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सार समाचार
भाजपा ने मान लिया कि वो राजनांदगांव सीट हार रही है इसीलिए
राजनीति से प्रेरित एफ़आईआर दर्ज की गई - भूपेश बघेल
एफ़आईआर के विवरण में ही मेरा ज़िक्र नहीं, जबरन नाम डाला गया
अपराधियों के जिन बयानों को ईडी ने आधार बनाया है उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है
जो भाजपा छापे डलवा कर चंदा लेती है वह भ्रष्टाचार की बात किस मुंह से कर रही है?
रायपुर / शौर्यपथ / भारत में लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है लोकसभा चुनाव के तहत आदर्श आचार संहिता १६ मार्च २०२४ को भारत निर्वाचन आयोग के प्रेस कांफ्रेंस के बाद तत्काल प्रभाव से लागु हो गई . आदर्श आचार संहिता लगते ही लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई और राजनितिक पार्टियों द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है . इसी आरोप प्रत्यारोप के कड़ी में भाजपा द्वारा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ऊपर हुए एफआईआर की कॉपी ( एफआईआर 04 मार्च ) विरल होने लगी जिसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री और राजनांदगांव सीट से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी भूपेश बघेल ने भाजपा के आरोपों और महादेव एप्प के सम्बन्ध में हुए एफआईआर पर जमकर विरोधियो पर निशाना साधा .प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी ने स्वीकार कर लिया कि वो राजनांदगांव संसदीय सीट हार रही है इसीलिए ईओडब्लू ने मेरे ख़लिफ़ महादेव ऐप मामले में नामजद रिपोर्ट दर्ज की है। भाजपा मान रही है कि मेरी वजह से छत्तीसगढ़ की बाक़ी सीटों पर भी चुनाव परिणामों पर असर पड़ेगा इसीलिए मुझे बेवजह बदनाम करने का षडयंत्र रच रही है. इसके लिए भाजपा अपने चरित्र के अनुरूप केंद्रीय एजेंसी ईडी और राज्य की एजेंसी ईओडब्लू का हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है.पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एफ़आईआर में मेरा नाम जिस तरह से शामिल किया गया है वह क़ानूनी रूप से ग़लत है और यह दर्शाता है कि मेरा नाम सिर्फ़ राजनीतिक कारणों से शामिल किया गया है. मेरे मुख्यमंत्रित्व काल में ही महादेव ऐप की जांच शुरु हुई थी और गिरफ़्तारियों का सिलसिला शुरु हुआ था. महादेव ऐप की तरह की सट्टेबाज़ी को रोकने के लिए 2022 में हमने जुआ और सट्टा अधिनियम में परिवर्तन भी किया था. हमने ही महादेव ऐप के संचालकों सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ एलओसी यानी लुक आउट सर्कुलर जारी किया थाएवं गूगल को पत्र लिख इसे प्ले स्टोर से हटाया था.
भाजपा पर प्रहार करते पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस सरकार ने कार्यवाही शुरू की उस पर आरोप लगाना न केवल हास्यास्पद है बल्कि यह भाजपा के चरित्र को भी दिखाता है.यह आरोप वह भाजपा लगा रही है जिसने ‘चंदा दो धंधा लो’ और ‘हफ़्ता वसूली अभियान’ के तहत हज़ारों करोड़ का चुनावी बॉण्ड अपने खाते में जमा करवाए. यह वही भाजपा है कि जिसमें देश के सबसे बड़े लॉटरी का धंधा करने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग से 1368 करोड़ रुपए चुनावी चंदे के रूप में लिए हैं.
एक बड़ा सवाल यह है कि पहले को मेरी सरकार पर महादेव ऐप को संरक्षण देने का आरोप था. पर महादेव ऐप तो अभी भी चल रहा है तो सवाल यह है कि हमारी सरकार हटने के बाद इसे कौन संरक्षण देता रहा, नरेंद्र मोदी की सरकार या विष्णुदेव साय की सरकार?
एफ़आईआर में जबरन नाम डाला गया
एफ़आईआर की जो कॉपी मुझे मिली है उसके अनुसार यह एफ़आईआर चार मार्च को रायपुर में दर्ज की गई है. लेकिन इसे जारी किया गया दिल्ली में आज यानी 17 मार्च को. जिससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक उद्देश्य से ही यह एफ़आईआर की गई है. जिस समय एफ़आईआर दर्ज की गई वह वही समय था जब मेरा नाम राजनांदगांव से कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी के रूप में अख़बारों और टेलीविज़न चैनलों में आ रहा था.ज़ाहिर है कि इसी से डरकर भाजपा ने आनन फ़ानन में एफ़आईआर में मेरा नाम डालने की साज़िश रची. मैं कह रहा हूं कि मेरा नाम एफ़आईआर में जबरन डाला गया क्योंकि एफ़आईआर के साथ जो विवरण दिए गए हैं, उसमें मेरा नाम कहीं नहीं है. ऐसा कोई विवरण एफ़आईआर में नहीं है जिससे यह साबित हो कि महादेव ऐप के संचालकों को संरक्षण देने में मेरी कोई भूमिका थी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा इस एफ़आईआर में कहा गया है कि ‘वैधानिक कार्रवाई को रोकने के लिए विभिन्न पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों तथा प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त किया गया’. अब सवाल यह है कि जब इन विभिन्न लोगों में किसी का नाम नहीं है तो छत्तीसगढ़ पुलिस को मेरा ही नाम दर्ज करने की क्यों सूझी? अगर ईओडब्लू के पास इन विभिन्न लोगों के नाम थे तो उनके नाम एफ़आईआर में क्यों नहीं हैं? और अगर मेरा नाम है तो विभिन्न लोगों के नाम क्यों नहीं हैं?
बयानों से खुली ईडी की पोल
विधानसभा चुनाव के दौरान दो बयानों के आधार पर ईडी ने एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी और मेरा नाम उसमें घसीट लिया था. इसमें एक नाम असीम दास नाम के व्यक्ति का था और दूसरा नाम शुभम सोनी नाम के किसी व्यक्ति का है.असीम दास के पास से कथित रुप से करोड़ों रुपए बरामद हुए थे और ईडी के अनुसार उसने यह बयान दिया था कि वह पैसा किसी राजनीतिक व्यक्ति के पास जाना था. बाद में इसी असीम दास ने अदालत में ईडी को दिया अपना बयान वापस ले लिया और विवरण दिया कि उसे इस जाल में किस तरह से फंसाया गया. यह भी कम दिलचस्प नहीं है कि पैसों के साथ जो कार पकड़ी गई वह भाजपा नेता अमर अग्रवाल के भाई की थी और उसकी फ़ोटो रमन सिंह और प्रेम प्रकाश पांडे के साथ मिली हैं. दूसरा बयान शुभम सोनी नाम के व्यक्ति का है, जो अपने आपको महादेव ऐप का असली संचालक बताता है. इस शुभम सोनी का एक वीडियो बयान अज्ञात सूत्रों के हवाले से जारी किया गया था. यह बयान किसने दिया यह अब तक स्पष्ट नहीं है पर इसे भाजपा के कार्यालय में चलाकर मीडिया को दिखाया गया था. शुभम सोनी ने कथित तौर पर दुबई के काउंसलेट जनरल के सामने अपना बयान दिया था. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत एक दस्तावेज़ में काउंसलेट जनरल ने लिख दिया है कि वह इस बयान की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता. सवाल यह है कि जब दोनों ही बयान प्रामाणिक नहीं हैं तो किस आधार पर ईडी मेरा नाम इस मामले से जोड़ने की कोशिश कर रही है?
सूप बोले तो बोले छन्नी क्या बोले जिसमें छप्पन छेद
सुप्रीम कोर्ट की फ़टकार के बाद एसबीआई को चुनावी बॉण्ड के विवरण जारी करने पड़े.इस विवरण से पता चलता है कि देश की कम से कम 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन पर ईडी, आईटी या सीबीआई के छापे पड़े और इसके बाद कार्रवाई को रोकने के लिए भाजपा ने सैकड़ों करोड़ की राशि चुनावी बॉण्ड के माध्यम से ली. ईडी, आईटी और सीबीआई का डर दिखाकर कितने ही लोगों को भाजपा में शामिल कर लिया गया और भ्रष्टाचार के मामलों को भाजपा ने रफ़ा दफ़ा कर दिया.यह वही भाजपा है जिसने ऑन लाइन सट्टे को क़ानूनी रुप दे दिया है और उस पर बाक़ायदा 28 प्रतिशत जीएसटी और चार प्रतिशत सरचार्ज वसूल रही है. केंद्र में भाजपा की सरकार है और महादेव ऐप के संचालकों को दुबई से गिरफ़्तार करके लाने का काम केंद्र की सरकार ही कर सकती है. तो क्यों वह संचालकों को गिरफ़्तार नहीं कर रही है?यदि शुभम सोनी दुबई के काउंसलेट जनरल के सामने बयान देने हाज़िर हुआ था तो उसे गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया.कहीं भाजपा महादेव ऐप के संचालकों से चुनावी चंदा वसूल करके संचालकों को क्लीन चिट देने के फ़िराक में तो नहीं है?
भूपेश बघेल डरने वाला नहीं है
अगर भाजपा को लगता है कि मेरा नाम एफ़आईआर में डालकर वह मुझे डरा लेगी या मेरी राजनीति को प्रभावित कर लेगी तो उसे भ्रम में नहीं रहना चाहिए.पहले भी भाजपा ऐसा करके देख चुकी है. अगर उसका हश्र भाजपा को याद नहीं है तो कांग्रेस के हमारे सिपाही फिर से याद दिलाने को तैयार हैं.न मैं डरने वाला हूं और न मैदान से हटने वाला हूं.सके लिए जो भी राजनीतिक और क़ानूनी क़दम उठाने हैं वो मैं उठाउंगा.
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