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दुर्ग / शौर्यपथ / भिलाई -दुर्ग की भाजपाई राजनीति में गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को आयोजित भिलाई जिला संगठन की बैठक में यह बात फिर से साबित हो गई। प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय की खास मौजूदगी में आयोजित इस जिला स्तरीय बैठक में लोकसभा सांसद विजय बघेल और पूरे दुर्ग जिले से भाजपा के एकलौते विधायक विद्यारतन भसीन नजर नहीं आए। इसे भाजपा की स्थानीय गुटबाजी से जोड़कर राजनीतिक गलियारे में चर्चा सुर्खियों पर है।
भाजपा की स्थानीय गुटबाजी हमेशा से चर्चे में रही है। हाल ही में बस्तर में आयोजित पार्टी के चिंतन शिविर में वरिष्ठ नेताओं की समझाइश के बाद लग रहा था कि अब भिलाई और दुर्ग में चली आ रही गुटबाजी पर विराम लग जाएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नही रहा है। शनिवार को हुए भिलाई के सेक्टर - 2 स्थित अयप्पा मंदिर परिसर में आयोजित भिलाई जिला भाजपा की बैठक में प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय के साथ राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुई। बैठक में पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पूर्व विधायक सांवला राम डाहरे, भिलाई-चरोदा महापौर श्रीमती चन्द्रकांता मांडले सहित जिला संगठन के सारे पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। लेकिन भिलाई में मौजूद रहने के बावजूद लोकसभा सांसद विजय बघेल, विधायक विद्यारतन भसीन और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय कहीं नजर नहीं आए और ना ही इन तीनों नेताओं के समर्थकों को बैठक में देखा गया।
गौरतलब रहे कि भाजपा के भिलाई व दुर्ग जिला संगठन में राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय के समर्थकों का वर्चस्व स्थापित है। संगठन में विजय बघेल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय और विद्यारतन भसीन के समर्थकों को स्थान नहीं दिया गया है। संगठन के पदाधिकारियों को कभी भी बघेल, पाण्डेय या फिर भसीन के साथ नहीं देखा जाता। यहां तक कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में भी संगठन खेमा इन तीनों नेताओं से दूरी बनाकर चलता रहा है। लेकिन बस्तर चिंतन शिविर के बाद लग रहा था कि वरिष्ठ नेताओं की पार्टी हित में गुटबाजी छोडऩे की सलाह का असर दिखेगा पर भिलाई जिला संगठन की बैठक ने इस बात संभावना को गलत साबित कर दिया है।
निकाय चुनाव में पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
भाजपा की गुटबाजी का नकारात्मक प्रभाव आगामी निकाय चुनाव में पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। अभी भिलाई, रिसाली व चरोदा निगम सहित जामुल पालिका में चुनाव होना है। भाजपा में संगठन के माध्यम से भेजे जाने वाले नाम पर पार्षद प्रत्याशी तय होते हैं। संगठन में सुश्री सरोज पाण्डेय के समर्थकों का वर्चस्व है। लिहाजा पार्षद प्रत्याशी के चयन में बघेल, पाण्डेय और भसीन के समर्थकों को प्राथमिकता मिलने पर संदेह है। दुर्ग निगम और कुम्हारी पालिका के चुनाव में ऐसा हो चुका है। जीतने की क्षमता रहने के बावजूद कुछ लोगों को भाजपा से पार्षद का टिकट इसलिए नहीं मिला क्योंकि वे संगठन खेमा के बजाय लोकसभा सांसद विजय बघेल और पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय से जुड़कर राजनीति कर रहे थे। जो हालात बने हुए हैं उससे ऐसा आने वाले निकाय चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। पार्टी का टिकट नहीं मिलने से बागी होकर चुनाव मैदान में उतरने से अधिकृत प्रत्याशी को पराजय का सामना करना पड़ सकता है। पिछले निकाय चुनाव में ऐसा हो चुका है।
यहां पर यह बताना जरुरी है कि भिलाई जिला संगठन के हर गतिविधि में सुश्री सरोज पाण्डेय केन्द्र बिंदु बनती रही है। कल की बैठक में भी यह साफ नजर आया। लेकिन लगभग चार लाख वोट के अंतर से लोकसभा चुनाव जीतने वाले विजय बघेल का बैठक में शामिल नहीं होना कहीं न कहीं भाजपा के आगामी मिशन में नकारात्मक असर डाल सकता है।
हालांकि इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि बघेल, पाण्डेय और भसीन को बैठक में ससम्मान आमंत्रित किया गया था या नहीं। फिर भी उनकी गैरमौजूदगी में हुई जिला स्तरीय बैठक के बाद गुटबाजी को लेकर चर्चा फिर से सरगर्म हो उठी है।
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