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सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा — नक्सल आत्मसमर्पण कांग्रेस के ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ नीतियों का परिणाम; आरोप लगाने के लिए बस्तर की पीड़ा का राजनीतिकरण न करें
रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने हालिया नक्सली आत्मसमर्पणों को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी द्वारा कांग्रेस को नक्सलवाद से जोड़कर की जा रही छींटाकशी पर कड़ा हमला बोला है। बघेल ने यह संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से साझा करते हुए कहा कि नक्सलियों के आत्मसमर्पण में कांग्रेस सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति और उनके द्वारा अपनाए गए ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ सूत्रों की भूमिका निर्णायक रही है।
भूपेश बघेल ने अपने बयान में प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा —
“कितना छोटा दिल है प्रधानमंत्री जी!… ऐसे समय में जब माओवाद कमजोर हो रहा है, तब भी आप कांग्रेस को नक्सलवाद से जोड़कर जो छींटाकशी कर रहे हैं, वह दिखाता है कि आपके लिए देश की आंतरिक सुरक्षा से ज्यादा विपक्ष पर झूठे आरोप लगाने में दिलचस्पी है।”
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र में गृह मंत्री के इस प्रयास में साझेदारी के लिए कांग्रेस ने भी आभार व्यक्त किया है, परन्तु विपक्ष द्वारा छत्तीसगढ़ की जटिल स्थिति को राजनीतिक मुद्दा बनाकर प्रस्तुत करने का विरोध जताया। बघेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता समझती है कि नक्सलवाद से निपटने की सफलता स्थानीय नीतियों और राज्य सरकार की पहल का नतीजा है, न कि किसी एक पक्षीय दावों का।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि नक्सलवाद और आतंकवाद की जो सबसे भारी कीमत चुकाई गई, वह कांग्रेस सरकारों ने ही चुकाई है — “हमारे कई वरिष्ठ नेता कथित नक्सल हमले में शहीद हुए” — और जो जांचें होनी चाहिए थीं, उन्हें रूकवाने वाले भी वही रहे जिनके बारे में आज आरोप लगाए जा रहे हैं। बघेल ने कहा कि बस्तर क्षेत्र को जो पीड़ा और दंश झेलना पड़ा, उसकी जिम्मेदारी 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ में रहे भाजपा-शासित दौर की भी है, और यह प्रश्न उठाया कि तब आवश्यक कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
बघेल ने आरोप लगाया कि नक्सलवाद को राजनीतिक मुद्दा बनाकर छत्तीसगढ़ और उसके लोगों के साथ “दोहरी राजनीति” न की जाए। उन्होंने दृढ़ शब्दों में कहा —
“बस्तर को खुशहाल बनाने का काम कांग्रेस ने शुरू किया है और आगे भी इसे जारी रखेगी… नक्सल मुक्ति के नाम पर हम आपको बस्तर बेचने नहीं बनने देंगे।”
अपने पोस्ट में भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की जनता और प्रदेश की वास्तविकताओं का उल्लेख करते हुए अपील की कि मुद्दों को संवेदनशीलता और सत्यपरकता के साथ देखा जाए; किसी भी तरह के दावों को राजनीतिक लाभ के साधन के रूप में प्रयोग न किया जाए।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब नक्सली आत्मसमर्पण से जुड़ी सूचनाएँ और उनके राजनीतिक अर्थ दोनों ही मुख्य राजनीतिक बहस के केन्द्र में हैं। बघेल के तीखे शब्दों ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य और केन्द्र के बीच इस मसले पर संवेदीय और राजनीतिक मतभेद अभी भी कायम हैं — और इस बहस का असर आगामी राजनीतिक और प्रशासनिक पहलों पर भी दिखेगा।
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