पीसा राजमा और बाकी सारी सामग्री डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लीजिए। हाथ में थोड़ा सा मिश्रण लेकर इसे हल्के हाथों से दबाकर चपटा कर कटलेट का आकार दें। अब एक पैन में तेल मध्यम आंच पर गर्म करें। तेल बस सेंकने के लिए चाहिए। गर्म तेल में एक-एक करके कटलेट डालें और मध्यम आंच पर फ्राई करें। सुनहरा सिक जाने पर चटनी संग परोसें।

 

      रसोई / शौर्यपथ / आप अगर ऐसे ब्रेकफास्ट ऑप्शन की तलाश में हैं, जो स्वाद के साथ सेहत से भरा भी हो, तो चिली सोया सबसे बेस्ट है।आइए, जानते हैं रेसिपी-

सामग्री :
सोयाबीन नगेट्स - 100 ग्राम
लहसुन पेस्ट- 1/2 चम्मच
तेल- 2 चम्मच
बारीक कटा हरा प्याज- 1 कप
कटी हुई हरी मिर्च- 2
सोया सॉस- 2 चम्मच
विनिगर- 2 चम्मच
नमक- स्वादानुसार

 

विधि :
सोयाबीन नगेट्स को आधे घंटे के लिए पानी में भिगोने के बाद पानी निचोड़ दें। एक बाउल में सोया नगेट्स, एक चम्मच नमक और लहसुन का पेस्ट डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। कढ़ाही में तेल गर्म करें और उसमें हरे प्याज को डालकर थोड़ी देर भूनें। हरी मिर्च डालें और कुछ सेकेंड पकाएं। अब कड़ाही में बचा हुआ नमक, सोया सॉस, विनिगर और सोयाबीन डालें, अच्छी तरह से मिलाएं। तेज आंच पर दो-चार मिनट पकाएं और सर्व करें।

 

       लाइफस्टाइल / शौर्यपथ / कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में लोग घर में ही हैं। ऐसे में घर पर रहते हुए जितनी हेल्दी चीजें कर ले उतना अच्छा है। घर में हैं तो अपने पुराने तांबे के बर्तन बाहर निकाल लें और उसका इस्तेमाल करें। पहले के समय में खाना पकाने से लेकर खाने तक के लिए तांबे के बर्तन ही देखने को मिलते थे और उसकी वजह से लोगों को बीमारियां भी कम होती थीं। इन बर्तनों में खाना पकाना भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।  कि आयुर्वेद में कहा गया है कि कॉपर यानी तांबे के बर्तन का पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद है। इसके पानी के सेवन से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और कई बीमारियां आसानी से खत्म हो जाती हैं। तांबा जल्दी से तापमान में बदलाव पर प्रतिक्रिया देता है और खाना पकाने के लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है। कोरोना वायरस के कारण क्वॉरेंटीन में हैं तो किचन में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करना बेहद फायदेमंद हो सकता है। तांबा इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और नई कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करने के लिए जाना जाता है।

किचन में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल इसके कई गुणों के कारण फायदेमंद है। यह अपने एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुणों के लिए जाना जाता है। तांबा घावों को जल्दी से भरने के लिए एक शानदार जरिया है। तांबे के बर्तनों में पका खाना खाने से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे किडनी और लिवर स्वस्थ रहते हैं।
जर्नल ऑफ हेल्थ, पॉपुलेशन एंड न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि तांबा भोजन में वायरस और बैक्टीरिया के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है और उन्हें मार सकता है। यानी किचन में कुछ तांबे के बर्तन एक जबर्दस्त रोगाणुरोधी के रूप में कार्य कर सकते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि तांबे के बर्तन कितने पुराने या ऑक्सीकृत हैं, इन बर्तनों में भोजन रखने और खाना पकाने से भोजन रोगाणु मुक्त हो सकता है।

तांबे के बर्तनों में खाना पकाने से इनमें उपस्थित तांबा भी खाने के साथ मिलकर शरीर में जाता है और कई तरह से फायदा पहुंचाता है। कि तांबा मनुष्यों के लिए आवश्यक खनिजों में से एक है। तांबा शरीर में प्रोटीन के एक प्रकार कोलेजन बनाने में मदद करता है और आयरन को अवशोषित करता है, जिससे ऊर्जा उत्पादन का काम आसानी से हो पाता है। तांबे के बर्तन में पका खाना खाने से जोड़ों का दर्द और सूजन की दिक्कत कम हो जाती है।

जब भी तांबे के बर्तन में खाना पका रहे हों, तो गैस जलाने से पहले बर्तन में हमेशा भोजन अवश्य रखें। पैन के तल को ढकने के लिए पर्याप्त भोजन और तरल होना चाहिए। जलने से बचाने के लिए हमेशा अपने भोजन को कम से मध्यम आंच में पकाएं। अपने हाथ से बर्तन धोने के लिए एक सौम्य साबुन का प्रयोग करें। तांबे के बर्तन में स्पंज या तौलिए का प्रयोग न करें। वैकल्पिक रूप से, तांबे के बर्तन को साफ करने के लिए बेकिंग सोडा और पानी का इस्तेमाल करके भी देख सकते हैं।

 

     शौर्यपथ / हालात को स्वीकारना और विपरीत परिस्थिति में भी दृढ़ता के साथ आगे बढ़ना हिम्मत की बात होती है। ऐसे ही लोग अपनी मंजिल पाने का हुनर रखते हैं। मुश्किल हालात में मजबूत फैसले लेने में ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं-

खुद से सवाल करें कि क्या चाहते हैं आप
हर किसी का काम करने, सोचने-समझने का तरीका अलग होता है। कुछ तुरंत कदम उठा लेते हैं, तो कुछ हर तरह से सोच-समझकर आगे बढ़ते हैं। किस हालात में हम कैसी प्रतिक्रिया देंगे, क्या कदम उठाएंगे, यह इस पर भी निर्भर है कि हम खुद से क्या चाहते हैं?

 

जल्दबाजी में न करें फैसला
धैर्य रखना आसान नहीं होता। जो रखते हैं, वे जानते हैं कि उसका उन्हें फायदा ही हुआ है। सब्र की वजह से कई मुश्किल सवाल खुद हल हो जाते हैं और कई बड़े काम बिगड़ने से बच जाते हैं। धैर्य, शांति से यह स्वीकारना है कि हमारे काम उन तरीकों से भी पूरे हो सकते हैं, जो सोचे नहीं थे।’

 

घबराहट में वो न बनें, जो आप नहीं हैं
कठिन हालात में भी अच्छे व्यवहार का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। बेचैन होकर बिफरना, छोटी सी बात पर रिश्तों से मुंह मोड़ लेना या अपने जरा से फायदे के लिए दूसरों का बड़ा नुकसान कर देना बड़ा ही आसान होता है। मुश्किल है, तो उसे बचाए रखना, जो दरअसल आप हैं। कहा जाता है कि अच्छे स्वभाव वाला व्यक्ति वो सब पा लेता है, जो पाने की वह इच्छा रखता है।

 

         धर्म संसार / शौर्यपथ / शनिदेव का नाम आते ही अक्सर लोग सहम जाते हैं या फिर असहज हो जाते हैं। उनके प्रकोप से खौफ खाने लगते हैं। शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि न्यायधीश या कहें दंडाधिकारी की भूमिका का निर्वहन करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव सेवा और कर्म के कारक हैं।

शनि देव न्याय के देवता हैं, उन्हें दण्डाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है। शनि शत्रु नहीं बल्कि संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं। वह अच्छे का अच्छा और बुरे का बुरा परिणाम देने वाले ग्रह हैं शनिदेव।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना कर उनको प्रसन्न किया जाता है। अगर कोई शनिदेव के कोप का शिकार है तो रूठे हुए शनिदेव को मनाया भी जा सकता है। शनि जयंती का दिन तो इस काम के लिये सबसे उचित माना गया है।

कब है शनि जयंती
इस बार शनि जयंती 22 मई 2020 शुक्रवार के दिन है। ज्येष्ठ मास में अमावस्या को धर्म कर्म, स्नान-दान आदि के लिहाज से यह बहुत ही शुभ व सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन को ही शनि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। शनि जयंती पर विशेष पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

क्यों खास है ज्येष्ठ अमावस्या
ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या को न्यायप्रिय ग्रह शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिवस को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि दोष से बचने के लिये इस दिन शनिदोष निवारण के उपाय विद्वान ज्योतिषाचार्यों के करवा सकते हैं। इस कारण ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं शनि जयंती के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिये उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी मानी जाती है।

क्यों नाराज रहते हैं शनि देव
शनिदेव के जन्म के बारे में स्कंदपुराण के काशीखंड में विस्तार से दिया गया है। उसके अनुसार सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र शनिदेव हैं। सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था और उन्हें मनु, यम और यमुना के रूप में तीन संतानों की प्राप्ति हुई। विवाह के बाद कुछ वर्षों तक संज्ञा सूर्य देव के साथ रहीं लेकिन अधिक समय तक सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाईं।

इसलिए उन्होंने अपनी छाया (संवर्णा) को सूर्य देव की सेवा में छोड़ दिया और कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। हालांकि सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया असल में संज्ञा नहीं है तो वे क्रोधित हो उठे और उन्होंने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही शनि और सूर्य पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखने लगे।

 

          धर्म संसार / शौर्यपथ /कल वट सावित्री का व्रत है। इसको लेकर राजधानी पटना के बाजारों में गुरुवार को महिलाएं पूजन सामग्री खरीदतीं नजर आईं। हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्रि व्रत रखती हैं। जो स्त्री इस व्रत को सच्ची निष्ठा से रखती है उसे न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके पति पर आई सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं। अत: इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन होता है। इस व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं। इस दिन सुबह घर की सफाई कर स्नान करें। इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें। बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें। ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।

इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें। इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें। इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें। अब सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बड़ की जड़ में पानी दें। पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें। जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें। बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें। भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीष प्राप्त करें।

 

       खेल/ शौर्यपथ / भारतीय बल्लेबाज रोबिन उथप्पा उस टीम का हिस्सा था, जिसने 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में पाकिस्तान को हराकर पहला आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप जीता था। टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में भारत और पाकिस्तान के बीच ग्रुप स्टेज में 'बॉल आउट' से भी एक मैच का फैसला हुआ था। इस 'बॉल आउट' में भारत ने पाकिस्तान को मात दी थी। इन पुरानी यादों को ताजा करते हुए रोबिन उथप्पा ने हाल ही में बताया किस तरह धोनी की रणनीति की वजह से भारत 'बॉल आउट' में पाकिस्तान के खिलाफ जीता था।

2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में 'बॉल आउट' का इस्तेमाल किया गया। मैच टाई होने की स्थिति में इस नियम के जरिये विजेता का फैसला किया जाता था। पहला 'बॉल आउट' ग्रुप गेम के दौरान कड़ी प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था। इस 'बॉल आउट' में भारत ने नॉन रेगुलर बॉलर्स को उतारा और जीत हासिल की थी।

धोनी की पोजिशन से मिली बॉल आउट में बड़ी मदद
राजस्थान रॉयल्स के पॉडकास्ट में इश सोढ़ी से बात करते हुए रोबिन उथप्पा ने बताया कि किस तरह धोनी की प्लानिंग और समझदारी ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में बॉल आउट जीतने में मदद की थी। उथप्पा ने कहा, ''एक बात थी जो धोनी ने बहुत अच्छी तरह से की थी, वह यह थी कि धोनी विकेट के पीछे पाकिस्तानी कीपर की तरह नहीं खड़े हुए थे। बॉल आउट के दौरान पाकिस्तानी विकेटकीपर कामरान अकमल वहीं खड़े हुए थे, जहां आमतौर पर विकेटकीपर खड़े होते हैं। विकेट से काफी पीछे की तरफ।''

उन्होंने आगे बताया, ''स्टम्स के पीछे कुछ कदम पीछे की तरफ, लेकिन महेंद्र सिंह धोनी स्टम्प्स के ठीक पीछे बैठ गए थे। धोनी की पोजिशन ने हमारे लिए काम आसान कर दिया था। हम बस धोनी को बॉल कर थे और इसी ने हमें विकेट पर मारने का बेस्ट चांस दिया। हमने बस यही किया।''

भारत-पाकिस्तान के बीच टाई के बाद खेला गया बॉल आउट
मैच में भारत और पाकिस्तान दोनों ने निर्धारित 20 ओवर में 141 रन बनाए थे। मैच टाई हुआ और फिर 'बॉल आउट' खेला गया। रोबिन उथप्पा ने यह भी बताया कि भारतीय टीम अपने ट्रेनिंग सेशन में बॉल आउट की प्रैक्टिस करती थी, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया था। इस प्रैक्टिस ने भी भारत को जीतने में मदद की।

सहवाग ने किया बॉल आउट का आगाज
बॉल आउट की शुरुआत वीरेंद्र सहवाग ने की। उन्होंने पहले ही चांस में विकेट को हिट किया और भारत के लिए पहला प्वॉइंट कमाया। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से यासिर अराफत ने शुरुआत की और पहला ही मौका चूक गए। इसके बाद दूसरी गेंद डालने के लिए हरभजन सिंह और उन्होंने सीधा विकेटों को अपना निशाना बनाया। भारत को दूसरा प्वॉइंट मिलते ही पाकिस्तान बैकफुट पर चला गया।

रोबिन उथप्पा ने डाली बॉल आउट की आखिरी गेंद
अब पाकिस्तान ने अपने बेस्ट बॉलर उमर गुल को भेजा, लेकिन उन्होंने भी मौका गंवा दिया और भारत शानदार मौका मिला। इसके बाद आश्चर्यजनक रूप से भारत की तरफ से तीसरी बॉल डालने के लिए रोबिन उथप्पा आए। उन्होंने परफेक्शन के साथ गेंद डाली, जो सीधा विकेटों पर लगी। अब पाकिस्तान के पास आखिरी मौका था। इस बार शाहिद अफरीदी गेंद डालने के लिए आए, लेकिन वह भी चूक गए और इस तरह भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ यादगार जीत हासिल की।

 

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