
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।
शौर्यपथ लेख / भारत में स्वच्छता की चर्चा जब भी होती है, तो केवल कचरा या गंदगी की सफाई ही नहीं बल्कि शौचालयों की उपलब्धता और उनका नियमित उपयोग भी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आती है। लंबे समय तक खुले में शौच की समस्या देश की छवि और स्वास्थ्य दोनों के लिए बाधा बनी रही। वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का आह्वान किया, तब इस समस्या को दूर करने की दिशा में व्यापक प्रयास शुरू हुए। घर-घर शौचालय बनने लगे, शहरों और कस्बों में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ और धीरे-धीरे समाज में यह संदेश घर करने लगा कि स्वच्छता केवल सरकार का कार्य नहीं बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए क्लीन टॉयलेट अभियान की शुरुआत हुई, जिसकी थीम है – “स्वच्छ शौचालय हमारी जिम्मेदारी।” इस अभियान का मकसद केवल शौचालय बनाना नहीं, बल्कि उन्हें स्वच्छ, सुरक्षित और उपयोगी बनाए रखना है। क्योंकि यह बार-बार देखा गया कि शौचालय बन जाने के बाद भी उनका रखरखाव न होने से लोग उन्हें छोड़कर फिर खुले में शौच करने लगते थे। इसलिए इस अभियान ने ध्यान केंद्रित किया नागरिकों की सक्रिय भागीदारी, सफाई मित्रों और स्थानीय निकायों के सहयोग तथा सामुदायिक जिम्मेदारी पर।
इंदौर: स्वच्छता की राजधानी और नई पहल
देश का सबसे स्वच्छ शहर कहलाने वाला इंदौर क्लीन टॉयलेट अभियान का भी अग्रणी उदाहरण है। विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर नगर निगम ने “शौचालय सुपर स्पॉट कैंपेन” आयोजित किया। इस अनोखे अभियान में नागरिकों को प्रोत्साहित किया गया कि वे सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करें और वहां पर अपनी उपस्थिति को तस्वीर के माध्यम से दर्ज करें। नतीजा यह हुआ कि शहर के सात सौ से अधिक शौचालयों पर एक लाख से ज्यादा लोगों ने जाकर सेल्फी ली और उसे ऑनलाइन अपलोड किया। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है बल्कि यह दर्शाता है कि इंदौर के नागरिक स्वच्छता को गर्व और जिम्मेदारी दोनों मानते हैं।
खास बात यह रही कि अभियान की शुरुआत के केवल तीन घंटे के भीतर ही तीस हजार से अधिक तस्वीरें अपलोड हो चुकी थीं। सुबह पांच बजे से आठ बजे तक का यह दृश्य बताता है कि नागरिक कितनी तत्परता और जागरूकता के साथ इसमें भाग ले रहे थे। इंदौर का यह प्रयोग न केवल पूरे देश के लिए प्रेरणा है बल्कि यह संदेश भी देता है कि यदि जनता प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।
बिलासपुर: बबलू महतो और परिवार की मिसाल
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के अशोक नगर इलाके की कहानी बताती है कि बदलाव के लिए बड़े साधनों की नहीं बल्कि छोटे प्रयासों की आवश्यकता होती है। नगर निगम ने बबलू महतो को एक सार्वजनिक सुविधा केंद्र की देखभाल की जिम्मेदारी दी। यह स्थान पहले असामाजिक तत्वों का अड्डा माना जाता था। लोग वहां जाने से डरते थे और शौचालय लगभग बेकार पड़ा था।
लेकिन बबलू महतो ने अपने परिवार के सहयोग से इस स्थान का कायाकल्प कर दिया। उन्होंने न केवल शौचालय और स्नानघर की नियमित सफाई सुनिश्चित की बल्कि आसपास का वातावरण भी पूरी तरह बदल डाला। धीरे-धीरे यह स्थान लोगों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ सार्वजनिक स्थल बन गया। उनकी पत्नी अनीता और पूरा परिवार इस जिम्मेदारी को निभाने में बराबर का योगदान देता है। आज यह सुविधा केंद्र इलाके के लोगों के लिए वरदान बन चुका है। यह उदाहरण हमें यह सिखाता है कि यदि जिम्मेदारी का भाव हो तो कोई भी व्यक्ति समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है।
कोरबा: प्रभास शाही का योगदान
कोरबा जिले के प्रभास शाही ने अपनी सतत मेहनत और सेवा से स्वच्छता अभियान को एक नया आयाम दिया। वे पिछले दस वर्षों से शहर के नए बस स्टैंड और अन्य इलाकों में बने तेईस सार्वजनिक शौचालयों की देखभाल कर रहे हैं। उनकी सोच केवल सफाई तक सीमित नहीं रही। उन्होंने इन शौचालयों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया।
महिलाओं और बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर, इंसीनेरेटर और बेबी फीडिंग रूम जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराईं। यह सब बिना किसी बड़े प्रचार-प्रसार के हुआ, लेकिन इसका असर पूरे शहर पर पड़ा। प्रभास शाही की मेहनत का ही परिणाम है कि कोरबा शहर खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हुआ और ODF++ का दर्जा प्राप्त कर सका। यह उपलब्धि बताती है कि व्यक्तिगत प्रयास भी सामूहिक सफलता में बदल सकते हैं।
स्वच्छता और गरिमा का संबंध
क्लीन टॉयलेट अभियान केवल सफाई का सवाल नहीं है, यह स्वास्थ्य और गरिमा दोनों से जुड़ा हुआ है। खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय का होना उनकी गरिमा और आत्मसम्मान का सवाल है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लंबे समय तक महिलाओं को अंधेरे में खुले में शौच करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता था बल्कि सुरक्षा की समस्या भी बनी रहती थी।
आज जब सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का जाल बिछाया गया है, तो जिम्मेदारी यह बनती है कि उनकी स्वच्छता और उपयोगिता बनी रहे। यदि वे गंदे या अनुपयोगी होंगे तो लोग फिर से पुराने तरीकों की ओर लौट सकते हैं। इसलिए क्लीन टॉयलेट अभियान का संदेश यह है कि निर्माण के साथ-साथ रखरखाव भी उतना ही जरूरी है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि इस अभियान की सफलता के बावजूद कई चुनौतियाँ सामने हैं। कई शहरों में शौचालय तो बन जाते हैं लेकिन उनका नियमित रखरखाव नहीं हो पाता। पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएँ न होने से उनका उपयोग कठिन हो जाता है। कई बार नागरिक भी लापरवाही बरतते हैं और शौचालयों को गंदा छोड़ देते हैं।
इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब नागरिक, प्रशासन और सफाई मित्र मिलकर काम करें। एक ओर स्थानीय निकाय को यह सुनिश्चित करना होगा कि शौचालयों की सफाई और मरम्मत नियमित रूप से हो, वहीं नागरिकों को भी इन्हें अपनी संपत्ति मानकर संभालना होगा। जागरूकता अभियानों, जन सहभागिता और तकनीक के उपयोग से इस दिशा में और सुधार किया जा सकता है।
जनभागीदारी का महत्व
क्लीन टॉयलेट अभियान की सबसे बड़ी ताकत है जनभागीदारी। जब लोग इसमें जुड़ते हैं तो यह केवल सरकारी योजना नहीं बल्कि एक आंदोलन बन जाता है। इंदौर, बिलासपुर और कोरबा जैसे उदाहरण यही साबित करते हैं। इंदौर में नागरिकों का उत्साह, बबलू महतो और प्रभास शाही जैसे व्यक्तियों की निष्ठा और प्रशासन का सहयोग मिलकर इसे सफल बनाता है। यही कारण है कि यह अभियान अब पूरे देश में तेजी से फैल रहा है।
भविष्य की दिशा
स्वच्छता केवल आज की जरूरत नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सेहत और सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है। स्मार्ट सिटी, आत्मनिर्भर भारत और सतत विकास जैसे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी है कि हम स्वच्छता को अपनी संस्कृति और आदत का हिस्सा बनाएं। क्लीन टॉयलेट अभियान हमें यही सिखाता है कि यदि हर नागरिक इसे अपना कर्तव्य माने तो शहर ही नहीं पूरा देश साफ और स्वस्थ हो सकता है।
यह अभियान धीरे-धीरे लोगों की सोच बदल रहा है। अब लोग शौचालयों को केवल जरूरत नहीं बल्कि अपनी गरिमा और सम्मान से जुड़ा मानने लगे हैं। यह बदलाव ही इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
क्लीन टॉयलेट अभियान हमें यह संदेश देता है कि स्वच्छ शौचालय केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। जब लोग इसे अपनी आदत बना लेंगे तो न केवल बीमारियाँ कम होंगी बल्कि समाज भी अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक बनेगा। इंदौर की जनता, बिलासपुर के बबलू महतो और कोरबा के प्रभास शाही जैसे उदाहरण हमें प्रेरित करते हैं कि अगर इच्छा और प्रतिबद्धता हो तो बदलाव लाना कठिन नहीं।
आज जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाएँ और यह साबित करें कि स्वच्छ भारत का सपना केवल एक योजना नहीं बल्कि हमारी साझा जिम्मेदारी और राष्ट्रीय संकल्प है।
लेख : पत्र सूचना कार्यालय की ओर से जारी
बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन आज से शुरू
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दंतेवाड़ा से की पंजीयन की शुरूआत
दंतेवाड़ा में विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ देने की घोषणा की
रायपुर / शौर्यपथ / बस्तर संभाग में आगामी अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले बस्तर ओलंपिक के लिए आज से पंजीयन प्रारंभ हो गया। उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव ने आज दंतेवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में इसकी औपचारिक शुरूआत की। बस्तर ओलंपिक के दौरान आयोजित होने वाले खेलों में भाग लेने के लिए खिलाड़ी 20 अक्टूबर तक अपना पंजीयन करा सकते हैं। बस्तर ओलंपिक का विकासखंड स्तर पर आयोजन 25 अक्टूबर से 5 नवम्बर तक, जिला स्तरीय आयोजन 5 नवम्बर से 15 नवम्बर तक तथा संभाग स्तरीय आयोजन 24 नवम्बर से 30 नवम्बर तक किया जाएगा। वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री श्री केदार कश्यप और विधायक श्री चैतराम अटामी भी पंजीयन के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन की शुरूआत करते हुए कहा कि पिछले वर्ष आयोजित बस्तर ओलंपिक से बस्तर की दशा और दिशा बदली है। आने वाले समय में बस्तर विश्व के मानचित्र पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा। यहां की प्रतिभाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी चमक बिखेरेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले बस्तर ओलंपिक में एक लाख 62 हजार खिलाड़ियों ने अपना पंजीयन कराया था। इस वर्ष दो लाख खिलाड़ियों के पंजीयन का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी बस्तर ओलंपिक की प्रशंसा की थी। इस आयोजन को पूरे देश में लोकप्रिय बनाना है। बस्तर के हर गांव के हर बच्चे और युवा की भागीदारी इसमें सुनिश्चित करना है। श्री साव ने कार्यक्रम में दंतेवाड़ा जिले में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए पांच करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री केदार कश्यप ने अपने संबोधन में कहा कि नवरात्रि के पावन अवसर पर आज बस्तर ओलंपिक के लिए पंजीयन का शुभारंभ किया जा रहा है। बस्तर अनेक मामलों में समृद्ध है, चाहे वह खेल हो, संस्कृति हो या अन्य कोई क्षेत्र... बस्तर ने हमेशा अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। बस्तर अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के कारण विशेष महत्व रखता है, जिन्हें हमारे पूर्वज आदिकाल से निभाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। बस्तर ओलंपिक से इन प्रतिभाओं को पहचान और प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में बस्तर ओलंपिक में भाग लेने की अपील की।
विधायक चैतराम अटामी और खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव यशवंत कुमार ने भी पंजीयन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित किया। राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती ओजस्वी मंडावी, दंतेवाड़ा जिला पंचायत के अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी, उपाध्यक्ष अरविन्द कुंजाम, दंतेवाड़ा नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती पायल गुप्ता, खेल एवं युवा कल्याण विभाग की संचालक श्रीमती तनुजा सलाम, डीआईजी कमलोचन कश्यप, पुलिस अधीक्षक गौरव राय, जिला पंचायत के सीईओ जयंत नाहटा और डीएफओ सागर जाधव सहित अनेक जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में कार्यक्रम में मौजूद थे।
नारायणपुर के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता : दो इनामी नक्सली ढेर
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर ज़िले के अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों की ओर से चलाए गए सफल अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 2 नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए हैं। दोनों पर 40-40 लाख रुपये का इनाम घोषित था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता केवल नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक पड़ाव ही नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति, सुरक्षा और विकास की प्रक्रिया को और भी गति प्रदान करती है।
मुख्यमंत्री ने इस अभियान में शामिल सुरक्षाकर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी बहादुरी और समर्पण से ही प्रदेश आज शांति और विकास की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विज़न और माननीय केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में नक्सलवाद का अंत अब पहले से कहीं अधिक निकट और निश्चित होता दिखाई दे रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त भारत का संकल्प अवश्य साकार होगा।
दुर्ग / शौर्यपथ / क्वांर नवरात्र पर्व पर दुर्ग की धार्मिक नगरी ने एक बार फिर परंपरा और आस्था का अद्भुत संगम देखा। गंजपारा स्थित श्री सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर की माता (छोटी बहन) और पुरानी गंजमंडी गंजपारा की माता (बड़ी बहन) का विगत 48 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार पंडाल स्थापना से पूर्व नगर भ्रमण के दौरान एक स्थान पर ऐतिहासिक मिलन हुआ।
यह परंपरा बुजुर्गों द्वारा स्थापित मानी जाती है। मान्यता है कि जब तक दोनों बहनें एक-दूसरे को नहीं देख लेतीं, तब तक उनकी प्रतिमा को पंडाल में विराजमान करना संभव नहीं होता। समिति के सुजल ईशान मोनू शर्मा ने बताया कि कई बार ऐसा प्रमाण मिला है कि जब दोनों प्रतिमाओं का आमना-सामना नहीं होता, तब दर्जनों लोगों द्वारा प्रयास करने पर भी प्रतिमा वाहन से उतारी नहीं जा सकी। लेकिन मिलन होते ही सहजता से स्थापना संभव हुई।
इस वर्ष दोनों माताओं का मिलन सत्तीचौरा में हुआ। समिति द्वारा ऐतिहासिक स्वागत किया गया—फूलों एवं रंगों की वर्षा के बीच आरती उतारी गई। वातावरण में भक्ति, उल्लास और नृत्य-गान की छटा फैल गई। शहर और दूरदराज़ से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस अनूठे मिलन का प्रत्यक्ष दर्शन किया।
22 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक प्रतिदिन प्रातः 9 बजे भक्तों द्वारा माता जी का अभिषेक।
प्रतिदिन दोपहर 12 बजे 108 कन्याओं का पूजन एवं कन्या भोज।
आकर्षक झांकियां: बरहा ज्योतिर्लिंग दर्शन और शिव वाटिका दर्श।
27 सितम्बर (पंचमी): 108 दीपों से महाआरती।
30 सितम्बर (अष्टमी): माता जी को 56 भोग अर्पित।
1 अक्टूबर (नवमी): 371 ज्योतियों के साथ ज्योत विसर्जन।
2 अक्टूबर (दशमी): प्रदेश का सबसे बड़ा कन्या भोज।
3 अक्टूबर: मूर्ति विसर्जन शोभायात्रा।
यह मिलन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और एकता का प्रतीक है। दुर्ग की इस परंपरा ने नवरात्र पर्व को और भी विशिष्ट बना दिया है।
‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की जांच और परामर्श
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ में जब बस्तर के दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने की बात होती है तो सबसे पहले दुर्गम जंगलों और उफनती इंद्रावती नदी का ख्याल आता है। बरसात के मौसम में दुर्गम गाँवों तक पहुँचना बेहद जोखिमपूर्ण माना जाता है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में प्रदेश का प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए लोगों की जान बचाने की प्राथमिकता के साथ कार्य कर रहा है।
नक्सल प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ अब आमजन तक पहुँच रहा है। यह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन का परिणाम है, जिसने बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया और आयुक्त-सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसी क्रम में प्रदेशव्यापी “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान ने बीजापुर जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित की है। बीते शनिवार को स्वास्थ्य दल ने स्वयं नाव चलाकर उफनती इंद्रावती नदी पार की और अबूझमाड़ से लगे ग्राम कोंडे में शिविर लगाया। इस शिविर में कुल 132 मरीजों की जांच की गई, जिनमें मलेरिया, सर्दी-खाँसी और त्वचा रोग से पीड़ित रोगी प्रमुख रहे। विशेष रूप से 10 गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण और परामर्श प्रदान किया गया। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत महिलाओं को पोषण, एनीमिया से बचाव और सुरक्षित मातृत्व संबंधी विस्तृत जानकारी भी दी गई।
बीजापुर जिले में बीते तीन दिनों के दौरान अभियान की गति उल्लेखनीय रही है। इस अवधि में हजारों लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें उच्च रक्तचाप के 3,177 मामले सामने आए। इसके अतिरिक्त, महिलाओं में मुख, स्तन और सर्वाइकल कैंसर की 2,823 स्क्रीनिंग की गई तथा उन्हें आवश्यक परामर्श उपलब्ध कराया गया। साथ ही 314 गर्भवती महिलाओं को जांच, टीकाकरण और परामर्श का लाभ मिला। अभियान के अंतर्गत दूरस्थ अंचलों में आयोजित शिविरों के माध्यम से अब तक 1,200 से अधिक लोगों की टीबी स्क्रीनिंग और 800 से अधिक व्यक्तियों की सिकल सेल जांच भी की जा चुकी है।
ये आँकड़े केवल संख्याएँ नहीं, बल्कि उस संकल्प का प्रमाण हैं जिसके तहत प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि बीजापुर जिले के दूरस्थ और दुर्गम अंचलों में भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बाधित न हो। यही कारण है कि स्वास्थ्य कर्मी नदी, पहाड़ और जंगल पार करके महिलाओं और बच्चों तक जीवन रक्षक सेवाएँ पहुँचा रहे हैं। प्रदेश सरकार का यह प्रयास इस विचार को सशक्त करता है कि “स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार की आधारशिला है।” इसी दिशा में स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतर पहुँच इस अभियान की सबसे बड़ी सफलता है।
बस्तर संभाग में स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे ये सुधार न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर को ऊँचा उठा रहे हैं, बल्कि यह भी प्रमाणित कर रहे हैं कि सुशासन और समर्पित प्रयासों से सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी सकारात्मक बदलाव संभव है।
पूरे साल देशवासियों को 2.5 लाख करोड़ की बचत, त्योहार पर हर वर्ग को राहत
नई दिल्ली /एजेंसी /
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार रात राष्ट्र के नाम ऐतिहासिक संबोधन में घोषणा की कि 22 सितंबर से देशभर में ‘GST बचत उत्सव’ आरंभ हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने जीएसटी ढांचे को और सरल, सुगम और नागरिक हितैषी बनाया है। इससे हर परिवार को पूरे साल करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की सीधी बचत होगी।”
दो GST स्लैब, सस्ता हुआ अधिकांश सामान
सरकार ने जीएसटी दरों में बड़े बदलाव करते हुए अब सिर्फ दो मुख्य स्लैब—5% और 18%—रखे हैं। इससे पहले के 12% और 28% स्लैब को समाप्त कर दिया गया है। अधिकांश रोजमर्रा के सामान, जिन पर पहले 12% लगता था, अब 5% की श्रेणी में आएंगे। पुराने 28% स्लैब वाले वस्त्रों और सामानों में से 90% उत्पाद अब 18% श्रेणी में स्थानांतरित होंगे। केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पाद जैसे तंबाकू आदि ही अब अधिकतम 40% टैक्स स्लैब में रहेंगे।
करोड़ों परिवारों को सीधा फायदा—हर वर्ग की जेब में राहत
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी में किए गए इन सुधारों से गरीब, मध्यम वर्ग, किसान, युवा, व्यापारी, महिलाएं—हर वर्ग लाभान्वित होगा। त्योहारों के इस मौसम में खरीदारी और खर्च करना ज्यादा आसान होगा, जिससे हर परिवार की खुशियां बढ़ेंगी।
व्यापारी और उद्योगों के लिए खुशखबरी
कारोबारियों, छोटे उद्यमों, एमएसएमई को दोहरा लाभ—कम टैक्स और ज्यादा बिक्री—मिलने जा रही है। कई ऑटो, एफएमसीजी कंपनियों ने तुरंत कीमतें कम करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने कहा, "अब लघु उद्योगों की प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी; जिससे नौकरियां भी सृजित होंगी।"
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सबका साथ
प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकों से स्वदेशी वस्त्रों, उत्पादों और तकनीक के इस्तेमाल का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, “नागरिक देवो भवः, अपने देशवासियों की आर्थिक समृद्धि ही भारत का उत्थान है।”
निवेश, विकास और एकता का नया रास्ता
सरकार को विश्वास है कि इन जीएसटी सुधारों से भारत का आर्थिक ढांचा और सरल बनेगा, निवेश बढ़ेगा और हर राज्य को एक मंच पर बराबरी का मौका मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में त्योहार के इस शुभारंभ को ‘नये भारत’ की दिशा में ऐतिहासिक तपस्या बताया और पूरे देश को बधाई दी।
दुर्ग / शौर्यपथ / असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक बोरकर के नेतृत्व में आज राजीव भवन दुर्ग में प्रदेश स्तरीय श्रमिक सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज का स्वागत सैकड़ों कार्यकर्ताओं की बाइक रैली के माध्यम से किया गया। कलेक्ट्रेट परिसर में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर, पंथी नृत्य व राउत नाचा के पारंपरिक स्वागत के बाद डॉ. उदित राज का राजीव भवन में भव्य अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में विशेष रूप से सभी नेताओं को संविधान की मूल प्रति भेंट कर सम्मानित किया गया। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व विधायक अरुण वोरा, दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष राकेश ठाकुर, गिरीश देवांगन, सन्नी सुशील अग्रवाल सहित अनेक वरिष्ठ कांग्रेसजन उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में गरीब मजदूरों और कामगारों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। उन्होंने पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भूपेश सरकार ने मजदूरों के लिए लगभग 500 करोड़ की योजनाओं का ऐलान किया था, किंतु भाजपा की डबल इंजन सरकार ने जनता को उसका लाभ नहीं मिलने दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सम्मेलन में कहा कि "साय सरकार की नियत में खोट है, इसी कारण आज छत्तीसगढ़ की जनता त्रस्त है। बेरोजगारी भत्ता बंद, बिजली बिलों में वृद्धि, किसानों को खाद-बीज की समस्या और मनरेगा में अव्यवस्था — यह सब भाजपा सरकार की वादाखिलाफी को दर्शाता है।"
इस अवसर पर पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर,पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल , मोहम्मद असलम, शिव सिंह ठाकुर, मुकेश चंद्राकर, शशि सिन्हा, आर.एन. वर्मा, प्रेमलता साहू, अल्ताफ अहमद, आदित्य नारंग, मोहित वालदे, अंकुर बोरकर, संजय कोहले, राजकुमार पाली, सुशील भारद्वाज, चैतन्य बंछोर, सतीश रजक, निकिता मिलिंद, अमृता ठाकुर, हेमा साहू सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेता मौजूद रहे।
भिलाई / शौर्यपथ / भिलाई नगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक देवेंद्र यादव आज अपने सेक्टर-5 स्थित विधायक निवास में लोगों से भेंट-मुलाकात किए। इस दौरान बड़ी संख्या में नागरिक, महिला-पुरुष और युवा विधायक से मिलने पहुंचे। सुबह से ही विधायक निवास पर लोगों का आना-जाना लगा रहा।
लोगों ने अपनी-अपनी समस्याएँ विधायक के समक्ष रखीं। इसमें स्थानीय स्तर की जनसुविधाओं से जुड़ी समस्याएँ प्रमुख रहीं। नागरिकों ने पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और सफाई व्यवस्था से संबंधित मुद्दे सामने रखे। कई लोगों ने व्यक्तिगत परेशानियाँ भी बताईं और समाधान की उम्मीद जताई।
विधायक यादव ने सभी लोगों की बात ध्यान से सुनी और संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही के लिए निर्देशित करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि जनता की सेवा करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है और किसी भी समस्या को हल करने में पूरी कोशिश की जाएगी।
इस दौरान विधायक ने मौजूद लोगों से आत्मीयता से बातचीत की। क्षेत्र के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया और युवाओं को सकारात्मक सोच के साथ समाज निर्माण में योगदान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि जनता से सीधे जुड़कर ही जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों को सही मायनों में निभा सकता है।
लोगों ने विधायक की सहजता और संवेदनशील रवैये की सराहना की। मौके पर सैकड़ों लोग मौजूद रहे
बिजली बिल देखकर हर परिवार हैरान व परेशान
भिलाई/शौर्यपथ / एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव व भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव ने बिजली बिल में बढ़ोत्तरी को लेकर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव की सरकार का स्मार्ट मीटर,जनता की जेब से अप्रत्याशित टैक्स लेने का पर्याय बन चुकी है। सत्ता में आते ही साय के मंत्रियों ने बड़े जोर शोर के साथ दावा किया था कि, स्मार्ट मीटर से एक्यूरेट बिल आएगा और लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी। इससे उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होगी। उपभोक्ता घर बैठे बिजली बिल का भुगतान आसानी कर पाएंगे, लेकिन लोगों को साय साय सरकार का स्मार्ट मीटर के नाम पर टैरिफ में बढ़ोत्तरी का यह निर्णय, बिल के रूप में ऐसा झटका देगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। बिजली बिल को देखकर आज हर परिवार, हैरान व परेशान है।
विधायक यादव ने कहा कि, साय सरकार ने चुनाव से पहले लोगों सस्ती बिजली मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे किए थे और दावे के मुताबिक स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य शुरू हुआ और स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली की खपत कम होना चाहिए था; परंतु स्मार्ट मीटर लगने के बाद अधिकतर लोगों के घरों का बिजली बिल हजार रूपये से अधिक आया है। बिजली बिल में तीन से चार गुणा तक वृद्धि हुई है। जुलाई तक जिन घरों का बिजली बिल 200-250 तक आती थी, उन घरों का इस माह 600 रूपये से अधिक बिल आया है। है।इससे लोगों का बजट गड़बड़ा गया है। 200-300 की रोजी मजदूरी करने वाले मेहनतकश लोगों की पूरी कमाई का आधा से अधिक हिस्सा, बिजली बिल भरने में व्यय हो गया है।
विधायक ने कहा कि, जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब हाफ बिजली बिल योजना के तहत 400 यूनिट पर 50फीसदी तक छूट मिलती थी यानी उपभोक्ताओं को केवल 200 यूनिट का बिजली खपत का भुगतान करना पड़ता था। जिसे अब कटौती कर केवल 100यूनिट खपत पर ही छूट दी जा रही है।100 से एक यूनिट भी अधिक खपत हो गई, तो हाफ बिजली बिल योजना का लाभ नहीं मिलेगा। क्या यही साय सरकार का सुशासन है।
By- नरेश देवांगन
जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व का एक महत्वपूर्ण काछनगादी पूजा विधान रविवार को सम्पन्न हुई। जिसमें स्थानीय मिरगान समाज की कुंवारी कन्या काछनदेवी कांटे की झूले पर सवार होकर बस्तर दशहरा पर्व को निर्विघ्न सम्पन्न होने के साथ अपनी अनुमति प्रदान करती हैं।
काछनदेवी ने कांटों के झूले में झूलकर दी निर्विघ्न आयोजन की अनुमति
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व का प्रमुख विधान काछनगादी रस्म में काछनदेवी ने मिरगान समाज की एक कुमारी कन्या पर सवार होकर, बेल के कांटों से बने झूले में झूलकर दशहरे के निर्विघ्न आयोजन की अनुमति और आशीर्वाद प्रदान किया। काछनदेवी से बस्तर के माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव ने बस्तर दशहरा के निर्विघ्न आयोजन की अनुमति मांगी। इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद एवं अध्यक्ष बस्तर दशहरा समिति महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, अन्य जनप्रतिनिधियों सहित बस्तर दशहरा पर्व के परम्परागत सदस्य मांझी-चालकी, नाइक-पाइक, मेंबर-मेंबरिन सहित कलेक्टर हरिस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, अपर कलेक्टर सीपी बघेल और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
काछनगादी रस्म का महत्व
बस्तर दशहरे में यह रस्म अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके बिना बस्तर दशहरे की शुरुआत नहीं होती। मान्यता है किरण की देवी काछनदेवी, आश्विन अमावस्या के दिन पनका जाति की एक कुंवारी कन्या के शरीर में प्रवेश करती हैं। यह कन्या, जिसे देवी का स्वरूप माना जाता है, भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी में बेल के कांटों से बने एक विशेष झूले पर लेटकर दशहरे के सफल आयोजन की अनुमति देती है। इस वर्ष भी, 10 साल की बच्ची पीहू दास पर सवार देवी ने यह आशीर्वाद दिया। ज्ञात हो कि बस्तर दशहरा पर्व यहां पर सामाजिक समरसता का एक अनुपम उदाहरण है और बस्तर के स्थानीय विभिन्न समाजों के लिए बस्तर दशहरा पर्व में पृथक-पृथक दायित्व बंटे हुए हैं जिसे सभी समाजों के सदस्यों द्वारा पूरी तरह से सहकार की भावना के साथ निर्वहन किया जाता है।
परंपराओं का पालन
काछनगादी पूजा विधान के लिए रविवार को सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। काछनगुड़ी को फूलों और रोशनी से सजाया गया था। पुजारी और राज परिवार के सदस्य परंपरानुसार देवी से अनुमति लेने पहुंचे। जैसे ही काछनदेवी ने झूले पर लेटकर अनुमति दी, पूरा क्षेत्र बस्तर की आराध्य देवी मां दन्तेश्वरी के जयकारों और आतिशबाजी से गूंज उठा। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने।
गोल बाजार में की गई रैला देवी की पूजा
काछनगादी पूजा विधान के पश्चात रविवार शाम जगदलपुर के गोल बाजार में रैला देवी की पारंपरिक पूजा विधिवत संपन्न हुई। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित बस्तर दशहरा पर्व के परम्परागत सदस्य मांझी-चालकी, नाइक-पाइक, मेंबर-मेंबरिन सहित जिला प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी, गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
रायपुर / शौर्यपथ / हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HNLU), रायपुर ने “उभरती हुई कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का न्यायशास्त्रीय प्रभाव: सामाजिक और कानूनी पहलू” विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन सम्मेलन का सफल आयोजन किया। इस सम्मेलन में न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, प्रैक्टिशनरों और छात्रों ने एआई से संबंधित नैतिक, कानूनी और सामाजिक चुनौतियों पर विमर्श किया।
उद्घाटन सत्र
पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उड़ीसा उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ने कहा कि “राज्य और निजी संस्थाएँ अक्सर कानूनी दायरे से परे डेटा एकत्र करती हैं, जिससे ‘डेटा गोपनीयता’ अब मिथक बन चुकी है।” उन्होंने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा पर जोर देते हुए इसे हथियार की तरह उपयोग करने के अंतरराष्ट्रीय उदाहरण साझा किए।
एचएनएलयू के कुलपति प्रो. वी.सी. विवेकानंदन ने ‘नियामक शून्यता’, ‘सीमाहीन संचालन’ और ‘रोग तकनीकें’ जैसी चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि ये लोकतंत्र व न्याय प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
पैनल चर्चा – “अनियंत्रित को नियंत्रित करना”
इस पैनल में विशेषज्ञों ने सुरक्षित और नैतिक एआई के लिए कानूनी ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री कश्यप कोम्पेला ने AIM-AI ढाँचा प्रस्तुत किया जो एआई जोखिमों की पूर्वानुमान क्षमता रखता है।
डॉ. ऋषि राज भारद्वाज ने भारत में एआई नियमावली की धीमी प्रगति और मौजूदा आईटी अधिनियम की अपर्याप्तता पर चिंता व्यक्त की।
डॉ. भावना महादेव ने एआई आधारित सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव के खतरों पर प्रकाश डाला।
प्रो. होंग शुए ने बौद्धिक संपदा अधिकारों को मानव-केंद्रित बनाए रखने की आवश्यकता बताई।
तकनीकी सत्र और शोधपत्र
सम्मेलन में आठ तकनीकी सत्र आयोजित हुए, जिनमें न्यायालय प्रबंधन में एआई, उत्तरदायित्व, नैतिकता और डेटा सुरक्षा जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। कुल 172 शोधपत्रों में से 60 श्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ चयनित की गईं, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं को सार्थक संवाद का अवसर मिला।
समापन सत्र
भारत उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री एन.एस. नप्पिनई ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम की कमियों पर चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से “राइट टू बी फॉरगॉटन” की अनुपस्थिति को उजागर किया और कहा कि “गोपनीयता केवल रहस्य नहीं बल्कि विकल्प का अधिकार है।” नप्पिनई ने यह भी जोड़ा कि मेटावर्स जैसे वर्चुअल अपराधों से निपटने के लिए कानून को लगातार गतिशील होना पड़ेगा।
आयोजन की रूपरेखा
इस सम्मेलन का संचालन डॉ. अतुल एस. जायभाये और डॉ. प्रियंका धर ने किया। छात्र समिति ने भी आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। आयोजन ने न केवल एआई शासन पर विमर्श को दिशा दी बल्कि कानूनी शिक्षा और तकनीकी नैतिकता को भी नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
रायपुर / शौर्यपथ / प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम पर गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल उठाए हैं कि वॉटरमार्क वाले छत्तीसगढ़ी कागज़ से मध्यप्रदेश के लिए लगभग 2 लाख पुस्तकें कैसे छप गईं। उन्होंने इसे बड़ा “कागज़ घोटाला” बताते हुए राज्य सरकार और निगम की जवाबदेही पर प्रश्न चिह्न खड़ा किया।
धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि इस छपाई हेतु यहाँ करीब 136 टन कागज़ का उपयोग किया गया, जबकि प्रदेश के स्कूलों को 18 लाख नई पुस्तकों की आवश्यकता है — जिनकी छपाई नहीं होने के कारण बच्चों को नवीन पुस्तकें नहीं मिल पाईं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुस्तकें न छपने के कारण शिक्षा विभाग ने 6 लाख पुराने पुस्तकों का वितरण किया है, जिससे बच्चों को उचित अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
आरोप-प्रत्यारोप की भाषा में धनंजय ने कहा, “भाजपा की सरकार में चोरी आम बात बन चुकी है। अब बच्चों की पुस्तकों के लिए जिस कागज़ पर छत्तीसगढ़ का वॉटरमार्क लगा है, वह कागज़ भी चोरी हो गया। भाजपा का मूल काम कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार बन गया है — प्रदेश के बच्चे पुस्तक के लिए तरस रहे हैं और वही कागज़ मध्यप्रदेश की पुस्तकें छापने में चला गया। क्या यही सुशासन है?”
कांग्रेस की माँगें और मांगें की विवेचना
धनंजय सिंह ठाकुर ने तत्काल कदम के रूप में मांग की है कि:
इस बड़े कागज़ चोरी/छपाई घोटाले की उच्चस्तरीय तथा निष्पक्ष जांच कराई जाए।
पाठ्य पुस्तक निगम के प्रमुख को तत्काल पद से हटाया जाए।
प्रदेश के स्कूलों में 18 लाख नई पुस्तकों की तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और जो भी ज़िम्मेदार हैं उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
उन्होंने बताया कि यह मामला सिर्फ कागज़ की बर्बादी या गड़बड़ी नहीं, बल्कि बच्चों के शैक्षणिक अधिकार एवं सार्वजनिक निधि के दुरुपयोग का विषय है।
आगे की स्थिति
कांग्रेस के इस आरोप के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। मामले की सच्चाई और जिम्मेदारों की पहचान हेतु प्राधिकरण द्वारा त्वरित और पारदर्शी जांच की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है।
श्री गंजपारा दुर्गा उत्सव समिति 58वें वर्ष में प्रवेश, नवरात्र पर्व पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
दुर्ग / शौर्यपथ / परंपरा का निर्वहन करते हुए श्री गंजपारा दुर्गा उत्सव समिति, पुरानी गंजमंडी गंजपारा दुर्ग इस वर्ष अपना 58वां शारदेय नवरात्र महोत्सव बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मना रही है। विगत 57 वर्षों से लगातार मां जगदम्बा की भव्य प्रतिमा विराजमान कर उत्सव मनाने की परंपरा इस वर्ष भी जारी रहेगी।
समिति ने स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए न तो किसी प्रकार का स्टॉल लगाया गया है और न ही किसी को पार्किंग हेतु अधिकृत किया गया है। पार्किंग व्यवस्था पूर्णत: निःशुल्क रहेगी।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला
इस अवसर पर प्रतिदिन विविध सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे –
25 सितम्बर (गुरुवार), रात्रि 9:15 बजे से – रायपुर के कलाकार आदित्य सिन्हा नाइट
26 सितम्बर (शुक्रवार) – सुप्रसिद्ध भजन गायक बंटू भाई सेवक, दिल्ली एवं गौरव दत्त, तिजारा (राजस्थान) द्वारा बाबा खाटूश्याम जी के भजन
27 सितम्बर (शनिवार), रात्रि 9:15 बजे से – अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
कवि: कुमार मनोज (लखनऊ), अरुण जैमिन (फरीदाबाद), डॉ. अनिल चौबे (बनारस), मोहित शौर्य (गाज़ियाबाद), दीपक दनादन (भोपाल), कृति चौबे (दिल्ली)
28 सितम्बर (रविवार) – छत्तीसगढ़ी कलाकार कंचन जोशी की विशेष प्रस्तुति
30 सितम्बर (मंगलवार) – अष्टमी हवन पूजन सुबह 10 बजे से
2 अक्टूबर (गुरुवार) – माता की महाप्रसादी (भंडारा) सुबह 10:30 बजे से
3 अक्टूबर (शुक्रवार) – विसर्जन यात्रा सुबह 9:30 बजे से
आमंत्रण : समिति ने समस्त श्रद्धालुओं एवं नागरिकों से आग्रह किया है कि वे अपने परिवार सहित इन धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में सम्मिलित होकर मां जगदम्बा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
