November 22, 2024
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PANKAJ CHANDRAKAR

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संबलपुर धान उपार्जन केन्द्र में व्यवस्थित तरीके से की जा रही समर्थन मूल्य में धान खरीदी
आज 31 किसानों से खरीदा जाएगा 944 क्विंटल उपज

धमतरी /शौर्यपथ/

धमतरी के संबलपुर स्थित धान खरीदी केंद्र में आज पहले दिन चालू खरीफ विपणन वर्ष में समर्थन मूल्य में धान खरीदी की शुरुवात किसान श्री संतोष यादव के लगभग 37 किव्टल धान के साथ हुई। सुबह-सुबह अपनी उपज लेकर जब 52 वर्षीय  यादव केंद्र पहुंचे तो जारी टोकन के हिसाब से सुव्यवस्थित तरीके से खरीदी की तैयारी थी। वे खुश होकर बताते हैं कि खरीदी की शुरुवात आज उनसे हो रही है। आज अपनी उपज की पहली खेप लेकर वे केंद्र आए हैं। उन्हें राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत अब तक तीन किश्तों में नौ-नौ हजार भी मिले हैं, जिसे वे खाद, बीज और अन्य जरूरी काम में उपयोग किए। यहीं संबलपुर के ही  राम कृष्ण मोहंती भी 34 किं्वटल धान की तौलाई कराते हुए प्रसन्नता व्यक्त किए कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम समर्थन मूल्य में धान खरीदी कर दिया जा रहा है। खरीदी केंद्र पहुंचे अन्य किसान भी उत्साहित नजर आए।

गौरतलब है की चालू खरीफ विपणन वर्ष में संबलपुर सहित धमतरी ज़िले के उपार्जन केंद्रों में आज से समर्थन मूल्य में धान खरीदी की जा रही है। संबलपुर स्थित धान खरीदी केंद्र में आज 31 किसानों का टोकन कटा है और दिनभर में उनसे 944 कीवटल धान (मोटा, पतला) खरीदा जाएगा। यहां संबलपुर सहित बोड़रा, सांकरा के कुल 1149 किसान पंजीकृत हैं। उनसे 39 हजार 463 किं्वटल 79 किलो धान खरीदा जाएगा। इस बार सुव्यवस्थित धान खरीदी करने किसानों की संबंधित गांव में ही सूची तैयार कर समिति द्वारा उन्हें टोकन जारी किया गया है, जिससे किसानों को असुविधा ना हो। इस साल केंद्र में पांच नए चबूतरे भी बनाए गए है। केंद्र में पर्याप्त बारदाने, प्रकाश व्यवस्था, धान सुरक्षा के लिए तीन चौकीदार तैनात किए गए हैं। 

ध्यान रहे इस साल ज़िले के एक लाख 16 हजार 967 पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्य पर चार लाख 53 हजार 191 मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है। कलेक्टर श्री पी एस एल्मा के मार्गदर्शन में कार्ययोजना तैयार की गई है। ज़िले के 96 उपार्जन केन्द्रों में सुव्यवस्थित धान खरीदी के लिए टोकन जारी कर हर दिन 2807 किसानों से कुल एक लाख नौ हजार 950 किं्वटल धान खरीदी की जाएगी। सीमांत किसानों से एक बार, मध्यम किसानों से दो बार तथा बड़े किसानों से तीन बार में धान खरीदी की जाएगी। टोकन हर सप्ताह के लिए जारी किया जाएगा और जारी टोकन की सूची समिति में चस्पा करने किए जाने के निर्देश हैं। यदि जिस किसान को टोकन मिला हो और वह किसी वजह से धान बेचने केन्द्र नहीं आता, तो उसे फिर आठ दिन बाद के लिए ही पुनः टोकन जारी किया जाएगा, जिससे कि खरीदी केन्द्रों में व्यवस्थित तरीके से धान खरीदी की जा सके। खरीदी केन्द्रों के नोडल अधिकारियों को निरीक्षण के दौरान कम्प्यूटर, हमाल, आर्द्रतामापी यंत्र, तारपोलिन, भूसा-डेनेज, तौल के लिए कांटा-बांट, बारदानों की उपलब्धता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चबूतरा, समर्थन मूल्य का प्रदर्शन, बैनर-पोस्टर इत्यादि की व्यवस्था की मॉनिटरिंग करनी होगी। समर्थन मूल्य में धान बेचने को लेकर ज़िले के किसानों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।

ग्राम जरौदा और बंगोली धान उपार्जन केंद्र में पहुचे अमिताभ जैन


रायपुर /शौर्यपथ/

छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव  अमिताभ जैन ने आज रायपुर जिले के धरसींवा विकासखंड के ग्राम जरौदा और तिल्दा विकासखंड के ग्राम बंगोली के धान उपार्जन केंद्र में पूजा अर्चना कर धान खरीदी का शुभारंभ किया। इस दौरान जनप्रतिनिधिगण, रायपुर कलेक्टर  सौरभ कुमार,जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी  मयंक चतुर्वेदी सहित संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

शुभारंभ के अवसर पर मुख्य सचिव  जैन ने कहा कि यह कार्य राज्य शासन द्वारा संचालित महत्वपूर्ण कार्यक्रम में से एक है। उन्होंने कहा कि धान खरीदी के साथ-साथ समितियों की विभिन्न व्यवस्थाओं, धान के रख-रखाव, ट्रांसर्पाेटेशन आदि कार्याे को प्राथमिकता से करें। उन्होंने धान खरीदी की शुरूआत से धान की गुणवत्ता, बारदाने की व्यवस्था, स्टेकिंग, रखरखाव, सुरक्षा, उठाव और गुणवत्ता आदि पर विशेष रूप से ध्यान रखने को कहा।

मुख्य सचिव ने पिछले वर्षाे की कमियों, कठिनाइयों और व्यवहारिक दिक्कतों पर चर्चा करते हुए उनका समाधान करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि धान खरीदी के समय से ही एफ.ए.क्यू. का सख्ती से पालन करना होगा। धान की वैरायटी के अनुसार उनकी स्टेकिंग की जाए। इस बात पर विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि पुराना धान नए धान के साथ मिक्स नहीं हो।


रायपुर /शौर्यपथ/

आज से खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। खरीदी के पहले दिन धमतरी जिले के किसान  रामकृष्ण मोहंती ने बताया कि सरकार द्वारा धान खरीदी के लिए व्यवस्था से वे बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि वे आज यहां 34 क्विंटल धान बेचने के लिए आए हैं। संबंलपुर सोसायटी द्वारा धान उपार्जन केंद्र में धान खरीदी के लिए टोकन से लेकर कांटा तक की प्रक्रिया का बेहतर प्रबंध किया गया है। धान उपार्जन केंद्र में बारदाने की पर्याप्त उपलब्धता बताते हुुए  मोहंती ने बताया कि वे धान खरीदी के साथ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना का भी लाभ उठा रहे हैं। सरकार की इस योजना के द्वारा आर्थिक लाभ मिलने से किसानों में खुशी का महौल है। 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप आज एक दिसम्बर से खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 के लिए शुरू हुए धान खरीदी में लगभग 22.66 लाख पंजीकृत किसानों से 2399 सहकारी समितियों के जरिए धान उपार्जन किया जायेगा । पंजीकृत किसानों से करीब 105 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है। इस वर्ष सुविधाओं का विस्तार करते हुए 88 नवीन धान उपार्जन केन्द्र शुरू किए गए हैं। 

राज्य सरकार द्वारा किसानों की सुविधा के लिए खरीदी तथा अन्य प्रक्रियाओं और संबंधित समस्याओं की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। राज्य में 86 हजार जूट बारदाने के साथ धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू की गई है। 2.14 लाख गठान नये जूट बारदाने की आपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा प्रदान करने की सहमति प्रदान की गई हैैै। धान खरीदी में किसी तरह की अव्यवस्था न हो इसके लिए उचित मूल्य की दूकानों और मिलरों के माध्यम से लगभग एक लाख गठान बारदाने की व्यवस्था की गई है जबकि खुले बाजार से लगभग 1.13 लाख गठान एचडीपीई-पीपी बारदाने की व्यवस्था की जा रही है

रायपुर /शौर्यपथ/

डिजिटल क्रांति के इस आधुनिक दौर में देश दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाते हुए छत्तीसगढ़ में भी आमजनता तक नागरिक सेवाओं को पहुंचाने, शासन प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और कसावट लाने जैसे कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी का कुशलता और दक्षता के साथ उपयोग किया जा रहा है। चाहे फलैगशिप योजनों की मानिटरिंग की बात हो या हितग्राहियों तक जानकारी और योजनाओं की राशि पहुंचाने का कार्य हो, छत्तीसगढ़ ने कुशलता के साथ आईटी के दूरदर्शिता पूर्ण उपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। कोरोना काल में भी विज्ञान की इस तकनीक का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन, जरुरतमंद लोगों तक राहत पहुचाने में किया गया ।

कोरोना संकट काल कई चुनौतियां को लेकर आया, एक तरफ जहां लोगों तक नागरिक सेवाओं की डिलवरी की दिक्कत थी तो दूसरी ओर लोगों तक शासन-प्रशासन की योजनाओं और नीति-निर्देशों के साथ ही सही सूचनाएं पहुंचाना बड़ी चुनौती थी। लोगों तक ऐसे संकट काल में मदद और राहत के साथ ही लोगों को शासन प्रशासन पर भरोसा दिलाना की जरुरी था, इन सभी समस्याओं के निदान में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने बखूबी काम किया। पिछले तीन सालों में समय-समय पर विभाग को राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। कोरोना संकट काल में जैसी परिस्थितियां थी, उनमें इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की और अधिक आवश्यकता महसूस की गई। चाहे बात किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में इनपुट राशि देना हो या गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी का भुगतान हो। पहले इन कार्यों में लोगों तक राशि पहुंचाने में काफी अधिक समय लग जाता था। लोगों को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता था लेकिन अब एक क्लिक में हितग्राहियों की राशि उनके बैंक खातों में पहुंचायी जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर कोरोना काल में स्कूली बच्चों की शिक्षा के लिए ‘पढई तुहंर दुआर’ जैसा पोर्टल शुरू किया गया, जिसकी देशभर में चर्चा हुई। इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लोगों को नागरिक सेवाएं पहुंचाने के लिए तेजी से इंटरनेट सुविधाएं देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इनटरनेट कनेक्टिविटी के लिए इन तीन सालों में राज्य के 4574 ग्राम पंचायतों को आप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क से जोड़ा गया है। इसके लिए 22406 किलोमीटर आप्टिकल फाइबर केबल का नेटवर्क बिछाया गया है। इसके साथ ही लोक सेवा केन्द्रों, सामान्य सेवा केन्द्रों के नेटवर्क के माध्यम से आम नागरिकों को नागरिक सुविधाएं पहुंचायी जा रही है। 

संकट काल में सूचना प्रौद्योगिकी का नागरिक सेवाओं की डिलवरी में जमकर उपयोग हुआ। आज यह एक अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। पिछले तीन सालों में 71 लाख से अधिक लोगों तक विवाह पंजीयन, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र, फटाका लाइसेंस, सिनेमा हाल लाईसेंस आदि के प्रमाणपत्र तैयार कर लोगों को आनलाइन उपलब्ध कराए गए हैं। गोधन न्याय योजना के लिए मोबाइल एप और वेबसाइट भी तैयार किया गए है। गोबर विक्रेताओं को आन लाइन राशि अंतरण, गोबर खरीदी और स्व-सहायता समूहों को लाभांश वितरण सहित विभिन्न कार्य सफलता पूर्वक किए जा रहे हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग के सही आकड़े और तत्थ जुटाने के लिए जनजाति आधारित एटलस का निर्माण किया गया है।
पिछले तीन साल में विशेषकर कोरोना संकट काल में आम नागरिकों से सम्पर्क और शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी, समीक्षा के लिए स्वान परियोजना के माध्यम से 6145 ऑनलाइन बैठकों का आयोजन किया गया, वहीं मुख्यमंत्री सचिवालय में 1145 बैठकें सफलतापूर्वक आयोजित की गई। अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के डाटा एकत्र करने के लिए विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। इसके माध्यम से पूरे राज्य में इन वर्गों के डाटा एकत्र किया जा रहा हैं। भौगोलिक सूचना प्रणाली टूल्स के माध्यम से कोविड-19 से पीडित मरीजों के आइसोलेशन और इससे जड़ी जानकारी एकत्र की गई। अस्पतालों में बेड की उपलब्धता, आवश्यक उपकरणों और दवाईयों की आपूर्ति आदि की व्यवस्था की गई। 

कोरोना से बचाव को लिए सीजी टीका पोर्टल के जरिए टीका लगाने के लिए 18 से 44 वर्ष के नागरिकों का पंजीयन कर 12 लाख 17 हजार नागरिकों का टीकाकरण कराया गया। विद्यार्थी जीवन चक्र प्रणाली परियोजना के जरिए तकनीकी शिक्षा, आईटीआई, एस.सी.ई.आर.टी. और स्कूल शिक्षा विभाग के विद्यार्थियों को आनलाइन काउंसिलिंग की सुविधाएं उपलब्ध करायी गई, इससे 26 लाख 90 हजार अभ्यर्थी लाभान्वित हुए। पंचायतों तक शासन के निर्देश आदेश पहुंचाने और विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के लिए पंच नोटिस बोर्ड नामक मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। इनमें एक लाख 10 हजार से अधिक सूचनाएं अपलोड की जा चुकी हैं। 

राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजनाओं की मानिटरिंग के लिए सीजी कैम्प पोर्टल भी तैयार किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, गोधन न्याय योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना, सहित सभी प्रमुख योजनाओं की मानिटरिंग की जाएगी। इस पोर्टल में नागरिकों को अपनी शिकायत दर्ज कराने की सुविधा भी दी गई है। परिवहन विभाग द्वारा एनआईसी के सहयोग से ड्राईविंग लाईसेंस बनाने का काम ऑनलाईन किया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक वाहनों पर लगने वाले फिटनेस सर्टिफिकेट, वाहनों के पंजीयन और रोड टेक्स आदि ऑनलाईन जमा करने की सुविधा दी जा रही है।

 

रायपुर /शौर्यपथ/

एचआईव्ही-एड्स पीड़ितों के साथ भेदभावमुक्त व्यवहार हो –  टी.एस. सिंहदेव

स्वास्थ्य मंत्री  टी.एस. सिंहदेव ने आज विश्व एड्स दिवस के मौके पर एड्स एवं एचआईव्ही के नियंत्रण व रोकथाम के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों, शासकीय विभागों, संस्थाओं, समितियों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा स्वयंसेवी संगठनों को सम्मानित किया। उन्होंने सिविल लाइन स्थित नवीन विश्राम भवन के कन्वेन्शन हॉल में आयोजित समारोह में कुल 53 व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रमाण-पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं एवं छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना संचालक  नीरज बंसोड़ और अतिरिक्त परियोजना संचालक डॉ. एस.के. बिंझवार भी कार्यक्रम में मौजूद थे।

स्वास्थ्य मंत्री  सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि एचआईव्ही-एड्स पीड़ितों के साथ भेदभावमुक्त व्यवहार होना चाहिए। सामान्य नागरिकों की तरह उन्हें भी संविधानप्रदत्त सभी अधिकार प्राप्त हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा तीसरा राज्य है जहां एचआईव्ही पीड़ितों के शिकायतों के निवारण के लिए लोकपाल की नियुक्ति की गई है। एचआईव्ही-एड्स पीड़ितों को सामाजिक सुरक्षा की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।

 सिंहदेव ने कहा कि राज्य सरकार जन-स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील है। एचआईव्ही-एड्स पीड़ितों के लिए प्रदेश में 150 परामर्श एवं जांच केंद्र तथा आठ एआरटी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। जल्दी ही तीन और एआरटी केंद्र शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि एड्स एवं एचआईव्ही के नियंत्रण और रोकथाम में यह बड़ी चुनौती है कि बहुत से लोग अपनी एचआईव्ही अवस्था से अंजान हैं। ऐसे लोगों को स्वैच्छिक परामर्श एवं मार्गदर्शन की जरूरत है।  सिंहदेव ने एड्स के नियंत्रण एवं रोकथाम में सहयोग के लिए आज सम्मानित हुए सभी लोगों और संस्थाओं के प्रति आभार व्यक्त किया और उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने स्वैच्छिक रक्तदान की दिशा में भी काम करने की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि एड्स के विरूद्ध लड़ाई में आगे भी आप लोगों का सहयोग मिलता रहेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में भी रक्तदान बढ़ाने में हम सफल होंगे।

स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कार्यक्रम में कहा कि एचआईव्ही-एड्स के विरूद्ध अभी लंबी लड़ाई बांकी है। इस लड़ाई में अच्छा काम करने वालों की पीठ थपथपाने के साथ ही आज संकल्प लेना है कि हम यह लड़ाई जारी रखेंगे और सतर्कता में कमी नहीं आने देंगे। नई-नई दवाईयों के उपयोग से पीड़ितों की जान बचाने और उन्हें लंबी जिंदगी देने की कोशिश करेंगे।

संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं तथा छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना संचालक  नीरज बंसोड़ ने कहा कि पूरी दुनिया में इस साल विश्व एड्स दिवस ‘असमानता का अंत, एड्स का अंत, महामारी का अंत’ की थीम पर मनाया जा रहा है। प्रदेश में एड्स के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए नाको (NACO) के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में एड्स के प्रसार की दर में छह गुना की कमी आई है। प्रदेश में इसके संभावित पीड़ितों की संख्या 45 हजार है। इनमें से 30 हजार लोगों तक हम जरूरी सेवाएं पहुंचा रहे हैं। मैदानी गतिविधियों के साथ ही आईईसी और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। युवाओं में जागरूकता बढ़ाने प्रदेश के 150 कॉलेजों में रेड रिबन क्लब (Red Ribbon Club) का गठन किया गया है

रायपुर /शौर्यपथ/

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के प्रथम परिचयात्मक बैठक में नवनियुक्त सदस्यों का स्वागत किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। देश-दुनिया में इसे सामने लाने की जरूरत है। उन्होंने परिषद के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए छत्तीसगढ़ की संस्कृति के गौरव को आगे लाने के लिए मिलजुल कर तेजी से काम करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद में कला संस्कृति और इससे जुड़ी विधाओं के विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है, जिससे की छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति और साहित्य को देश में नई पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि परिषद के माध्यम से राज्य की प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि पहले छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सल प्रदेश के रूप में थी। नई सरकार के गठन के बाद पिछले तीन वर्षों में किसानों और खेती-किसानी, आदिवासियों के विकास और संस्कृति संरक्षण-संवर्धन के क्षेत्र में बहुत से कार्य हुए हैं, इससे राज्य की तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का निर्माण सांस्कृतिक आधार पर हुआ है। परिषद में नवनियुक्त सदस्यों की महती जिम्मेदारी है कि राज्य के सांस्कृतिक पक्षों के सकारात्मक पहलूओं को देश-दुनिया के सामने बेहतर ढ़ंग से प्रस्तुत करने अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि परिषद के कार्यो के बेहतर संचालन के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।

बैठक में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के उपाध्यक्ष एवं संस्कृति मंत्री  अमरजीत भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को समग्र रूप से आगे बढ़ाने के लिए परिषद के माध्यम से एक नई शुरूआत हो रही है। मुख्यमंत्री  बघेल के नेतृत्व में संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गठित किए गए विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं को एक छत के नीचे समग्र रूप से काम करने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री के सलाहकार  विनोद वर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक क्षेत्र में मध्यप्रदेश को जो ऊंचाईयां मिली उसमें छत्तीसगढ़ का बहुत बड़ा योगदान था। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद यहां की संस्कृति को देश में नई ऊंचाई देने के लिए छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक परिषद का गठन किया गया है। इससे राज्य की सांस्कृतिक प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।

बैठक में खैरागढ़ विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री ममता चन्द्राकर, संस्कृति विभाग के सचिव  अंबलगन पी., संचालक  विवेक आचार्य, कला विशेषज्ञ श्री जयंत देशमुख,  नवल शुक्ला,  भूपेश तिवारी,  योगेंद्र त्रिपाठी, नृत्य विशेषज्ञ  वासंती वैष्णव, कालीचरण यादव,  ललित कुमार,  रामकुमार तिवारी,  ईश्वर सिंह दोस्त, चित्रकला-मूर्तिकला विशेषज्ञ  सुनीता वर्मा, नाट्य विशेषज्ञ  भूपेन्द्र साहू उपस्थित थे।

 

बिना चर्चा के बिल पारित करने के आरोपों का सरकार ने जवाब दिया है और कहा है कि बिलों को संसदीय समितियों के पास भेजना लोकतंत्र मापने का पैमाना नहीं है.

नई दिल्ली/शौर्यपथ/

बिना चर्चा के बिल पारित करने के आरोपों का केंद्र सरकार ने जवाब दिया है और कहा है कि बिलों को संसदीय समितियों के पास भेजना लोकतंत्र मापने का पैमाना नहीं है. केंद्र सरकार ने बिलों को संसदीय समितियों को न भेजने के आरोपों पर कहा कि संसदीय समितियों की स्थापना साल 1993 में हुई थी यानी 41 वर्षों तक बिल बिना संसदीय समितियों की चर्चा के संसद में रखे जाते थे. क्या इसका ये मतलब है कि देश में 41 वर्षों तक लोकतंत्र नहीं था और पंडित नेहरु, राजीव गांधी के समय बनाए गए कानून गलत थे. बाबा साहब आंबेडकर का बनाया गया संविधान भी सेलेक्ट कमेटी को नहीं भेजा गया था.

सरकार का कहना है कि 2014 के पहले 25 वर्षों तक केंद्र में बनी सरकारें कमजोर थीं और गठबंधन की सरकारें थीं. इसलिए आम राय के अभाव में सत्तारूढ़ दल के भीतर ही विभिन्न विचारों और मतभेद के कारण बिलों को संसदीय समितियों को भेजा जाना जरूरी थी. लेकिन 2014 के बाद से सत्तारूढ़ दल को पूर्ण बहुमत है. इसलिए जब कोई बिल चर्चा के लिए आता है. तो बहुसंख्यक सदस्यों में आम राय होती है. इसलिए इन्हें संसद की स्थायी समितियों को भेजने की गुंजाइश कम रह जाती है.

 दरअसल केंद्र सरकार पर आरोप लगे हैं कि बिना चर्चा के बिल पारित कराए जा रहे हैं. जहां 2004-2009 के बीच 60 प्रतिशत बिल संसदीय समितियों के पास भेजे गए. वहीं साल 2009-2014 में 71 प्रतिशत बिल समितियों के पास भेजे गए. लेकिन मोदी सरकार आने के बाद से ये संख्या तेजी से गिरी है.

 साल 2014-2019 में केवल 27 प्रतिशत बिल संसदीय समितियों के पास भेजे गए और 2019 क बाद से अभी तक केवल 12 प्रतिशत बिल संसदीय समितियों के पास गए हैं. वहीं सरकार का कहना है कि संसदीय समितियां संसद का हिस्सा हैं. वे किसी बिल को पारित नहीं कर सकती. संसद सर्वोच्च है. सारे कानून संसद ही पारित करती है. सारे बिल संसदीय समितियों को नहीं भेजे जाते. उदाहरण के लिए बिलों की जगह लाए जाने वाले अध्यादेश, मनी बिल और महत्वपूर्ण संवैधानिक बिल.

सरकार पर आरोप लगाते समय आंकड़ों का मनमाना उपयोग किया गया. साल 2014-19 के बीच राज्यसभा में केवल 18 विधेयक लाए गए और इनमें से 11 बिल यानी 61 प्रतिशत बिल राज्यसभा की समितियों को भेजे गए. 5 बिल यानी 28 प्रतिशत बिल लोकसभा की स्थाई समिति को भेजे गए. यूपीए एक में 2004-09 में राज्यसभा में 100 बिल रखे गए और इनमें से 48 बिल यानी 48 प्रतिशत राज्यसभा की स्थायी समिति को भेजे गए. जबकि 30 बिल यानी 30 प्रतिशत लोकसभा की स्थायी समिति को भेजे गए. यूपीए-2 में 2009-14 में 78 बिल राज्यसभा में रखे गए जिनमें से 40 बिल यानी 51 प्रतिशत राज्यसभा की और 21 बिल यानी 27 प्रतिशत लोकसभा की स्थायी समिति को भेजे गए.

 

 

 

 हेल्थ टिप्स /शौर्यपथ/

सर्दीयों का मौसम (Winter Season) शुरू होते ही लोगों के घरों में अनेक प्रकार की डिश बनना शुरू हो जाती है. विंटर सीजन में गाजर का हलवा तो सभी घरों में बनता है, लेकिन क्या आपको पता है कि गाजर खाने (Gajar Khane Ke Fayde) से हमारे स्वास्थ्य को कितना लाभ मिलता है. गाजर एक ऐसी सब्जी है, जिसमें पौष्टिक तत्वों की कमी नहीं है. इसका उपयोग सब्जी के साथ, सलाद, जूस, अचार, केक, हलवा आदि बनाने में किया जाता है. गाजर हमारे सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. गाजर में विटामिन ए, सी, के, पोटेशियम, आयरन, कॉपर और मैंगनीज जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों से बचाव में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा नियमित रूप से गाजर का सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद मिलती है.

 गाजर का सेवन करने से सेहत को मिलते हैं ये लाभ 

कोलेस्ट्राल को कम करने में भी मददगार.

पेट की चर्बी कम करने के लिए गाजर का जूस काफी फायदेमंद होता है.

गाजर का जूस पीने से शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है.

Banana Flower Benefits: केला ही नहीं इसका फूल भी है बेहद फायदेमंद, इसमें छिपे हैं सेहत के राज

गाजर में अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो शरीर की पाचनशक्ति को बढ़ाता है.

गाजर और चुकंदर के सेवन से शरीर की सूजन में आराम मिलता है.

मुहांसे और ब्लैक स्पॉट्स भी चेहरे से हट जाते हैं.

इसे खाने से मसूड़ों से ब्लड आना बंद हो जाता है और दांतों की चमक बढ़ती है.

गाजर के रस में मिश्री व काली मिर्च मिलाकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है. कफ कि समस्या में भी आराम मिलता है

 

केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, ' कई देशों ने ऑमिक्रान प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानें बंद कर दी हैं. हम देरी क्यों कर रहे हैं? पहली वेव में भी हमने विदेशी उड़ानें रोकने में देरी कर दी थी.'

नई दिल्‍ली /शौर्यपथ/

कोविड-19 के नए वेरिएंट Omicron के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने पूरी तैयारी की है. दिल्ली सरकार ने LNJP अस्पताल को नए वैरिएंट Omicron के लिए डेडिकेटेड अस्पताल बनाया. इसके तहत LNJP में Omicron से संक्रमित मरीजों के आइसोलेशन और ट्रीटमेंट के लिए एक या दो वार्ड रिजर्व रखने का आदेश दिया गया है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने (CM Arvind Kejriwal) मंगलवार सुबह एक ट्वीट करते हुए Omicron प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानें तुरंत बंद करने का आग्रह पीएम नरेंद्र मोदी से किया है. केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, ' कई देशों ने ऑमिक्रान प्रभावित देशों से आने वाली उड़ानें बंद कर दी हैं. हम देरी क्यों कर रहे हैं? पहली वेव में भी हमने विदेशी उड़ानें रोकने में देरी कर दी थी. अधिकतर विदेशी उड़ानें दिल्ली में आती हैं, दिल्ली सबसे ज़्यादा प्रभावित होती है. PM साहिब कृपया उड़ानें तुरंत बंद करें.'

इससे पहले, दिल्‍ली के सीएम ने नए वेरिएंट के मुद्दे पर पीएम को लेटर भी लिखा था, इसमें उन्‍होंने लिखा था कि कोरोना के नए वैरिएंट को भारत में घुसने से रोकने के लिए हम सभी को हर संभव प्रयास करना चाहिए. यूरोप समेत कई देशों ने कोरोना के नए वेरिएंट से प्रभावित इलाकों में यात्रा पर रोक दी है. भारत में भी इस वेरिएंट से प्रभावित जगहों से आने वाली फ्लाइट पर रोक लगा दी जानी चाहिए. इस संबंध में थोड़ी भी देरी नुकसानदेह साबित हो सकती है.

गौरतलब है कि Omicronवैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में मिला था. वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि संक्रमण की दर बहुत तेज हो सकती है और मरीजों में गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नए वैरिएंट में कम से कम 10 म्यूटेशन हैं. जबकि डेल्टा में सिर्फ दो तरह के म्यूटेशंस पाए गए थे. म्यूटेट होने का मतलब है वायरस के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव होना. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक समिति ने कोरोना वायरस के इस नये स्वरूप को ‘ओमीक्रॉन' नाम दिया है और इसे ‘बेहद संक्रामक चिंताजनक स्वरूप' करार दिया है.

 

 

 

रायपुर /शौर्यपथ/

छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया एक दिसम्बर को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सबेरे 10.30 बजे रायपुर से मंदिरहसौद जायेंगे। डॉ. डहरिया यहां सबेरे 11 बजे से दोपहर एक बजे तक धान खरीदी महोत्सव और भूमिपूजन एवं लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होंगे। वे मंदिरहसौद से दोपहर एक बजे प्रस्थान कर रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के ग्राम रीवां जायेंगे और यहां पर दोपहर 1.25 बजे से 3 बजे तक धान खरीदी एवं लोकार्पण और भूमिपूजन के कार्यक्रम में भाग लेगें। इसके बाद वे ग्राम चंदखुरी जायेंगे और वहां पर भूमिपूजन एवं लोकार्पण कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद शाम 5.30 बजे रायपुर के लिए प्रस्थान करेंगे

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